नई दिल्ली: हिमाचल में जैसे तैसे कुछ बागियों को मनाने और कुछ से दो-दो हाथ करने के बाद जैसे ही भारतीय जनता पार्टी ने राहत की सांस ली, वैसे ही गुजरात की टिकटों का ऐलान होते ही पार्टी के लिए एक बार फिर से मुसीबतें खड़ी हो गई और गुजरात की ये मुसीबत हैं पार्टी के खुद अपने नेता, जिनके टिकट कटते ही कुछ ने बगावत का रास्ता अपना लिया, कुछ के साथ मान मन्नोवाल का दौर चल रहा, तो कुछ तो नामांकन तक पहुंच गए.
लेकिन पार्टी गुजरात में हिमाचल की तरह कोई रिस्क नहीं लेना चाहती और बागियों से हो रहे डैमेज कंट्रोल को संभालने की कमान का जिम्मा खुद गृह मंत्री अमितशाह ने संभाला है. टिकट कटने के बाद उठे बवंडर को ले कर 16 विधानसभा क्षेत्र की सीट पर, गांधीनगर स्थित भाजपा के दफ्तर कमलम में मंथन सोमवार को भी हुआ. गांधीनगर की 4, वडोदरा की 2, पाटन, राधनपुर, खेरालु और वटवा समेत 16 सीट पर ये उम्मीद जताई जा रही की जल्द ही निर्णय हो जाएगा.
वहीं सूत्रों की माने तो सूरत की चोरयासी विधानसभा, महुवा और बोटाद में प्रत्याशियों को बदलने पर भी कवायद हो सकती है, ऐसा इसलिए क्योंकि प्रत्याशियों को लेकर खासा विरोध भी हो रहा है. सूत्रों की माने तो डैमेज कंट्रोल करने और बागियों को समझाने की कमान खुद गृह मंत्री अमित शाह ने संभाल ली है, क्योंकि बागियों को मनाने में प्रदेश अध्यक्ष पस्त हो चुके हैं, कहीं-कहीं तो दबी जुबान में लोग विरोध भी शुरू कर चुके हैं.
सूत्रों की माने तो रविवार को भी गांधीनगर कमलम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बैठक की थी और इस दौरान कुछ विधानसभा सीटों की गुत्थी सुलझाने का प्रयास भी किया गया. यही नहीं सूत्रों की माने तो पाटन के लिए राजुल देसाई को कमलम में बुलाया भी गया था. फिलहाल वो महिला आयोग की सदस्य भी हैं. वहीं दूसरी तरफ ऐसे मामले भी आए हैं, जहां उम्मीदवार ने टिकट वापिस लेने की गुजारिश की हैं, जिनमें सुरेंद्रनगर की वाढवाण विधानसभा से बीजेपी उम्मीदवार जिज्ञा पंड्या ने पार्टी नेतृत्व को टिकट वापिस लेने की गुजारिश करते हुए उनकी जगह किसी और को मौका देने की बात लिखी है.
वहीं बागी नेता भारतीय जनता पार्टी के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं. पार्टी के कम से कम एक मौजूदा विधायक और चार पूर्व विधायकों ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने की धमकी तक दी है. भाजपा ने अब तक कुल 182 विधानसभा क्षेत्रों में से 166 क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं. पार्टी के कुछ असंतुष्ट नेताओं ने अंदरखाने पार्टी के मनाने के बाद यहां पार्टी से कहा है कि वे अपने समर्थकों से परामर्श करने के बाद ही अपना अगला कदम उठाएंगे.
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लेकिन भाजपा के पूर्व विधायक हर्षद वसावा ने शुक्रवार को नंदोड (अनुसूचित जनजाति आरक्षित) सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया. सूत्रों की माने तो इन विधायकों या पूर्व विधायकों अथवा दावेदारों को भविष्य में महत्वपूर्ण गतिविधियों में शामिल करने अथवा पार्टी की तरफ से ध्यान रखे जाने की बात भी कही गई है और पार्टी के कुछ विश्वस्त सूत्र ये भी बता रहे की जो बगावत के मूड में हैं, उनके कच्चे चिट्ठे भी इकट्ठा किए जा रहे हैं. बहरहाल इस मुद्दे पर कोई भी आधिकारिक तौर पर बात करने को राजी नहीं मगर जीत सुनिश्चित के दावे जरूर किए जा रहे हैं.