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MP की सबसे बड़ी गौशाला में 'म्यूजिक थेरेपी' बनी वरदान, बांसुरी की तान घायल गायों को निकाल रही मौत के मुंह से बाहर

मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी गौशाला में बीमार गायों को 'म्यूजिक थेरेपी' दी जा रही है. बांसुरी की तान सुनकर घायल गायें मौत के मुंह से निकलकर बाहर आ रही हैं. पढ़िए ईटीवी भारत के ग्वालियर से संवाददाता अनिल गौर की खास रिपोर्ट...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 16, 2023, 9:55 PM IST

Updated : Sep 16, 2023, 10:54 PM IST

mp biggest gaushala using music therapy
गौशाला में बीमार गायों को 'म्यूजिक थेरेपी
गौशाला में बीमार गायों को 'म्यूजिक थेरेपी

ग्वालियर। कहते हैं कि संगीत वह कला है जिसे बेजुबान भी समझता है. ऐसा ही नजारा इन दोनों मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी आदर्श गौशाला में देखा जा रहा है. जहां पर पहुंचने वाले बीमार गौवंश को इलाज के साथ-साथ म्यूजिक थेरेपी से ठीक किया जा रहा है. जब इस गौशाला में डॉक्टर घायल अवस्था में पड़ी गायों का इलाज करते हैं तो उस दौरान बांसुरी की धुन उन्हें सुनाई जाती है. ऐसा अद्भुत दावा है कि इस गौशाला में बांसुरी सुनकर बीमार पड़ी गायें मौत के मुंह से लौट आती हैं.

बांसुरी की तान से 80 फीसदी गाए हो रही ठीक: वेदों मे भी लिखा है कि द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण और गायों के मध्य की जो कड़ी थी वो बांसुरी और उससे निकलने वाला सुरीला संगीत था. जिसे सुनकर वृंदावन में गाय दौड़ी चली आती थीं. मुरली की तान में इतनी ताकत है कि इसे सुनकर गंभीर घायल और बीमार गाय स्वस्थ हो जाती हैं. शायद इसीलिए गौशाला के संत दावा करते हैं कि इस प्रयोग से 80 फीसदी से ज्यादा मरणासन्न गाए ठीक होकर अपने पैरों पर खड़ी हो जाती है.

द्वापर युग में भगवान कृष्ण गायों को सुनाते थे मुरली: मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी ग्वालियर की आदर्श गौशाला में इलाज के लिए रोजाना करीब 8 से 10 गाय बाहर से आती हैं, इनमें से कई गाये घायल हालत में, गंभीर और मरणासन्न जैसी रहती है. गायों के इलाज के लिए नगर निगम के डॉक्टरों की टीम तो आती ही है लेकिन साथ ही करीब एक दर्जन से ज्यादा सेवादार आते हैं जो इन गायों को बांसुरी के माध्यम से भजन सुनते हैं. उनका कहना है कि बांसुरी की तान से वह जल्द ठीक हो जाती हैं. वह कहते हैं कि ''द्वापर युग में जब भगवान कृष्ण गायों को मुरली सुनाते थे तो वह प्रसन्न हो जाती थीं, झूम उठती थीं. आज के दौर में इन गंभीर घायल गायों को जब इलाज के दौरान बांसुरी सुनाई जाती है तो उन्हें एक सकारात्मक माहौल मिलता है और वह अपनी बीमारी से लड़ने में मजबूत होती है और जल्द ठीक हो जाती है.''

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बेजुबानों को संगीत सुनाकर मिलती है शांति: इन घायल गायों का इलाज कर रहे डॉक्टर का कहना है कि ''दवा के साथ दुआ मिलती है, तो बीमारी जल्द ठीक हो जाते हैं. यह बात सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि बेजुबानों के ऊपर भी लागू होती है. यही वजह है कि द्वापर से लेकर आज कलयुग में भी मुरली की तान सुनकर गाय ठीक हो रही हैं. इन गायों को मुरली सुनाने वाले गौ सेवकों की माने तो इन बेजुबानों को संगीत सुनाकर मन में असीम शांति का अनुभव होता है.''

गायों के लिए वरदान म्यूजिक थैरेपी: मध्य प्रदेश की आदर्श गौशाला में तकरीबन रोज एक दर्जन से अधिक गए ऐसी आती है जो गंभीर होती है या फिर मरणासन्न अवस्था में उन्हें लाया जाता है. उसके बाद यहां पर डॉक्टर के द्वारा इलाज किया जाता है. इसके साथ ही बांसुरी की तान पर उन्हें मधुर राग सुनाई जाते हैं. घायल अवस्था में आने वाली इन गायों को इलाज के साथ-साथ दी जा रही म्यूजिक थेरेपी एक तरह से इन गायों के लिए वरदान साबित हो रही है और मुरली की तान को सुनकर मौत के मुंह से बाहर आ रही हैं.

