हनुमानगढ़. मेजर विकास भांभू का सोमवार को उनके पैतृक गांव रामपुरिया में राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया (Major Vikas Bhambu last rites) गया. शहीद मेजर की पार्थिव देह को सुबह सूरतगढ़ के मिलिट्री स्टेशन से पैतृक गांव के लिए रवाना किया गया था. इस दौरान सड़क के दोनों तरफ बड़ी तादाद में खड़े लोगों ने अंतिम यात्रा पर फूल बरसाए और नारे लगाए.
इस दौरान मानकसर और चेतक चौराहे पर शहीद मेजर विकास भांभू के अंतिम दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़े. लोगों ने नम आंखों के साथ शहीद के शव पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. तिरंगा हाथ में लिए लोग शहीद मेजर विकास भांभू अमर रहे और भारत माता की जय के नारे लगाते रहे. 14 साल पहले NDA एग्जाम के जरिए विकास का सिलेक्शन हुआ था. इसके बाद उन्हें आर्मी में जॉइनिंग मिली थी. उन्हें आर्मी वर्दी से बहुत ज्यादा लगाव था.
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अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले में मिलिट्री हेलिकॉप्टर क्रैश में हनुमानगढ़ के पायलट मेजर विकास भांभू (33) शहीद हो गए थे. विकास पिछले 14 सालों से आर्मी में थे. 6-7 साल पहले पायलट बने थे. उनका इस दौरान कई बार प्रमोशन भी हुआ था. शुक्रवार को विकास ने उड़ान भरने से पहले अपने पिता को व्हाट्सऐप पर GOOD BYE लिखा था. उनके पिता भागीरथ ने कहा कि मुझे नहीं पता था कि वो इस तरह से GOOD BYE लिखकर देश के लिए शहीद हो जाएगा. विकास की दिसंबर 2016 में शादी हुई थी. 8-9 माह पहले विकास के घर नन्ही परी ने जन्म लिया था, जिसका नाम बड़े चाव से ख्वाइश रखा था.
बेटे की शहादत को सलाम करते-करते भावुक होते हुए पिता ने कहा कि 'मैं उसकी (विकास) की शहादत को सलाम करता हूं'. विकास के पिता ने बताया कि विकास को बचपन से ही देश के प्रति प्रेम था और आर्मी की ही बातें ज्यादा करता था. सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान भी वह आर्मी की स्टैंडबाई टीम में शामिल था. विकास के पिता भागीरथ भांभू पिछले काफी वर्षों से पूर्व कैबिनेट मंत्री सुभाष महरिया के पीए के रूप में जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
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पिता ने बताया यादगार किस्सा: विकास के पिता ने बताया कि मैं उससे (विकास) हमेशा ही कहता था कि तुम नंबर वन पर मत रहा करो, बीच में रहा करो. लेकिन विकास पलट कर जवाब देता था कि मैं एक नंबर पर ही रहूंगा. एक दिन दुनिया मेरे पीछे चलेगी मैं कभी पीठ नहीं दिखाऊंगा और शहादत देकर अपने देश का कर्ज चुकाऊंगा. विकास के पिता बोले कि एक बार मैं विकास के साथ था तो उसके साथी डिनर पर बोले कि अंकल विकास को बोलो हमें अवार्ड लेने दे, लेकिन वो हमारी बात मानता ही नहीं. उसी के अगले दिन ऐसा ही हुआ 36 पायलट पास आउट हुए, जिसमें विकास को बेस्ट ऑफ फ्लाइंग का अवार्ड तो मिला ही साथ ही बेस्ट ऑफ आल ओवर एक्टिविटी में भी नंबर एक पर रहकर अवार्ड हासिल किया. इस पर लेफ्टिनेंट जनरल ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा था कि आपने होनहार बेटे को जन्म दिया है.
ख्वाइश की अधूरी रह गई 'ख्वाइश': बता दें कि शहीद कैप्टन विकास भांभू हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी क्षेत्र के रामपुरा ऊर्फ रामसरा गांव के भागीरथ भांभू के सुपुत्र हैं. शहीद की वीरांगना श्रेया चौधरी व मात्र 9 माह की बेटी ख्वाइश अपने दादा-दादी के साथ रहती है. घर पर कुछ समय पहले आये विकास ड्यूटी पर वापिस जाते समय कहकर गये थे की वे दीपावली पर वापस आएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका और बेटी ख्वाइश की ख्वाइश अधूरी रह गई.
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इस दौरान श्रीगंगानगर सांसद निहालचंद मेघवाल, पूर्व विधायक अशोक नागपाल, गंगाजल मील, जिला परिषद लोकपाल अनिल धानुका सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे. शहीद की पार्थिव देह को 18 स्थानों पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इस दौरान पुलिस विभाग के आलाधिकारी, एसडीएम, तहसीलदार, सरपंच, प्रभारी मंत्री गोविंदराम मेघवाल, पूर्व मंत्री सुभाष महरिया, मंत्री दर्जा प्राप्त पवन गोदारा सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण व आस-पास के व्यक्ति शहीद को श्रद्धांजलि देने पहुंचे.
जगह-जगह शहीद को दी श्रद्धांजलि: शहीद की पार्थिव देह सुबह सूरतगढ़ से अहमदपुरा, लखूवाली, पीलीबंगा, कालीबंगा, पंडितांवाली, जाखड़ांवाली, चोहिलांवाली, जोरावरपुरा, लखूवाली, नौरंगदेसर, मटोरियांवाली ढाणी, मुंडा, मेहरवाला और मसीतांवाली हेड होते हुए उनके पैतृक गांव रामपुरिया पहुंची. शहीद की पार्थिव देह के पीलीबंगा क्षेत्र के ग्रामीण अंचल में पहुंचने पर उन्हें जगह-जगह ग्रामीणों की ओर से श्रद्धांजलि दी. लोगों ने यहां शहीद के सम्मान में नारे लगाए. उन्होंने कहा कि इलाके के युवा शहीद भांभू की शहादत याद रखी जाएगी.