अहमदाबाद: गुजरात विधानसभा (Gujarat Elections) के लिए पहले चरण में 89 सीटों पर कुल 788 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें 167 प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें से 100 उम्मीदवारों के खिलाफ हत्या एवं बलात्कार जैसे गंभीर आरोप हैं. यह जानकारी गुरुवार को एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट से मिली. इसके साथ ही 21 प्रतिशत प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं, जबकि 13 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं.
AAP के 36 प्रतिशत उम्मीदवार दागी: पहले चरण के तहत, आम आदमी पार्टी (AAP) कुल 89 में से 88 सीट पर चुनाव लड़ रही है और वह इस सूची में सबसे ऊपर है जिसके 36 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आप के 30 प्रतिशत उम्मीदवार हत्या, बलात्कार, अपहरण जैसे गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं. आप के 32 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं.
कांग्रेस के 35 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले
अरविंद केजरीवाल नीत पार्टी के बाद दूसरे नंबर पर कांग्रेस है जिसके 35 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं. ऐसे 20 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं. रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस पहले चरण में सभी 89 सीट पर चुनाव लड़ रही है और आपराधिक मामलों वाले उसके उम्मीदवारों की संख्या 31 है.
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी पहले चरण के चुनाव में सभी सीट पर चुनाव लड़ रही है. एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार भाजपा ने आपराधिक अतीत वाले 14 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. प्रतिशत के लिहाज से यह संख्या 16 प्रतिशत है. भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) पहले चरण में 14 सीट पर चुनाव लड़ रही है और उसके चार उम्मीदवारों (29 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले हैं. उसके सात प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं.
रिपोर्ट के अनुसार 2017 के विधानसभा चुनावों में, पहले चरण के 15 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले थे, जबकि आठ प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले थे. गंभीर आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों में जनक तलविया (भाजपा), वसंत पटेल (कांग्रेस), अमरदास देसानी (स्वतंत्र) शामिल हैं. आपराधिक रिकॉर्ड वाले अन्य उम्मीदवारों में भाजपा के पुरुषोत्तम सोलंकी, कांग्रेस के गनीबेन ठाकोर और जिग्नेश मेवानी, आप के गोपाल इटालिया और अल्पेश कठेरिया शामिल हैं.
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, भाजपा और बीटीपी ने पहले चरण में क्रमश: 36, 25 और 67 प्रतिशत ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था जिनके खिलाफ आपराधिक मामले थे. सुप्रीम कोर्ट के 25 सितंबर, 2018 के आदेश के अनुपालन में निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुसार, सभी राजनीतिक दलों के लिए लंबित आपराधिक मामलों और ऐसे उम्मीदवारों के चयन की वजहों की जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना अनिवार्य है. इसके साथ ही जानकारी को एक स्थानीय और एक राष्ट्रीय दैनिक में प्रकाशित करने एवं आधिकारिक सोशल मीडिया मंच पर अपलोड करने की भी आवश्यकता होती है.
एडीआर के प्रमुख अनिल वर्मा ने वीडियो लिंक के जरिए एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "इन निर्देशों का ठीक से पालन नहीं किया जा रहा है... हमने गौर किया है कि स्थानीय समाचार पत्रों में गुजराती में जानकारी प्रकाशित की जाती है, लेकिन घोषणाएं अंग्रेजी में होती हैं. साथ ही, ऐसी जानकारी का 'फॉन्ट' आकार 12 होना चाहिए, लेकिन उन्हें बहुत छोटे फॉन्ट आकार में प्रकाशित किया गया है.' (इनपुट- भाषा)