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ज्ञानवापी मस्जिद श्रृंगार गौरी केस में अगली सुनवाई 29 सितंबर को होगी - ज्ञानवापी मामला वाराणसी जिला अदालत

ज्ञानवापी मस्जिद श्रृंगार गौरी केस की नियमित सुनवाई (gyanvapi mosque case hearing) वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेस की अदालत में हुई. अदालत ने मुस्लिम पक्ष की याचिका रद्द करते हुए अगली सुनवाई 29 सितंबर को निर्धारित की है.

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ज्ञानवापी मस्जिद श्रृंगार गौरी केस
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Published : Sep 22, 2022, 9:42 AM IST

Updated : Sep 22, 2022, 7:43 PM IST

वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद श्रृंगार गौरी केस की नियमित सुनवाई (gyanvapi masjid hearing) बृहस्पतिवार को हुई. दोपहर दो बजे के बाद सुनवाई शुरू होने के दौरान अंदर कुल 42 लोग मौजूद थे. कोर्ट ने 8 सप्ताह तक मामले को टालने की मुस्लिम पक्ष की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया. वहीं, अंदर मिले शिवलिंग कार्बन डेटिंग की मांग को लेकर हिंदू पक्ष की याचिका को कोर्ट ने संज्ञान लिया है. इस पर 29 सितंबर को मुस्लिम पक्ष से आपत्ति दाखिल करने के लिए कहा है.

उल्लेखनीय है कि 12 सितंबर को जिला जज की कोर्ट ने अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की आपत्तियों को खारिज करते हुए आदेश दिया था कि श्रृंगार गौरी केस सुनवाई योग्य है. इसके साथ ही सुनवाई की अगली डेट 22 सितंबर तय कर दी थी. जिला जज की कोर्ट के आदेश के खिलाफ मसाजिद कमेटी इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिवीजन पिटीशन दाखिल कर सकती है. मसाजिद कमेटी की रिवीजन पिटीशन के मद्देनजर हिंदू पक्ष की महिलाओं की ओर से हाईकोर्ट में कैविएट पिटीशन दाखिल की जा चुकी है, ताकि अदालत कोई भी आदेश देने से पहले वादिनी महिलाओं का पक्ष जरूर सुने.

कोर्ट ने इस मामले में अब 29 सितंबर को 1/10 की याचिका के तहत इस मुकदमे में वादी बनने के लिए दी गई याचिका पर सुनवाई आगे बढ़ाने की बात कही है. वहीं न्यायालय में आज हिंदू पक्ष की तरफ से ज्ञानवापी परिसर में मिले तथाकथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग की याचिका पर बहस को आगे बढ़ाते हुए न्यायालय ने इस मामले में मुस्लिम पक्ष को 29 सितंबर को आपत्ति दाखिल करने का वक्त दिया है. वहीं मुस्लिम पक्ष की तरफ से पूरे मामले पर 8 सप्ताह बाद सुनवाई आगे बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए दी गई एप्लीकेशन पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इसे खारिज कर दिया है और सुनवाई नियमित रूप से जारी रखने के आदेश दिए हैं.

जिला जज न्यायालय डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में हिंदू पक्ष की तरफ से कार्बन डेटिंग की मांग रखे जाने के बाद हिंदू पक्ष अब इसे अपनी अगली बड़ी जीत के रूप में मान रहा है. हिंदू पक्ष के वकील विष्णुशंकर जैन का कहना है कि कार्बन डेटिंग की मांग पहले ही की गई थी और आज इस पर न्यायालय ने सुनवाई शुरू करते हुए हमारी याचिका को संज्ञान में ले लिया है.

बात दें कि 18 अगस्त 2021 को विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन के नेतृत्व में दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक व लक्ष्मी देवी ने सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया था. पांचों महिलाओं ने मांग की थी कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मां शृंगार गौरी के मंदिर में नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति मिले. इसके साथ ही ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों की सुरक्षा के लिए मुकम्मल इंतजाम हो. कोर्ट ने मौके की स्थिति जानने के लिए कमीशन गठित करते हुए अधिवक्ता कमिश्नर नियुक्त करने और तीन दिन के अंदर पैरवी का आदेश दिया था. इसके विरोध में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी का कहना था कि श्रृंगार गौरी केस सुनवाई के योग्य नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के क्रम में वाराणसी के जिला जज ने आदेश सुनाया कि श्रृंगार गौरी केस सुनवाई योग्य है.

ये भी पढ़ें-इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस बढ़ोतरी पर विधान परिषद में जमकर हंगामा, वेल में पहुंचे सपा के सदस्य

फिलहाल गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान कुल 42 लोग अंदर मौजूद थे. जिनमें 16 लोगों के तरफ से दायर की गई पक्षकार बनने की याचिका पर सिर्फ 9 लोग ही न्यायालय पहुंचे थे. जिसके बाद न्यायालय की तरफ से सभी को प्रमाण के साथ 29 सितंबर को मौजूद रहने का आदेश दिया गया है. ताकि पक्षकार बनने को लेकर न्यायालय निर्णय ले सके.

