ETV Bharat / bharat

मोदी की डिग्री मामला: अदालत ने केजरीवाल की पुनरीक्षण याचिका खारिज की - मोदी की डिग्री मामला

गुजरात हाई कोर्ट ने पीएम नरेन्द्र मोदी की शैक्षणिक डिग्री के बारे में जानकारी देने के लिए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है. पढ़िए पूरी खबर... Modi degree case, Gujarat High Court, Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal,Prime Minister Narendra Modi

Gujarat High Court
गुजरात उच्च न्यायालय
author img

By PTI

Published : Nov 9, 2023, 4:28 PM IST

अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की वह याचिका गुरुवार को खारिज कर दी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शैक्षणिक डिग्री के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के गुजरात विश्वविद्यालय को दिए गए निर्देश को रद्द करने के उसके पहले के आदेश के पुनरीक्षण का अनुरोध किया गया था. न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव ने जून में दायर आम आदमी पार्टी (आप) के नेता केजरीवाल की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी. सितंबर में दोनों पक्षों की ओर से अंतिम दलीलों के बाद उच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

न्यायमूर्ति वैष्णव ने गत मार्च में सीआईसी के आदेश के खिलाफ विश्वविद्यालय की अपील स्वीकार करते हुए केंद्रीय सूचना आयोग के उस निर्देश को रद्द कर दिया था जिसमें गुजरात विश्वविद्यालय को प्रधानमंत्री मोदी की मास्टर ऑफ आर्ट्स (एमए) की डिग्री को लेकर केजरीवाल को जानकारी प्रदान करने के लिए कहा गया था. न्यायाधीश ने आम आदमी पार्टी के नेता केजरीवाल पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

केजरीवाल की पुनरीक्षण याचिका में उल्लेखित प्रमुख दलीलों में से एक यह भी थी कि मोदी की डिग्री ऑनलाइन उपलब्ध होने के गुजरात विश्वविद्यालय के दावे के विपरीत, विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. पिछली सुनवाई के दौरान, केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पर्सी कविना ने न्यायमूर्ति वैष्णव से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था और दावा किया था कि गुजरात विश्वविद्यालय ने कभी भी मोदी की डिग्री को अपनी वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया, जैसा कि अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया था.

गुजरात विश्वविद्यालय की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि केजरीवाल की पुनरीक्षण याचिका का उद्देश्य बिना किसी कारण के विवाद को बनाये रखना है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत किसी छात्र की डिग्री साझा करने से छूट है, जब तक ऐसा सार्वजनिक हित में न हो, लेकिन गुजरात विश्वविद्यालय प्रबंधन ने जून 2016 में अपनी वेबसाइट पर डिग्री अपलोड की और याचिकाकर्ता को इसके बारे में सूचित किया.

अप्रैल 2016 में, तत्कालीन मुख्य सूचना आयुक्त आचार्युलु ने दिल्ली विश्वविद्यालय और गुजरात विश्वविद्यालय को मोदी की डिग्रियों के बारे में केजरीवाल को जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया था. सीआईसी का आदेश केजरीवाल द्वारा आचार्युलु को लिखे पत्र के एक दिन बाद आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर उनके (केजरीवाल) बारे में सरकारी रिकॉर्ड सार्वजनिक किए जाते हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.

पत्र में केजरीवाल ने यह भी सवाल किया था कि आयोग मोदी की शैक्षणिक योग्यता के बारे में जानकारी क्यों छिपाना चाहता है. हालांकि गुजरात विश्वविद्यालय ने सीआईसी के आदेश पर आपत्ति जताते हुए कहा कि किसी की गैरजिम्मेदाराना बचकानी जिज्ञासा आरटीआई कानून के तहत सार्वजनिक हित नहीं बन सकती. मेहता ने उच्च न्यायालय को बताया था कि छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है क्योंकि प्रधानमंत्री की डिग्री के बारे में जानकारी पहले से ही सार्वजनिक है और विश्वविद्यालय ने एक विशेष तारीख को अपनी वेबसाइट पर जानकारी डाल दी थी.

हालांकि केजरीवाल की पुनरीक्षण याचिका में कहा गया था कि विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर कोई डिग्री उपलब्ध नहीं है. इसके बजाय, ऑफिस रजिस्टर (ओआर) के रूप में वर्णित एक दस्तावेज़ प्रदर्शित किया गया है जो एक डिग्री से अलग है.

