अहमदाबाद: गांधीनगर में पूर्व सैनिकों के विरोध प्रदर्शन के दौरान मंगलवार को सेना के एक 72 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गई, जिसके बाद उनके परिवार और सहयोगियों ने आरोप लगाया कि उन्हें पुलिस ने पीटा था. वहीं पुलिस ने इस दावे से इनकार किया है और मौत का कारण कार्डियक अरेस्ट बताया है. सूत्रों की माने तो मृतक कांजीभाई मोथालिया गुजरात के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी जेआर मोथालिया के बड़े भाई थे.
अपनी लंबित मांगों को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे सेवानिवृत्त सैनिकों ने दावा किया कि विरोध के दौरान पुलिस की पिटाई से कांजीभाई मोथालिया की मौत (Gujarat Ex-Serviceman Dies During Protest) हो गई. इस दावे को खारिज करते हुए गांधीनगर के पुलिस अधीक्षक तरुण कुमार दुग्गल ने कहा कि सेना के पूर्व सैनिक की मौत दिल का दौरा पड़ने और उम्र संबंधी कुछ बीमारियों के कारण हुई है.
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तरुण कुमार दुग्गल ने कहा कि 'मैं सिविल अस्पताल में कांजीभाई मोथालिया के परिवार के सदस्यों के साथ हूं और पोस्टमार्टम किया जा रहा है. प्रारंभिक जांच से पता चला है कि उनकी मृत्यु हृदय गति रुकने से हुई थी. वह विरोध के दौरान घुटन महसूस कर रहे थे और वह पहले से ही कुछ बीमारियों से पीड़ित थे. हमने प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग नहीं किया है. किसी की पिटाई करने का कोई सवाल ही नहीं है.' राज्य सरकार पर उनकी मांगों को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाने के लिए, लगभग 100 पूर्व सैनिक मंगलवार दोपहर गांधीनगर के बाहरी इलाके चिलोदा सर्कल के पास एकत्र हुए और फिर राज्य की राजधानी की ओर अपना मार्च शुरू किया.
गुजरात के पूर्व सैनिक संघ के एक प्रमुख सदस्य मगन सोलंकी ने कहा कि कुछ प्रदर्शनकारी गांधीनगर पहुंचे, जबकि पूर्व सैनिकों का एक समूह गांधीनगर-चिलोदा रोड पर एक सैन्य स्टेशन के गेट के बाहर बैठ गया. सोलंकी ने कहा कि 'कांजीभाई मोथालिया उस समूह का हिस्सा थे. कुछ पुलिसकर्मी मौके पर आए और लाठीचार्ज करना शुरू कर दिया. उन्होंने मोथालिया को भी लात मारी, जिससे उसकी मौत हो गई. हम सभी दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं.'
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परिवार के एक सदस्य ने भी यही आरोप लगाया कि कांजीभाई मोथालिया को पुलिस ने पीटा. परिवार के सदस्य ने गांधीनगर सिविल अस्पताल के बाहर संवाददाताओं से कहा कि 'पुलिस की पिटाई से उनकी मौत हो गई. हम न्याय चाहते हैं. वह परिवार का एकमात्र सहारा थे. सरकार को हमें मुआवजा देना चाहिए.' गुजरात सरकार से उनकी लंबित मांगों को स्वीकार कराने के लिए सेवानिवृत्त सैनिक नियमित अंतराल पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. कुछ प्रमुख मांगों में प्रत्येक शहीद के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और सेवानिवृत्त रक्षा कर्मियों के लिए कक्षा 1 से 4 तक राज्य की नौकरियों में आरक्षण को सख्ती से लागू करना शामिल है.