ये भी पढ़ें- राजू श्रीवास्तव ने इस गांव में किया था अपना पहला स्टेज शो, गजोधर नाम भी यहीं खोजा था

वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद श्रृंगार गौरी केस की नियमित सुनवाई (gyanvapi masjid hearing) बृहस्पतिवार को हुई. दोपहर दो बजे के बाद सुनवाई शुरू होने के दौरान अंदर कुल 42 लोग मौजूद थे. कोर्ट ने 8 सप्ताह तक मामले को टालने की मुस्लिम पक्ष की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया. वहीं, अंदर मिले शिवलिंग कार्बन डेटिंग की मांग को लेकर हिंदू पक्ष की याचिका को कोर्ट ने संज्ञान लिया है. इस पर 29 सितंबर को मुस्लिम पक्ष से आपत्ति दाखिल करने के लिए कहा है.

उल्लेखनीय है कि 12 सितंबर को जिला जज की कोर्ट ने अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की आपत्तियों को खारिज करते हुए आदेश दिया था कि श्रृंगार गौरी केस सुनवाई योग्य है. इसके साथ ही सुनवाई की अगली डेट 22 सितंबर तय कर दी थी. जिला जज की कोर्ट के आदेश के खिलाफ मसाजिद कमेटी इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिवीजन पिटीशन दाखिल कर सकती है. मसाजिद कमेटी की रिवीजन पिटीशन के मद्देनजर हिंदू पक्ष की महिलाओं की ओर से हाईकोर्ट में कैविएट पिटीशन दाखिल की जा चुकी है, ताकि अदालत कोई भी आदेश देने से पहले वादिनी महिलाओं का पक्ष जरूर सुने.

कोर्ट ने इस मामले में अब 29 सितंबर को 1/10 की याचिका के तहत इस मुकदमे में वादी बनने के लिए दी गई याचिका पर सुनवाई आगे बढ़ाने की बात कही है. वहीं न्यायालय में आज हिंदू पक्ष की तरफ से ज्ञानवापी परिसर में मिले तथाकथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग की याचिका पर बहस को आगे बढ़ाते हुए न्यायालय ने इस मामले में मुस्लिम पक्ष को 29 सितंबर को आपत्ति दाखिल करने का वक्त दिया है. वहीं मुस्लिम पक्ष की तरफ से पूरे मामले पर 8 सप्ताह बाद सुनवाई आगे बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए दी गई एप्लीकेशन पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इसे खारिज कर दिया है और सुनवाई नियमित रूप से जारी रखने के आदेश दिए हैं.

जिला जज न्यायालय डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में हिंदू पक्ष की तरफ से कार्बन डेटिंग की मांग रखे जाने के बाद हिंदू पक्ष अब इसे अपनी अगली बड़ी जीत के रूप में मान रहा है. हिंदू पक्ष के वकील विष्णुशंकर जैन का कहना है कि कार्बन डेटिंग की मांग पहले ही की गई थी और आज इस पर न्यायालय ने सुनवाई शुरू करते हुए हमारी याचिका को संज्ञान में ले लिया है.

बात दें कि 18 अगस्त 2021 को विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन के नेतृत्व में दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक व लक्ष्मी देवी ने सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया था. पांचों महिलाओं ने मांग की थी कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मां शृंगार गौरी के मंदिर में नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति मिले. इसके साथ ही ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों की सुरक्षा के लिए मुकम्मल इंतजाम हो. कोर्ट ने मौके की स्थिति जानने के लिए कमीशन गठित करते हुए अधिवक्ता कमिश्नर नियुक्त करने और तीन दिन के अंदर पैरवी का आदेश दिया था. इसके विरोध में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी का कहना था कि श्रृंगार गौरी केस सुनवाई के योग्य नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के क्रम में वाराणसी के जिला जज ने आदेश सुनाया कि श्रृंगार गौरी केस सुनवाई योग्य है.

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फिलहाल गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान कुल 42 लोग अंदर मौजूद थे. जिनमें 16 लोगों के तरफ से दायर की गई पक्षकार बनने की याचिका पर सिर्फ 9 लोग ही न्यायालय पहुंचे थे. जिसके बाद न्यायालय की तरफ से सभी को प्रमाण के साथ 29 सितंबर को मौजूद रहने का आदेश दिया गया है. ताकि पक्षकार बनने को लेकर न्यायालय निर्णय ले सके.

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Last Updated : Sep 22, 2022, 7:43 PM IST
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