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H3N2 Virus Infection: कर्नाटक में वायरस के संक्रमण से घबराने की जरूरत नहीं: स्वास्थ्य मंत्री

कर्नाटक में इन्फ्लुएंजा ए एच3एन2 का संक्रमण सामने आया है. इसे लेकर कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर ने जानकारी दी है कि है जनता को इसके संक्रमण से घबराने की जरूरत नहीं है और लोगों को इससे बचने के लिए सावधानी बरतने की जरूरत है. इस संक्रमण से बचने के लिए पर्याप्त उपाय किए जा रहे हैं.

H3N2 Virus Infection
H3N2 वायरस का संक्रमण
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Published : Mar 6, 2023, 9:20 PM IST

बेंगलुरु: कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर ने सोमवार को कहा कि राज्य में इन्फ्लुएंजा ए एच3एन2 प्रकार के वायरस के संक्रमण से घबराने की जरूरत नहीं है और लोगों को सावधानी बरतने के लिए जल्द ही दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि सभी अस्पतालों के स्वास्थ्य अमले को अनिवार्य रूप से फेस मास्क पहनने का निर्देश जारी कर दिया जाएगा. एच3एन2 वायरस के संक्रमण में अचानक आई तेजी को देखते हुए मंत्री ने सोमवार को तकनीकी सलाहकार समिति (विशेषज्ञों से बनी) और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की.

सुधाकर ने कहा कि केंद्र सरकार ने अपने दिशानिर्देशों में प्रति सप्ताह 25 परीक्षणों का लक्ष्य निर्धारित किया है और हम विक्टोरिया और वाणी विलासा अस्पतालों में वेरिएंट पर नज़र रखने के लिए SARI (गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण) और ILI (इन्फ्लूएंज़ा जैसी बीमारी) के 25 मामलों की जांच कर रहे हैं. यहां पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि संक्रमण 15 साल से कम उम्र के बच्चों में देखा जा सकता है और 65 साल से ऊपर के वरिष्ठ नागरिकों में भी, गर्भवती महिलाओं के संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है.

उन्होंने कहा कि साफ-सफाई, भीड़भाड़ से बचाव और हाथों की सफाई जैसे उपायों से संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है. मंत्री ने आगे कहा कि इन्फ्लुएंजा टीकाकरण हर साल दिया जाता है और सभी स्वास्थ्य कर्मियों को इसे लेने का निर्देश दिया जाता है. आईसीयू में काम करने वालों सहित विशिष्ट डॉक्टरों और कर्मचारियों के लिए, सरकार द्वारा टीके दिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि यह टीका 2019 तक दिया गया था और बाद में कोविड के कारण बंद कर दिया गया था. अब यह सभी 31 जिलों में फिर से शुरू होगा.

सुधाकर ने कहा कि जनवरी से मार्च तक एच1एन1 के 20 मामलों का पता चला, एच3एन2 के 26 मामले, इन्फ्लुएंजा बी10 के 10 मामले और एडेनो के 69 मामले सामने आए थे. कई खुद एंटीबायोटिक की गोलियां ले रहे हैं. विशेषज्ञों ने कहा है कि बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई लेना और अनावश्यक रूप से एंटीबायोटिक्स लेना सही नहीं है. उन्होंने कहा कि लक्षण के आधार पर दवा देनी होती है, दवा की कोई कमी नहीं है और जरूरी दवा का स्टॉक है.

यह बताते हुए कि गर्मी शुरू होने से पहले ही फरवरी में ही तापमान बढ़ गया है, मंत्री ने सलाह दी कि सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक धूप में निकलने से बचें, कम से कम 2-3 लीटर पानी पीएं, इसके अलावा छाछ और फलों के रस भी पिएं. यह संक्रमण 2-5 दिनों में साफ हो जाएगा. जिन लोगों को पहले कोविड हो चुका है, उन्हें संक्रमित होने पर ज्यादा खांसी होने लगती है.

उन्होंने बताया कि बेंगलुरु में इस संक्रमण के दो मामले मिले हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के विशेषज्ञों ने कहा है कि लगातार खांसी, कभी-कभी बुखार के साथ, पिछले दो से तीन महीनों से देश भर में रिपोर्ट की जा रही है, यह इन्फ्लुएंजा ए उपप्रकार एच3एन2 के कारण है.