ये भी पढ़ें - PM Degree row: SC से पीएम मोदी की शैक्षणिक डिग्री मानहानि मामले में केजरीवाल की याचिका खारिज

अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की वह याचिका गुरुवार को खारिज कर दी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शैक्षणिक डिग्री के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के गुजरात विश्वविद्यालय को दिए गए निर्देश को रद्द करने के उसके पहले के आदेश के पुनरीक्षण का अनुरोध किया गया था. न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव ने जून में दायर आम आदमी पार्टी (आप) के नेता केजरीवाल की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी. सितंबर में दोनों पक्षों की ओर से अंतिम दलीलों के बाद उच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

न्यायमूर्ति वैष्णव ने गत मार्च में सीआईसी के आदेश के खिलाफ विश्वविद्यालय की अपील स्वीकार करते हुए केंद्रीय सूचना आयोग के उस निर्देश को रद्द कर दिया था जिसमें गुजरात विश्वविद्यालय को प्रधानमंत्री मोदी की मास्टर ऑफ आर्ट्स (एमए) की डिग्री को लेकर केजरीवाल को जानकारी प्रदान करने के लिए कहा गया था. न्यायाधीश ने आम आदमी पार्टी के नेता केजरीवाल पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

केजरीवाल की पुनरीक्षण याचिका में उल्लेखित प्रमुख दलीलों में से एक यह भी थी कि मोदी की डिग्री ऑनलाइन उपलब्ध होने के गुजरात विश्वविद्यालय के दावे के विपरीत, विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. पिछली सुनवाई के दौरान, केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पर्सी कविना ने न्यायमूर्ति वैष्णव से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था और दावा किया था कि गुजरात विश्वविद्यालय ने कभी भी मोदी की डिग्री को अपनी वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया, जैसा कि अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया था.

गुजरात विश्वविद्यालय की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि केजरीवाल की पुनरीक्षण याचिका का उद्देश्य बिना किसी कारण के विवाद को बनाये रखना है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत किसी छात्र की डिग्री साझा करने से छूट है, जब तक ऐसा सार्वजनिक हित में न हो, लेकिन गुजरात विश्वविद्यालय प्रबंधन ने जून 2016 में अपनी वेबसाइट पर डिग्री अपलोड की और याचिकाकर्ता को इसके बारे में सूचित किया.

अप्रैल 2016 में, तत्कालीन मुख्य सूचना आयुक्त आचार्युलु ने दिल्ली विश्वविद्यालय और गुजरात विश्वविद्यालय को मोदी की डिग्रियों के बारे में केजरीवाल को जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया था. सीआईसी का आदेश केजरीवाल द्वारा आचार्युलु को लिखे पत्र के एक दिन बाद आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर उनके (केजरीवाल) बारे में सरकारी रिकॉर्ड सार्वजनिक किए जाते हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.

पत्र में केजरीवाल ने यह भी सवाल किया था कि आयोग मोदी की शैक्षणिक योग्यता के बारे में जानकारी क्यों छिपाना चाहता है. हालांकि गुजरात विश्वविद्यालय ने सीआईसी के आदेश पर आपत्ति जताते हुए कहा कि किसी की गैरजिम्मेदाराना बचकानी जिज्ञासा आरटीआई कानून के तहत सार्वजनिक हित नहीं बन सकती. मेहता ने उच्च न्यायालय को बताया था कि छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है क्योंकि प्रधानमंत्री की डिग्री के बारे में जानकारी पहले से ही सार्वजनिक है और विश्वविद्यालय ने एक विशेष तारीख को अपनी वेबसाइट पर जानकारी डाल दी थी.

हालांकि केजरीवाल की पुनरीक्षण याचिका में कहा गया था कि विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर कोई डिग्री उपलब्ध नहीं है. इसके बजाय, ऑफिस रजिस्टर (ओआर) के रूप में वर्णित एक दस्तावेज़ प्रदर्शित किया गया है जो एक डिग्री से अलग है.

ये भी पढ़ें - PM Degree row: SC से पीएम मोदी की शैक्षणिक डिग्री मानहानि मामले में केजरीवाल की याचिका खारिज

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.