गौशाला में बीमार गायों को 'म्यूजिक थेरेपी

ग्वालियर। कहते हैं कि संगीत वह कला है जिसे बेजुबान भी समझता है. ऐसा ही नजारा इन दोनों मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी आदर्श गौशाला में देखा जा रहा है. जहां पर पहुंचने वाले बीमार गौवंश को इलाज के साथ-साथ म्यूजिक थेरेपी से ठीक किया जा रहा है. जब इस गौशाला में डॉक्टर घायल अवस्था में पड़ी गायों का इलाज करते हैं तो उस दौरान बांसुरी की धुन उन्हें सुनाई जाती है. ऐसा अद्भुत दावा है कि इस गौशाला में बांसुरी सुनकर बीमार पड़ी गायें मौत के मुंह से लौट आती हैं.

बांसुरी की तान से 80 फीसदी गाए हो रही ठीक: वेदों मे भी लिखा है कि द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण और गायों के मध्य की जो कड़ी थी वो बांसुरी और उससे निकलने वाला सुरीला संगीत था. जिसे सुनकर वृंदावन में गाय दौड़ी चली आती थीं. मुरली की तान में इतनी ताकत है कि इसे सुनकर गंभीर घायल और बीमार गाय स्वस्थ हो जाती हैं. शायद इसीलिए गौशाला के संत दावा करते हैं कि इस प्रयोग से 80 फीसदी से ज्यादा मरणासन्न गाए ठीक होकर अपने पैरों पर खड़ी हो जाती है.

द्वापर युग में भगवान कृष्ण गायों को सुनाते थे मुरली: मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी ग्वालियर की आदर्श गौशाला में इलाज के लिए रोजाना करीब 8 से 10 गाय बाहर से आती हैं, इनमें से कई गाये घायल हालत में, गंभीर और मरणासन्न जैसी रहती है. गायों के इलाज के लिए नगर निगम के डॉक्टरों की टीम तो आती ही है लेकिन साथ ही करीब एक दर्जन से ज्यादा सेवादार आते हैं जो इन गायों को बांसुरी के माध्यम से भजन सुनते हैं. उनका कहना है कि बांसुरी की तान से वह जल्द ठीक हो जाती हैं. वह कहते हैं कि ''द्वापर युग में जब भगवान कृष्ण गायों को मुरली सुनाते थे तो वह प्रसन्न हो जाती थीं, झूम उठती थीं. आज के दौर में इन गंभीर घायल गायों को जब इलाज के दौरान बांसुरी सुनाई जाती है तो उन्हें एक सकारात्मक माहौल मिलता है और वह अपनी बीमारी से लड़ने में मजबूत होती है और जल्द ठीक हो जाती है.''

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बेजुबानों को संगीत सुनाकर मिलती है शांति: इन घायल गायों का इलाज कर रहे डॉक्टर का कहना है कि ''दवा के साथ दुआ मिलती है, तो बीमारी जल्द ठीक हो जाते हैं. यह बात सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि बेजुबानों के ऊपर भी लागू होती है. यही वजह है कि द्वापर से लेकर आज कलयुग में भी मुरली की तान सुनकर गाय ठीक हो रही हैं. इन गायों को मुरली सुनाने वाले गौ सेवकों की माने तो इन बेजुबानों को संगीत सुनाकर मन में असीम शांति का अनुभव होता है.''

गायों के लिए वरदान म्यूजिक थैरेपी: मध्य प्रदेश की आदर्श गौशाला में तकरीबन रोज एक दर्जन से अधिक गए ऐसी आती है जो गंभीर होती है या फिर मरणासन्न अवस्था में उन्हें लाया जाता है. उसके बाद यहां पर डॉक्टर के द्वारा इलाज किया जाता है. इसके साथ ही बांसुरी की तान पर उन्हें मधुर राग सुनाई जाते हैं. घायल अवस्था में आने वाली इन गायों को इलाज के साथ-साथ दी जा रही म्यूजिक थेरेपी एक तरह से इन गायों के लिए वरदान साबित हो रही है और मुरली की तान को सुनकर मौत के मुंह से बाहर आ रही हैं.

Last Updated : Sep 16, 2023, 10:54 PM IST
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