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गुजरात: बेटे की हत्या कर आदमी ने की आत्महत्या, पत्नी पर उकसाने का मामला दर्ज

गुजरात के वडोदरा जिले में एक व्यक्ति के द्वारा अपने बेटे की हत्या कर देने के बाद आत्महत्या कर ली गई थी. इस मामले में मृतक की पत्नी के खिलाफ व्यक्ति को सुसाइड करने के लिए उकसाने का केस दर्ज किया है.

gujarat police
गुजरात पुलिस
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Published : Jan 8, 2023, 7:13 PM IST

वडोदरा : गुजरात के वडोदरा जिले में एक व्यक्ति ने अपने 11 वर्षीय बेटे की कथित तौर पर हत्या कर दी और उसके बाद अपने घर में आत्महत्या कर ली. पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी. एक अधिकारी ने कहा कि शनिवार को घटनास्थल से बरामद एक पत्र के आधार पर मृतक व्यक्ति की पत्नी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया. सहायक पुलिस आयुक्त एम. पी. भोजानी ने कहा कि वडोदरा शहर के बाहरी बापोड़ इलाके में शनिवार को परेश सिकलीगर (32) और उनका बेटा चर्मिश अपने घर में मृत मिले.

उन्होंने कहा, 'बापोड़ थाने के अधिकारी जब घटनास्थल पर पहुंचे तो उन्होंने परेश और उनके बेटे चर्मिश को अलग-अलग कमरों में लटका पाया.' उन्होंने कहा कि सिकलीगर ने पहले अपने बेटे की हत्या की, फिर अपने फ्लैट के दूसरे कमरे में फांसी लगा ली. भोजानी ने कहा कि घटनास्थल से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें पीड़ित ने दावा किया है कि उसकी पत्नी का व्यवहार बहुत कठोर था और उसे परेशान करती थी, इसलिए वह इतना बड़ा कदम उठा रहा है.

उन्होंने कहा कि पीड़ित ऑटोरिक्शा चालक था और दंपति की शादी को करीब 15 साल हो गए थे. अधिकारी ने कहा कि पीड़ित की पत्नी आशाबेन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत मामला दर्ज किया गया और आगे की जांच की जा रही है. बता दें कि गुजरात में पिछले आठ सालों में 17,908 मजदूरों ने आत्महत्या की है. आखिरकार साल 2021 में 3,206 मजदूरों ने आत्महत्या की, यानी गुजरात में हर दिन 8 से 9 मजदूरों की जान गई है. इस दौरान मजदूरों की आत्महत्या के मामले में गुजरात देश में छठे स्थान पर है. हाल ही में केंद्र सरकार के गृह विभाग द्वारा जारी आंकड़ों में यह जानकारी सामने आई है.

बताया जाता है कि महंगाई, आर्थिक हिंसा सहित विभिन्न कारणों से रोज कमाने खाने वाला मजदूर वर्ग परेशान है, इन मजदूरों की आत्महत्या की दर लगातार बढ़ रही है, जो चिंता का विषय है. 2014 में गुजरात में कुल 669 मजदूरों ने आत्महत्या की, इसके बाद 2015 में 2,038 मजदूरों ने आत्महत्या की. इसी तरह, 2016 में 1,939, 2017 में 2,131, 2018 में 2,522, 2019 में 2,649, 2020 में 2,754 और 2021 में 3,206 मजदूरों ने जान गंवाई. मजदूरों के जीवन स्तर में सुधार के लिए सरकार ने विभिन्न लाभ योजनाओं की घोषणा की है, स्वास्थ्य जैसे लाभ प्राप्त करने के लिए आयुष्मान कार्ड, वृद्धावस्था में पेंशन के लिए प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना, मानधन योजना में श्रमिक मासिक के 60 वर्ष पूरे करने पर तीन हजार पेंशन देने की योजना लागू की गई है.

ये भी पढ़ें - कर्नाटक: उद्योगपति के सुसाइड मामले ने लिया राजनीतिक रंग, विपक्षी कांग्रेस ने कहा हत्या है

(इनपुट-भाषा)

वडोदरा : गुजरात के वडोदरा जिले में एक व्यक्ति ने अपने 11 वर्षीय बेटे की कथित तौर पर हत्या कर दी और उसके बाद अपने घर में आत्महत्या कर ली. पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी. एक अधिकारी ने कहा कि शनिवार को घटनास्थल से बरामद एक पत्र के आधार पर मृतक व्यक्ति की पत्नी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया. सहायक पुलिस आयुक्त एम. पी. भोजानी ने कहा कि वडोदरा शहर के बाहरी बापोड़ इलाके में शनिवार को परेश सिकलीगर (32) और उनका बेटा चर्मिश अपने घर में मृत मिले.

उन्होंने कहा, 'बापोड़ थाने के अधिकारी जब घटनास्थल पर पहुंचे तो उन्होंने परेश और उनके बेटे चर्मिश को अलग-अलग कमरों में लटका पाया.' उन्होंने कहा कि सिकलीगर ने पहले अपने बेटे की हत्या की, फिर अपने फ्लैट के दूसरे कमरे में फांसी लगा ली. भोजानी ने कहा कि घटनास्थल से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें पीड़ित ने दावा किया है कि उसकी पत्नी का व्यवहार बहुत कठोर था और उसे परेशान करती थी, इसलिए वह इतना बड़ा कदम उठा रहा है.

उन्होंने कहा कि पीड़ित ऑटोरिक्शा चालक था और दंपति की शादी को करीब 15 साल हो गए थे. अधिकारी ने कहा कि पीड़ित की पत्नी आशाबेन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत मामला दर्ज किया गया और आगे की जांच की जा रही है. बता दें कि गुजरात में पिछले आठ सालों में 17,908 मजदूरों ने आत्महत्या की है. आखिरकार साल 2021 में 3,206 मजदूरों ने आत्महत्या की, यानी गुजरात में हर दिन 8 से 9 मजदूरों की जान गई है. इस दौरान मजदूरों की आत्महत्या के मामले में गुजरात देश में छठे स्थान पर है. हाल ही में केंद्र सरकार के गृह विभाग द्वारा जारी आंकड़ों में यह जानकारी सामने आई है.

बताया जाता है कि महंगाई, आर्थिक हिंसा सहित विभिन्न कारणों से रोज कमाने खाने वाला मजदूर वर्ग परेशान है, इन मजदूरों की आत्महत्या की दर लगातार बढ़ रही है, जो चिंता का विषय है. 2014 में गुजरात में कुल 669 मजदूरों ने आत्महत्या की, इसके बाद 2015 में 2,038 मजदूरों ने आत्महत्या की. इसी तरह, 2016 में 1,939, 2017 में 2,131, 2018 में 2,522, 2019 में 2,649, 2020 में 2,754 और 2021 में 3,206 मजदूरों ने जान गंवाई. मजदूरों के जीवन स्तर में सुधार के लिए सरकार ने विभिन्न लाभ योजनाओं की घोषणा की है, स्वास्थ्य जैसे लाभ प्राप्त करने के लिए आयुष्मान कार्ड, वृद्धावस्था में पेंशन के लिए प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना, मानधन योजना में श्रमिक मासिक के 60 वर्ष पूरे करने पर तीन हजार पेंशन देने की योजना लागू की गई है.

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(इनपुट-भाषा)

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