गांधीनगर : गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) द्वारा धर्मांतरण विरोधी कानून (Anti-conversion Law) में सुधार की मांग करने वाली राज्य की याचिका खारिज कर दी गई है.
इसके बाद राज्य के गृह और कानून प्रधान प्रदीप सिंह जडेजा ने गुरुवार को कहा कि लव जिहाद (Love Jihad) कानून हमारी बेटियों के साथ खिलवाड़ करने वाली जिहादी ताकतों को नष्ट करने के लिए हथियार के रूप में लाया गया था. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती देगी.
सेक्शन 5 के अनुसार धार्मिक पुजारियों को किसी व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराने से पहले जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होगी. इसी के साथ जिस व्यक्ति का धर्म परिवर्तन किया जाएगा, उसे भी निर्धारित प्रपत्र में जिला मजिस्ट्रेट को सूचना देनी होगी. जडेजा ने कहा कि सेक्शन 5 धर्मांतरण विरोधी कानून का मूल है.
गुजरात हाईकोर्ट ने बीते सप्ताह राज्य के लव जिहाद कानून की महत्वपूर्ण धाराओं पर रोक लगा दी थी. इसी मामले में गुरुवार को फिर से कोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट के रुख के बाद गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जाने का फैसला किया है. गुजरात सरकार सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देगी.
दरअसल, धारा-5 के मुताबिक, अगर किसी को भी दूसरे धर्म में शादी करनी हो तो उसे जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति लेना अनिवार्य किया गया है.
उन्होंने एक बयान में कहा कि हम हिंदुओं समेत सभी धर्मों की महिलाओं के रक्षा के लिए दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं. जिहादी तत्वों द्वारा लड़कियों को प्रताड़ित करने के लिए खिलाफ हमने दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ लव जिहाद पर कानू का हथियार उठाया है.
गुजरात सरकार ने नए धर्मांतरण रोधी कानून की धारा पांच के क्रियान्वयन पर रोक के संबंध में अदालत के हालिया फैसले में संशोधन का अनुरोध करने वाली राज्य सरकार की अर्जी गुरुवार को खारिज कर दी. गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) कानून, 2021 की धारा-पांच के तहत पुजारी के लिए किसी व्यक्ति का धर्मांतरण कराने से पहले जिलाधिकारी की अनुमति लेना अनिवार्य है. इसके साथ ही धर्मांतरण करने वाले व्यक्ति के लिए भी निर्धारित आवेदन भरकर अपनी सहमति के बारे में जिलाधिकारी को अवगत कराना आवश्यक है.
राज्य सरकार के वकील त्रिवेदी ने पीठ से कहा कि गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2021 की धारा पांच मूल कानून को 2003 में क्रियान्वित किए जाने के समय से लागू है और इसका विवाह से कोई लेना-देना नहीं है.
उन्होंने न्यायाधीशों को यह समझाने की कोशिश की कि धारा पांच पर रोक वास्तव में पूरे कानून के क्रियान्वयन पर ही रोक लगा देगी और धर्मांतरण से पहले कोई भी व्यक्ति अनुमति लेने के लिए अधिकारियों से संपर्क नहीं करेगा.
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