नयी दिल्ली: मुंबई में 1993 में हुए बम विस्फोटों का षडयंत्रकर्ता दाऊद इब्राहिम बेशक अभी तक भारत की गिरफ्त में नहीं आया है लेकिन 2001 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने भारत दौरे पर आये पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से इस वैश्विक आतंकवादी को सौंपने के लिए कहा (Hand over Dawood to India Advani told Musharraf ) था.
आडवाणी ने 2011 में एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा था कि दाऊद इब्राहिम का नाम सुनकर मुशर्रफ के चेहरे का रंग उड़ गया था और वह असहज हो गये थे. वह अपनी बेचैनी को बड़ी मुश्किल से छुपा पा रहे थे. मुशर्रफ आगरा शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए भारत आये हुए थे और इस दौरान आडवाणी ने मुशर्रफ से मुलाकात की थी. पूर्व गृह मंत्री ने यह भी बताया था कि अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के छावनी शहर एबटाबाद में स्थित ठिकाने को तब बनाया गया था. जब मुशर्रफ का पाकिस्तान पर पर्याप्त नियंत्रण था. हालांकि मुशर्रफ ने इस बात का खंडन करते हुए कहा था कि दाऊद इब्राहिम उनके देश में नहीं है.
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता आडवाणी ने अपने ब्लॉग में लिखा था कि मुशर्रफ की बेचैनी साफ झलक रही थी और उन्होंने कहा था मिस्टर आडवाणी, मैं आपको दृढ़तापूर्वक बता दूं कि दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान में नहीं है.’ आडवाणी ने लिखा था, लेकिन बैठक के दौरान मौजूद पाकिस्तानी अधिकारियों में से एक ने मुझसे बाद में कहा कि हमारे राष्ट्रपति ने उस दिन दाऊद इब्राहिम के बारे में जो कहा वह सफेद झूठ था.
घटनाक्रम का जिक्र करते हुए आडवाणी ने लिखा था कि मुशर्रफ ने भारत और पाकिस्तान के बीच प्रत्यर्पण संधि संबंधी उनके सुझाव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी. आडवाणी ने तब उनसे कहा ‘‘यदि आप मुंबई में 1993 में हुए बम विस्फोटों के मुख्य आरोपी दाऊद इब्राहिम को भारत को सौंप देते हैं तो इससे शांति प्रक्रिया में अहम सहयोग मिलेगा. अमेरिका ने पिछले साल दाऊद इब्राहिम को एक वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित किया था.
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और 1999 में करगिल युद्ध के मुख्य सूत्रधार रहे जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ का रविवार को एक लाइलाज बीमारी से वर्षों तक जूझने के बाद दुबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. वह 79 वर्ष के थे. मुशर्रफ पाकिस्तान में अपने खिलाफ आपराधिक आरोपों से बचने के लिए संयुक्त अरब अमीरात में स्व: निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे थे.
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(पीटीआई-भाषा)