पढ़ें: NIA raid in karnataka: पीएम मोदी की पटना रैली में बम प्लांट करने के मामले में एनआईए रेड

वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेटरीज नेटवर्क के माध्यम से श्वसन वायरस के कारण होने वाली बीमारियों पर कड़ी नजर रखने वाले आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने कहा कि एच3एन2, जो पिछले कुछ महीनों से व्यापक प्रचलन में है, अन्य उपप्रकारों की तुलना में अधिक अस्पताल में भर्ती होने का कारण बनता है. इस नए संक्रमण के परीक्षण की कीमत को सीमित करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है. मंत्री ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए उपाय कर रहे हैं कि परीक्षण कम दरों पर उपलब्ध हो. समिति से रिपोर्ट आने के बाद परीक्षण शुल्क निर्धारित किया जाएगा.

बेंगलुरु: कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर ने सोमवार को कहा कि राज्य में इन्फ्लुएंजा ए एच3एन2 प्रकार के वायरस के संक्रमण से घबराने की जरूरत नहीं है और लोगों को सावधानी बरतने के लिए जल्द ही दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि सभी अस्पतालों के स्वास्थ्य अमले को अनिवार्य रूप से फेस मास्क पहनने का निर्देश जारी कर दिया जाएगा. एच3एन2 वायरस के संक्रमण में अचानक आई तेजी को देखते हुए मंत्री ने सोमवार को तकनीकी सलाहकार समिति (विशेषज्ञों से बनी) और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की.

सुधाकर ने कहा कि केंद्र सरकार ने अपने दिशानिर्देशों में प्रति सप्ताह 25 परीक्षणों का लक्ष्य निर्धारित किया है और हम विक्टोरिया और वाणी विलासा अस्पतालों में वेरिएंट पर नज़र रखने के लिए SARI (गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण) और ILI (इन्फ्लूएंज़ा जैसी बीमारी) के 25 मामलों की जांच कर रहे हैं. यहां पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि संक्रमण 15 साल से कम उम्र के बच्चों में देखा जा सकता है और 65 साल से ऊपर के वरिष्ठ नागरिकों में भी, गर्भवती महिलाओं के संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है.

उन्होंने कहा कि साफ-सफाई, भीड़भाड़ से बचाव और हाथों की सफाई जैसे उपायों से संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है. मंत्री ने आगे कहा कि इन्फ्लुएंजा टीकाकरण हर साल दिया जाता है और सभी स्वास्थ्य कर्मियों को इसे लेने का निर्देश दिया जाता है. आईसीयू में काम करने वालों सहित विशिष्ट डॉक्टरों और कर्मचारियों के लिए, सरकार द्वारा टीके दिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि यह टीका 2019 तक दिया गया था और बाद में कोविड के कारण बंद कर दिया गया था. अब यह सभी 31 जिलों में फिर से शुरू होगा.

सुधाकर ने कहा कि जनवरी से मार्च तक एच1एन1 के 20 मामलों का पता चला, एच3एन2 के 26 मामले, इन्फ्लुएंजा बी10 के 10 मामले और एडेनो के 69 मामले सामने आए थे. कई खुद एंटीबायोटिक की गोलियां ले रहे हैं. विशेषज्ञों ने कहा है कि बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई लेना और अनावश्यक रूप से एंटीबायोटिक्स लेना सही नहीं है. उन्होंने कहा कि लक्षण के आधार पर दवा देनी होती है, दवा की कोई कमी नहीं है और जरूरी दवा का स्टॉक है.

यह बताते हुए कि गर्मी शुरू होने से पहले ही फरवरी में ही तापमान बढ़ गया है, मंत्री ने सलाह दी कि सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक धूप में निकलने से बचें, कम से कम 2-3 लीटर पानी पीएं, इसके अलावा छाछ और फलों के रस भी पिएं. यह संक्रमण 2-5 दिनों में साफ हो जाएगा. जिन लोगों को पहले कोविड हो चुका है, उन्हें संक्रमित होने पर ज्यादा खांसी होने लगती है.

उन्होंने बताया कि बेंगलुरु में इस संक्रमण के दो मामले मिले हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के विशेषज्ञों ने कहा है कि लगातार खांसी, कभी-कभी बुखार के साथ, पिछले दो से तीन महीनों से देश भर में रिपोर्ट की जा रही है, यह इन्फ्लुएंजा ए उपप्रकार एच3एन2 के कारण है.

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वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेटरीज नेटवर्क के माध्यम से श्वसन वायरस के कारण होने वाली बीमारियों पर कड़ी नजर रखने वाले आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने कहा कि एच3एन2, जो पिछले कुछ महीनों से व्यापक प्रचलन में है, अन्य उपप्रकारों की तुलना में अधिक अस्पताल में भर्ती होने का कारण बनता है. इस नए संक्रमण के परीक्षण की कीमत को सीमित करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है. मंत्री ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए उपाय कर रहे हैं कि परीक्षण कम दरों पर उपलब्ध हो. समिति से रिपोर्ट आने के बाद परीक्षण शुल्क निर्धारित किया जाएगा.

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