ETV Bharat / bharat

Senthil Balaji Case : सेंथिल बालाजी के लिए दायर याचिका सुनवाई योग्य नहीं: तुषार मेहता - तुषार मेहता

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार को मद्रास हाईकोर्ट में ईडी की ओर से बहस की. उन्होंने कहा कि सेंथिल बालाजी के पक्ष में यह याचिका सुनवाई के योग्य ही नहीं है. पढ़ें पूरी खबर...

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jun 27, 2023, 2:08 PM IST

चेन्नई (तमिलनाडु) : सेंथिल बालाजी की पत्नी मेगाला की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई फिलहाल मद्रास उच्च न्यायालय में चल रही है. गिरफ्तार तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी की पत्नी ने मद्रास उच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर कर राज्य भारतीय जनता पार्टी प्रमुख के अन्नामलाई पर उनके पति के खिलाफ 'द्वेष रखने' का आरोप लगाया है. सेंथिल बालाजी को 14 जून को प्रवर्तन निदेशालय ने नौकरी के बदले नकदी घोटाले में गिरफ्तार किया था.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश होते हुए सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने मंगलवार को मद्रास उच्च न्यायालय में दलील दी कि तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी की पत्नी द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि सीआरपीसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. जिसके तहत गिरफ्तारी के आधार को लिखित रूप में लिखने की आवश्यकता है. तुषार मेहता ने कहा कि पीएमएलए की धारा 19 प्राधिकरण को उचित कारणों के आधार पर किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने की अनुमति देती है. यदि यह मानने का कारण है कि वह अधिनियम के तहत अपराध का दोषी है.

तुषार मेहता ने आगे तर्क दिया कि गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी जितनी जल्दी हो सके दी जानी चाहिए, तुरंत नहीं. न्यायमूर्ति जे निशा बानू और न्यायमूर्ति डी भरत चक्रवर्ती ने वरिष्ठ वकील एनआर एलंगो को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के समक्ष अपनी संक्षिप्त दलील देने की अनुमति दी. एनआर एलंगो ने प्रवर्तन निदेशालय के अतिरिक्त काउंटर का जवाब देकर अपनी दलीलें जारी रखीं. जहां उन्होंने नवलखा मामले के आदेशों सहित सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया. सॉलिसिटर जनरल, एसजी, तुषार मेहता ने प्रवर्तन निदेशालय के लिए बहस शुरू की.

न्यायमूर्ति चक्रवर्ती ने सवाल किया कि क्या प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के लिए सीआरपीसी की धारा 41ए का पालन करना और गिरफ्तारी से पहले समन जारी करना आवश्यक है. एनआरई का कहना है, वर्तमान मामले में, प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने गिरफ्तारी की पूर्ण आवश्यकता स्थापित नहीं की है. एनआर एलांगो ने अदालत में तर्क दिया कि प्रवर्तन निदेशालय के पास किसी आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की शक्ति है. प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायाधीशों से पीएमएलए की धारा 65 को देखने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि धारा 65 में कहा गया है कि सीआरपीसी के प्रावधान गिरफ्तारी के संबंध में तब तक लागू होंगे जब तक वे पीएमएलए के प्रावधानों से असंगत न हों. तुषार मेहता ने जजों से पीएमएलए की धारा 71 पढ़ने को भी कहा. उन्होंने कहा कि धारा 19 सीआरपीसी की धारा 167 से असंगत नहीं है.

तमिलनाडु के बिजली, निषेध और उत्पाद शुल्क मंत्री बालाजी को 14 जून को गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें सीने में दर्द की शिकायत के बाद चेन्नई के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया. उन्हें 15 जून को मद्रास उच्च न्यायालय ने उनकी पसंद के निजी अस्पताल में स्थानांतरित करने की अनुमति दी थी.

ये भी पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट ने, इस महीने की शुरुआत में, मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी को चेन्नई के एक निजी अस्पताल में ले जाने की अनुमति दी गई थी. उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर विचार किया गया था.
(एएनआई)

चेन्नई (तमिलनाडु) : सेंथिल बालाजी की पत्नी मेगाला की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई फिलहाल मद्रास उच्च न्यायालय में चल रही है. गिरफ्तार तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी की पत्नी ने मद्रास उच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर कर राज्य भारतीय जनता पार्टी प्रमुख के अन्नामलाई पर उनके पति के खिलाफ 'द्वेष रखने' का आरोप लगाया है. सेंथिल बालाजी को 14 जून को प्रवर्तन निदेशालय ने नौकरी के बदले नकदी घोटाले में गिरफ्तार किया था.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश होते हुए सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने मंगलवार को मद्रास उच्च न्यायालय में दलील दी कि तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी की पत्नी द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि सीआरपीसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. जिसके तहत गिरफ्तारी के आधार को लिखित रूप में लिखने की आवश्यकता है. तुषार मेहता ने कहा कि पीएमएलए की धारा 19 प्राधिकरण को उचित कारणों के आधार पर किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने की अनुमति देती है. यदि यह मानने का कारण है कि वह अधिनियम के तहत अपराध का दोषी है.

तुषार मेहता ने आगे तर्क दिया कि गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी जितनी जल्दी हो सके दी जानी चाहिए, तुरंत नहीं. न्यायमूर्ति जे निशा बानू और न्यायमूर्ति डी भरत चक्रवर्ती ने वरिष्ठ वकील एनआर एलंगो को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के समक्ष अपनी संक्षिप्त दलील देने की अनुमति दी. एनआर एलंगो ने प्रवर्तन निदेशालय के अतिरिक्त काउंटर का जवाब देकर अपनी दलीलें जारी रखीं. जहां उन्होंने नवलखा मामले के आदेशों सहित सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया. सॉलिसिटर जनरल, एसजी, तुषार मेहता ने प्रवर्तन निदेशालय के लिए बहस शुरू की.

न्यायमूर्ति चक्रवर्ती ने सवाल किया कि क्या प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के लिए सीआरपीसी की धारा 41ए का पालन करना और गिरफ्तारी से पहले समन जारी करना आवश्यक है. एनआरई का कहना है, वर्तमान मामले में, प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने गिरफ्तारी की पूर्ण आवश्यकता स्थापित नहीं की है. एनआर एलांगो ने अदालत में तर्क दिया कि प्रवर्तन निदेशालय के पास किसी आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की शक्ति है. प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायाधीशों से पीएमएलए की धारा 65 को देखने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि धारा 65 में कहा गया है कि सीआरपीसी के प्रावधान गिरफ्तारी के संबंध में तब तक लागू होंगे जब तक वे पीएमएलए के प्रावधानों से असंगत न हों. तुषार मेहता ने जजों से पीएमएलए की धारा 71 पढ़ने को भी कहा. उन्होंने कहा कि धारा 19 सीआरपीसी की धारा 167 से असंगत नहीं है.

तमिलनाडु के बिजली, निषेध और उत्पाद शुल्क मंत्री बालाजी को 14 जून को गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें सीने में दर्द की शिकायत के बाद चेन्नई के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया. उन्हें 15 जून को मद्रास उच्च न्यायालय ने उनकी पसंद के निजी अस्पताल में स्थानांतरित करने की अनुमति दी थी.

ये भी पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट ने, इस महीने की शुरुआत में, मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी को चेन्नई के एक निजी अस्पताल में ले जाने की अनुमति दी गई थी. उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर विचार किया गया था.
(एएनआई)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.