अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय (Gujarat HC) ने मोरबी पुल हादसे का स्वत: संज्ञान लेते हुए सोमवार को राज्य सरकार और स्थानीय अधिकारियों को नोटिस जारी किया तथा 14 नवंबर तक इस विषय में स्थिति रिपोर्ट मांगी है. मोरबी में ब्रिटिश काल का केबल पुल 30 अक्टूबर को टूट कर गिर गया था. इस हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई थी. एक निजी कंपनी द्वारा मरम्मत किए जाने के बाद पुल को 26 अक्टूबर को लोगों के लिए फिर से खोला गया था.
मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री की एक खंडपीठ ने अदालत में मौजूद महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी से कहा, "हमने मारेबी पुल हादसे का स्वत: संज्ञान लिया है." उच्च न्यायालय ने एक समाचार पत्र की खबर के आधार पर घटना का स्वत: संज्ञान लिया. उच्च न्यायालय ने राज्य के मुख्य सचिव के जरिए गुजरात सरकार, राज्य के गृह विभाग, नगर पालिकाओं के आयुक्त, मोरबी नगर पालिका, जिलाधिकारी तथा राज्य मानवाधिकार आयोग को नोटिस जारी किया और मामले को 14 नवंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया.
अदालत ने कहा कि वह सरकार द्वारा कुछ कार्रवाई किये जाते देखना चाहती है और मुख्य सचिव तथा गृह सचिव अगले सोमवार तक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें, जब विषय की सुनवाई की जाएगी. राज्य के मानवाधिकार आयोग को भी 14 नवंबर तक मामले पर एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है. अदालत ने कहा, "हम राज्य, गृह विभाग, मुख्य सचिव, मोरबी नगर पालिका, शहरी विकास प्राधिकरण, नगर पालिकाओं के आयुक्त को भी पक्षकार बनाएंगे. साथ ही, हम राज्य मानवाधिकार आयोग को भी इसमें शामिल करना चाहते हैं."
अदालत ने कहा, "राज्य मानवाधिकार आयोग अगली सुनवाई तक इस संबंध में रिपोर्ट दाखिल करे. रजिस्ट्री को इस आदेश को विशेष संदेशवाहक के माध्यम से प्रतिवादी संख्या पांच यानी राज्य मानवाधिकार आयोग के पास पहुंचाने का निर्देश दिया जाता है." नगरपालिका के दस्तावेजों के अनुसार, मोरबी में घड़ी और ई-बाइक बनाने वाली कंपनी 'ओरेवा ग्रुप' को शहर की नगर पालिका ने पुल की मरम्मत करने तथा संचालित करने के लिए 15 साल तक का ठेका दिया गया. पुलिस ने मामले में अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से चार लोग 'ओरेवा ग्रुप' से हैं. पुल के रखरखाव और संचालन की जिम्मदारी संभालने वाली कंपनियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है.
(पीटीआई-भाषा)