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हबीब और सादिक ने पार की अटारी सीमा, अब दो महीने भारत में रहेंगे दोनों भाई

1947 में भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली थी, लेकिन उस समय देश की आजादी के साथ ही देश के कई परिवारों में ऐसा अलगाव हो गया कि सुलह करने में 75 साल लग गए. इसका एक उदाहरण मोहम्मद सादिक और हबीब का परिवार है. भारत-पाकिस्तान के विभाजन के वक्त बिछड़े दो भाइयों हबीब और सदीक खान का श्री करतारपुर साहिब में मिलन बेहद भावनात्मक था.

Mohammad Sadiq returned to Nanke village after 74 years
हबीब और सादिक ने पार की अटारी सीमा
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Published : May 25, 2022, 2:25 PM IST

Updated : May 25, 2022, 2:37 PM IST

अमृतसर: 1947 में भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली थी, लेकिन उस समय देश की आजादी के साथ ही देश के कई परिवारों में ऐसा अलगाव हो गया कि सुलह करने में 75 साल लग गए. इसका एक उदाहरण मोहम्मद सादिक और हबीब का परिवार है. भारत-पाकिस्तान के विभाजन के वक्त बिछड़े दो भाइयों हबीब और सदीक खान का श्री करतारपुर साहिब में मिलन बेहद भावनात्मक था. 74 वर्ष बाद जब दोनों भाई मिले तो आंखों से आंसू आ गए. हबीब उर्फ सिक्का खान अपने भाई से मिलने पाकिस्तान गए थे. मंगलवार को दोनों भाई अंतरराष्ट्रीय अटारी सीमा के रास्ते भारत पहुंचे. हबीब ने सदीक के साथ उसके फैसलाबाद स्थित घर में काफी दिन गुजारे. सदीक ने हबीब को पाकिस्तान लाने के लिए पाकिस्तान दूतावास से संपर्क किया था.

अब दो महीने भारत में रहेंगे दोनों भाई

पढ़ें: 74 साल बाद बिछड़े भाई, नहीं थम रहे थे आंसू

पाकिस्तान ने भारतीय दूतावास से संपर्क साधकर हबीब को पाकिस्तान भेजने का अनुरोध किया था. भारत सरकार ने मानवीयता के आधार पर हबीब को भाई से मिलने के लिए पाकिस्तान भेजने की मंजूरी दे दी थी. मंगलवार को अटारी सीमा पर पहुंचे सदीक ने कहा कि अब तो परिवार में कोई बुजुर्ग रहा नहीं. भाई है उससे दिल खोलकर नई पुरानी बातें कीं. वह दो महीने के वीजा पर भारत आए हैं. अब भाई के साथ यहां रहेंगे. फिर भाई को वहां ले जाएंगे. अब वे कभी एक-ूदसरे से जुदा नहीं होंगे.

बाकी जीवन भाई के साथ बिताना चाहता हूं: हबीब : दरअसल, 10 जनवरी को पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शनों के लिए गए हबीब और सदीक की मुलाकात हुई थी. इक-दूजे से मिलकर दोनों भाई खूब रोये. सादिक पाकिस्तान के फैसलाबाद और हबीब पंजाब के जिला बठिडा के रहने वाले हैं. हबीब ने कहा कि बंटवारे के बाद हुए दंगों में बड़ा भाई सदीक गुम हो गया. बहुत तलाश की, पर वह मिला नहीं. आज हम साथ-साथ हैं. सदीक ने कहा कि वह बाकी जीवन अपने भाई के साथ बिताना चाहते हैं.

अमृतसर: 1947 में भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली थी, लेकिन उस समय देश की आजादी के साथ ही देश के कई परिवारों में ऐसा अलगाव हो गया कि सुलह करने में 75 साल लग गए. इसका एक उदाहरण मोहम्मद सादिक और हबीब का परिवार है. भारत-पाकिस्तान के विभाजन के वक्त बिछड़े दो भाइयों हबीब और सदीक खान का श्री करतारपुर साहिब में मिलन बेहद भावनात्मक था. 74 वर्ष बाद जब दोनों भाई मिले तो आंखों से आंसू आ गए. हबीब उर्फ सिक्का खान अपने भाई से मिलने पाकिस्तान गए थे. मंगलवार को दोनों भाई अंतरराष्ट्रीय अटारी सीमा के रास्ते भारत पहुंचे. हबीब ने सदीक के साथ उसके फैसलाबाद स्थित घर में काफी दिन गुजारे. सदीक ने हबीब को पाकिस्तान लाने के लिए पाकिस्तान दूतावास से संपर्क किया था.

अब दो महीने भारत में रहेंगे दोनों भाई

पढ़ें: 74 साल बाद बिछड़े भाई, नहीं थम रहे थे आंसू

पाकिस्तान ने भारतीय दूतावास से संपर्क साधकर हबीब को पाकिस्तान भेजने का अनुरोध किया था. भारत सरकार ने मानवीयता के आधार पर हबीब को भाई से मिलने के लिए पाकिस्तान भेजने की मंजूरी दे दी थी. मंगलवार को अटारी सीमा पर पहुंचे सदीक ने कहा कि अब तो परिवार में कोई बुजुर्ग रहा नहीं. भाई है उससे दिल खोलकर नई पुरानी बातें कीं. वह दो महीने के वीजा पर भारत आए हैं. अब भाई के साथ यहां रहेंगे. फिर भाई को वहां ले जाएंगे. अब वे कभी एक-ूदसरे से जुदा नहीं होंगे.

बाकी जीवन भाई के साथ बिताना चाहता हूं: हबीब : दरअसल, 10 जनवरी को पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शनों के लिए गए हबीब और सदीक की मुलाकात हुई थी. इक-दूजे से मिलकर दोनों भाई खूब रोये. सादिक पाकिस्तान के फैसलाबाद और हबीब पंजाब के जिला बठिडा के रहने वाले हैं. हबीब ने कहा कि बंटवारे के बाद हुए दंगों में बड़ा भाई सदीक गुम हो गया. बहुत तलाश की, पर वह मिला नहीं. आज हम साथ-साथ हैं. सदीक ने कहा कि वह बाकी जीवन अपने भाई के साथ बिताना चाहते हैं.

Last Updated : May 25, 2022, 2:37 PM IST
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