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गुजरात में भाजपा के नक्शेकदम पर कांग्रेस, नए चेहरे और युवाओं को आगे लाने की तैयारी

गुजरात में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके मद्देनजर तमाम राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं, ऐसे में गुजरात कांग्रेस में बड़े बदलाव की चर्चा है. कांग्रेस आलाकमान द्वारा कराए गए एक गुप्त सर्वेक्षण में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं. इससे गुजरात कांग्रेस में युवाओं को आगे किए जाने की प्रबल संभावना है. इसी कड़ी में वडगाम से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार को कांग्रेस में शामिल किया जा रहा है.

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Published : Sep 26, 2021, 7:07 AM IST

भाजपा के नक्शेकदम पर कांग्रेस
भाजपा के नक्शेकदम पर कांग्रेस

अहमदाबाद : गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 से पहले, भाजपा ने राज्य में मुख्यमंत्री के साथ-साथ पूरे राज्य मंत्रिमंडल को ही बदल दिया है. अब चर्चा है कि विपक्षी कांग्रेस भी भाजपा के ओवरहॉलिंग (जीर्णोद्धार) के रास्ते पर चलने जा रही है. यानी गुजरात कांग्रेस में भी बड़े बदलाव की तैयारी चल रही है.

चर्चा है कि पार्टी आलाकमान ने गुजरात कांग्रेस के नेताओं की गैर-जानकारी में गुप्त सर्वेक्षण कराया है. जिसमें चौंकाने वाले निष्कर्ष सामने आए हैं कि कांग्रेस के पुराने दिग्गज पार्टी को डुबो रहे हैं, इसलिए राज्य में साफ-सुथरी छवि वाले प्रतिभावान युवाओं को पार्टी की कमान सौंपी जा सकती है.

कांग्रेस हाईकमान भी अब भाजपा की राह पर चल रहा है. गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य की कमान एक नई टीम को सौंप दी है, वहीं कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन किया है. वहीं, दूसरी ओर जहां कांग्रेस राजस्थान में भी बदलाव की ओर आगे बढ़ रही है, वहीं गुजरात की जनता यह महसूस कर रही है कि राज्य में इस समय विपक्ष जैसा कुछ नहीं है.

कांग्रेसी नेताओं का सत्ताधारी दल के साथ गठजोड़?

पुराने कांग्रेसी नेता, जिनका भाजपा से व्यापारिक संबंध हैं, वह वर्तमान में संगठन में प्रमुख पदों पर हैं. कांग्रेस नेताओं में लोगों से जुड़े मुद्दों को उठाने की हिम्मत नहीं बची है. वे आंख मूंद पर बैठे हैं. कांग्रेस कार्यकर्ता का कहना है कि पार्टी का उद्धार तब तक संभव नहीं है, जब तक लोकसभा और विधानसभा चुनावों में न जीतने वाले कांग्रेसी नेताओं को दरकिनार नहीं किया जाता. हालांकि कांग्रेस में जहां गिने-चुने चेहरों को ही प्रमोट किया जा रहा है, वहां अब नाराजगी देखी जा रही है.

इन नेताओं को किया जा सकता है दरकिनार?

कार्यकर्ताओं की शिकायत के आधार पर अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) ने वरिष्ठ नेताओं को पूरी तरह से अंधेरे में रखते हुए सर्वेक्षण के लिए गुजरात में आठ अलग-अलग टीमों को मैदान में उतारा था.

सर्वेक्षण से निष्कर्ष निकाला गया है कि 2022 के विधानसभा चुनावों में युवाओं और साफ-सुथरी छवि वाले चेहरों को टिकट दिया जा सकता है. इससे स्पष्ट है कि यदि पुराने दिग्गजों को आगे रखा जाता है, तो कांग्रेस को फिर से करारी हार का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए संगठन में बड़े स्तर पर बदलाव की जरूरत है. ऐसे में अगर संगठन को मजबूत करना है तो युवाओं के अलावा कोई और विकल्प नहीं है.

इस सर्वेक्षण के नतीजे जानकर कांग्रेस के शीर्ष नेता खुद हैरान हैं. सर्वेक्षण को देखते हुए भरत सोलंकी, सिद्धार्थ पटेल, अर्जुन मोढवाडिया, मधुसूदन मिस्त्री, गौरांग पंड्या, नरेश रावल, तुषार चौधरी समेत कई नेताओं को दरकिनार किया जा सकता है.

इन नए चेहरों को मिल सकता है मौका?

पिछले कुछ सालों में गुजरात कांग्रेस के मौजूदा हालात को देखते हुए पार्टी आलाकमान अब नए चेहरों के साथ आगे बढ़ सकता है. हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी, अमरीश डेर, ललित कगथरा, ललित वसोया, इंद्रविजय सिंह गोहिल और अन्य के नामों पर चर्चा हो रही है.

इस मामले को लेकर जब ईटीवी भारत ने गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा से संपर्क किया, तो उन्होंने हाईकमान के सर्वेक्षण के बारे में बात करने से इनकार कर दिया और कहा कि आलाकमान जो भी फैसला करेगा, उसे स्वीकार किया जाएगा.

