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गुजरात उच्च न्यायालय ने पूर्व डीजीपी श्रीकुमार को नियमित जमानत दी - bail to ex DGP

आरबी श्रीकुमार को पिछले साल राज्य पुलिस ने जाली दस्तावेज बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया था. तब से पूरा मामला अहमदाबाद सेशन्स कोर्ट में चल रहा है. श्रीकुमार को पहली बार 28 सितंबर को गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा अंतरिम जमानत दी गई थी. पढ़ें पूरी खबरें...

Gujarat HC
प्रतिकात्मक तस्वीर
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Published : Aug 6, 2023, 8:43 AM IST

अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य में 2002 में हुए दंगों के सिलसिले में लोगों को कथित तौर पर फंसाने के इरादे से सबूत गढ़ने के मामले में पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर बी श्रीकुमार को नियमित जमानत दे दी है. उच्च न्यायालय ने श्रीकुमार को यह राहत उच्चतम न्यायालय द्वारा इसी मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत देने के करीब दो सप्ताह बाद दी. न्यायमूर्ति इलेश वोरा की अदालत ने पहले से ही अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर श्रीकुमार को 25 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी. साथ ही पासपोर्ट जमा कराने का निर्देश दिया.

नियमित जमानत पर सुनवाई से पहले थोड़े समय के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है. इससे पहले उच्च न्यायालय ने अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा- 468 (धोखाधड़ी के लिए फर्जीवाड़ा) और धारा- 194 (मौत की सजा वाले अपराध के मामले में किसी की दोषसिद्धि कराने के इरादे से फर्जी सबूत देना या गढ़ना) के तहत दर्ज मामले में आरोपी बनाए गए तीन लोगों में से एक तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी. सीतलवाड़ को उच्चतम न्यायालय ने 19 जुलाई को नियमित जमानत दी थी.

उच्च न्यायालय ने श्रीकुमार को जमानत देते हुए टिप्पणी की कि पूरा मामला दस्तावेजी सबूतों पर आधारित है, जो इस समय जांच एजेंसी के पास है. अदालत ने यह भी कहा कि आवेदक की उम्र 75 साल है और वह उम्र संबंधी बीमारियों का सामना कर रहा है और उसके अंतरिम जमानत के दौरान मिली आजादी का दुरुपयोग करने की भी कोई सूचना नहीं है.

अदालत ने आदेश में कहा कि मैं उन्हें जमानत पर रिहा करने का इच्छुक हूं. राज्य सरकार ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि कथित अपराध बहुत ही 'जघन्य' है और प्रथम दृष्टया उसके खिलाफ मामला बनता है. उच्चतम न्यायालय द्वारा जून 2022 में जकिया जाफरी की अर्जी खारिज किए जाने के बाद श्रीकुमार, सीतलवाड़ और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. जकिया के पति और कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की 2002 के दंगों में हत्या कर दी गई थी.

क्या है मामला : 2002 में गुजरात में हुए दंगों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात को बदनाम करने की कोशिश करने के आरोप वाले एक केस में तीस्ता सीतलवाड़, पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के खिलाफ एसआईटी जांच चल रही है. फिलहाल सेशन्स कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है. यहां बता दें कि इस मामले में तीनों आरोपियों के खिलाफ चार्ज फ्रेम प्रक्रिया की सुनवाई सेशन्स कोर्ट में चल रही है.

पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात HC के ऑर्डर पर लगाई रोक, तीस्ता सीतलवाड़ को दी अंतरिम राहत

इससे पहले इस मामले में आर.बी.श्री कुमार ने डिस्चार्ज की अर्जी दी थी जिसे खारिज कर दिया गया है. यह भी महत्वपूर्ण है कि तीस्ता सीतलवाड ने डिस्चार्ज के लिए आवेदन किया था. जिसे भी खारिज कर दिया गया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत दे दी. पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट ने भी आरोपमुक्त करने के लिए अर्जी दाखिल की है. जिसका सरकार ने विरोध किया है.

(अतिरिक्त इनपुट भाषा)

अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य में 2002 में हुए दंगों के सिलसिले में लोगों को कथित तौर पर फंसाने के इरादे से सबूत गढ़ने के मामले में पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर बी श्रीकुमार को नियमित जमानत दे दी है. उच्च न्यायालय ने श्रीकुमार को यह राहत उच्चतम न्यायालय द्वारा इसी मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत देने के करीब दो सप्ताह बाद दी. न्यायमूर्ति इलेश वोरा की अदालत ने पहले से ही अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर श्रीकुमार को 25 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी. साथ ही पासपोर्ट जमा कराने का निर्देश दिया.

नियमित जमानत पर सुनवाई से पहले थोड़े समय के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है. इससे पहले उच्च न्यायालय ने अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा- 468 (धोखाधड़ी के लिए फर्जीवाड़ा) और धारा- 194 (मौत की सजा वाले अपराध के मामले में किसी की दोषसिद्धि कराने के इरादे से फर्जी सबूत देना या गढ़ना) के तहत दर्ज मामले में आरोपी बनाए गए तीन लोगों में से एक तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी. सीतलवाड़ को उच्चतम न्यायालय ने 19 जुलाई को नियमित जमानत दी थी.

उच्च न्यायालय ने श्रीकुमार को जमानत देते हुए टिप्पणी की कि पूरा मामला दस्तावेजी सबूतों पर आधारित है, जो इस समय जांच एजेंसी के पास है. अदालत ने यह भी कहा कि आवेदक की उम्र 75 साल है और वह उम्र संबंधी बीमारियों का सामना कर रहा है और उसके अंतरिम जमानत के दौरान मिली आजादी का दुरुपयोग करने की भी कोई सूचना नहीं है.

अदालत ने आदेश में कहा कि मैं उन्हें जमानत पर रिहा करने का इच्छुक हूं. राज्य सरकार ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि कथित अपराध बहुत ही 'जघन्य' है और प्रथम दृष्टया उसके खिलाफ मामला बनता है. उच्चतम न्यायालय द्वारा जून 2022 में जकिया जाफरी की अर्जी खारिज किए जाने के बाद श्रीकुमार, सीतलवाड़ और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. जकिया के पति और कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की 2002 के दंगों में हत्या कर दी गई थी.

क्या है मामला : 2002 में गुजरात में हुए दंगों के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात को बदनाम करने की कोशिश करने के आरोप वाले एक केस में तीस्ता सीतलवाड़, पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के खिलाफ एसआईटी जांच चल रही है. फिलहाल सेशन्स कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है. यहां बता दें कि इस मामले में तीनों आरोपियों के खिलाफ चार्ज फ्रेम प्रक्रिया की सुनवाई सेशन्स कोर्ट में चल रही है.

पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात HC के ऑर्डर पर लगाई रोक, तीस्ता सीतलवाड़ को दी अंतरिम राहत

इससे पहले इस मामले में आर.बी.श्री कुमार ने डिस्चार्ज की अर्जी दी थी जिसे खारिज कर दिया गया है. यह भी महत्वपूर्ण है कि तीस्ता सीतलवाड ने डिस्चार्ज के लिए आवेदन किया था. जिसे भी खारिज कर दिया गया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत दे दी. पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट ने भी आरोपमुक्त करने के लिए अर्जी दाखिल की है. जिसका सरकार ने विरोध किया है.

(अतिरिक्त इनपुट भाषा)

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