जिग्नेश मेवानी 28 सितंबर को थामेंगे 'हाथ'

गुजरात के प्रभावशाली दलित नेता और वडगाम से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार 28 सितंबर को नई दिल्ली में कांग्रेस पार्टी में शामिल होने वाले हैं. सूत्रों के मुताबिक, जिग्नेश मेवानी मजबूत नेतृत्व को बनाए रखने के लिए गुजरात कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं. हार्दिक पटेल के बाद जिग्नेश मेवानी गुजरात में युवा नेता के रूप में उभरे हैं और आने वाले दिनों में जिग्नेश मेवानी कांग्रेस पार्टी के चेहरे के रूप में देखे जा सकते हैं.

अहमदाबाद के जाने-माने राजनीतिक जानकार दिलीपभाई गोहिल ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि राजनीतिक दल सामान्य तौर पर निजी सर्वेक्षण करते हैं, जैसे कांग्रेस आलाकमान ने गुजरात में कांग्रेस की स्थिति पर एक सर्वेक्षण कराया है.

यह भी पढ़ें- अमित शाह के रिमोट कंट्रोल पर चल रहे हैं असदुद्दीन ओवैसी : कांग्रेस विधायक

गोहिल के मुताबिक, गुजरात कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता ऐसे काम कर रहे हैं, जिससे पार्टी को नुकसान हो और भाजपा को फायदा हो, गुजरात में इस पर चर्चा हो रही है. इस चर्चा के अंत में यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि गुजरात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में युवा चेहरों को मौका दिया जाए. पंजाब में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पद के लिए नया चेहरा आगे कर सबको चौंका दिया है. गुजरात में भी ऐसा ही हो सकता है.

हार्दिक पटेल पर आलाकमान को कितना भरोसा

दिलीप गोहिल ने कहा कि पंजाब की तरह गुजरात में भी प्रयोग किया जा सकता है, इसलिए इस बहस छिड़ गई है. गुजरात में नया क्या हो सकता है, किसे चुना जाएगा और यह कितना सफल होगा. कांग्रेस द्वारा भाजपा की नो-रिपीट थ्योरी को अपनाया जा सकता है. हार्दिक पटेल ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व किया और वह कांग्रेस में शामिल हो गए, कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया.

उन्होंने कहा, हालांकि हार्दिक सूरत नगर निगम चुनाव में विफल रहे, साथ ही पाटीदारों को अपने साथ लाने में नाकाम रहे हैं. इन परिस्थितियों में पार्टी आलाकमान हार्दिक पटेल को आगे करने से हिचकिचा सकता है. जिग्नेश मेवानी एक दलित चेहरा हैं, वह कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं. मेरा मानना है कि युवा नेताओं को उनमें से चुना जाना चाहिए, जो 2017 में पहली या दूसरी बार विधानसभा के लिए चुने गए थे. लेकिन कांग्रेस इस बार चौंकाने वाली है, यह तय है.

अहमदाबाद : गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 से पहले, भाजपा ने राज्य में मुख्यमंत्री के साथ-साथ पूरे राज्य मंत्रिमंडल को ही बदल दिया है. अब चर्चा है कि विपक्षी कांग्रेस भी भाजपा के ओवरहॉलिंग (जीर्णोद्धार) के रास्ते पर चलने जा रही है. यानी गुजरात कांग्रेस में भी बड़े बदलाव की तैयारी चल रही है.

चर्चा है कि पार्टी आलाकमान ने गुजरात कांग्रेस के नेताओं की गैर-जानकारी में गुप्त सर्वेक्षण कराया है. जिसमें चौंकाने वाले निष्कर्ष सामने आए हैं कि कांग्रेस के पुराने दिग्गज पार्टी को डुबो रहे हैं, इसलिए राज्य में साफ-सुथरी छवि वाले प्रतिभावान युवाओं को पार्टी की कमान सौंपी जा सकती है.

कांग्रेस हाईकमान भी अब भाजपा की राह पर चल रहा है. गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य की कमान एक नई टीम को सौंप दी है, वहीं कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन किया है. वहीं, दूसरी ओर जहां कांग्रेस राजस्थान में भी बदलाव की ओर आगे बढ़ रही है, वहीं गुजरात की जनता यह महसूस कर रही है कि राज्य में इस समय विपक्ष जैसा कुछ नहीं है.

कांग्रेसी नेताओं का सत्ताधारी दल के साथ गठजोड़?

पुराने कांग्रेसी नेता, जिनका भाजपा से व्यापारिक संबंध हैं, वह वर्तमान में संगठन में प्रमुख पदों पर हैं. कांग्रेस नेताओं में लोगों से जुड़े मुद्दों को उठाने की हिम्मत नहीं बची है. वे आंख मूंद पर बैठे हैं. कांग्रेस कार्यकर्ता का कहना है कि पार्टी का उद्धार तब तक संभव नहीं है, जब तक लोकसभा और विधानसभा चुनावों में न जीतने वाले कांग्रेसी नेताओं को दरकिनार नहीं किया जाता. हालांकि कांग्रेस में जहां गिने-चुने चेहरों को ही प्रमोट किया जा रहा है, वहां अब नाराजगी देखी जा रही है.

इन नेताओं को किया जा सकता है दरकिनार?

कार्यकर्ताओं की शिकायत के आधार पर अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) ने वरिष्ठ नेताओं को पूरी तरह से अंधेरे में रखते हुए सर्वेक्षण के लिए गुजरात में आठ अलग-अलग टीमों को मैदान में उतारा था.

सर्वेक्षण से निष्कर्ष निकाला गया है कि 2022 के विधानसभा चुनावों में युवाओं और साफ-सुथरी छवि वाले चेहरों को टिकट दिया जा सकता है. इससे स्पष्ट है कि यदि पुराने दिग्गजों को आगे रखा जाता है, तो कांग्रेस को फिर से करारी हार का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए संगठन में बड़े स्तर पर बदलाव की जरूरत है. ऐसे में अगर संगठन को मजबूत करना है तो युवाओं के अलावा कोई और विकल्प नहीं है.

इस सर्वेक्षण के नतीजे जानकर कांग्रेस के शीर्ष नेता खुद हैरान हैं. सर्वेक्षण को देखते हुए भरत सोलंकी, सिद्धार्थ पटेल, अर्जुन मोढवाडिया, मधुसूदन मिस्त्री, गौरांग पंड्या, नरेश रावल, तुषार चौधरी समेत कई नेताओं को दरकिनार किया जा सकता है.

इन नए चेहरों को मिल सकता है मौका?

पिछले कुछ सालों में गुजरात कांग्रेस के मौजूदा हालात को देखते हुए पार्टी आलाकमान अब नए चेहरों के साथ आगे बढ़ सकता है. हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी, अमरीश डेर, ललित कगथरा, ललित वसोया, इंद्रविजय सिंह गोहिल और अन्य के नामों पर चर्चा हो रही है.

इस मामले को लेकर जब ईटीवी भारत ने गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावड़ा से संपर्क किया, तो उन्होंने हाईकमान के सर्वेक्षण के बारे में बात करने से इनकार कर दिया और कहा कि आलाकमान जो भी फैसला करेगा, उसे स्वीकार किया जाएगा.

जिग्नेश मेवानी 28 सितंबर को थामेंगे 'हाथ'

गुजरात के प्रभावशाली दलित नेता और वडगाम से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार 28 सितंबर को नई दिल्ली में कांग्रेस पार्टी में शामिल होने वाले हैं. सूत्रों के मुताबिक, जिग्नेश मेवानी मजबूत नेतृत्व को बनाए रखने के लिए गुजरात कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं. हार्दिक पटेल के बाद जिग्नेश मेवानी गुजरात में युवा नेता के रूप में उभरे हैं और आने वाले दिनों में जिग्नेश मेवानी कांग्रेस पार्टी के चेहरे के रूप में देखे जा सकते हैं.

अहमदाबाद के जाने-माने राजनीतिक जानकार दिलीपभाई गोहिल ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि राजनीतिक दल सामान्य तौर पर निजी सर्वेक्षण करते हैं, जैसे कांग्रेस आलाकमान ने गुजरात में कांग्रेस की स्थिति पर एक सर्वेक्षण कराया है.

यह भी पढ़ें- अमित शाह के रिमोट कंट्रोल पर चल रहे हैं असदुद्दीन ओवैसी : कांग्रेस विधायक

गोहिल के मुताबिक, गुजरात कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता ऐसे काम कर रहे हैं, जिससे पार्टी को नुकसान हो और भाजपा को फायदा हो, गुजरात में इस पर चर्चा हो रही है. इस चर्चा के अंत में यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि गुजरात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में युवा चेहरों को मौका दिया जाए. पंजाब में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पद के लिए नया चेहरा आगे कर सबको चौंका दिया है. गुजरात में भी ऐसा ही हो सकता है.

हार्दिक पटेल पर आलाकमान को कितना भरोसा

दिलीप गोहिल ने कहा कि पंजाब की तरह गुजरात में भी प्रयोग किया जा सकता है, इसलिए इस बहस छिड़ गई है. गुजरात में नया क्या हो सकता है, किसे चुना जाएगा और यह कितना सफल होगा. कांग्रेस द्वारा भाजपा की नो-रिपीट थ्योरी को अपनाया जा सकता है. हार्दिक पटेल ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व किया और वह कांग्रेस में शामिल हो गए, कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया.

उन्होंने कहा, हालांकि हार्दिक सूरत नगर निगम चुनाव में विफल रहे, साथ ही पाटीदारों को अपने साथ लाने में नाकाम रहे हैं. इन परिस्थितियों में पार्टी आलाकमान हार्दिक पटेल को आगे करने से हिचकिचा सकता है. जिग्नेश मेवानी एक दलित चेहरा हैं, वह कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं. मेरा मानना है कि युवा नेताओं को उनमें से चुना जाना चाहिए, जो 2017 में पहली या दूसरी बार विधानसभा के लिए चुने गए थे. लेकिन कांग्रेस इस बार चौंकाने वाली है, यह तय है.

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