नई दिल्ली : राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने केन्द्र और राज्य सरकारों को पर्यावरण प्रदूषण कम करने और मानवाधिकार अधिकारों में गिरावट को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं. परामर्शी जारी करते हुए, आयोग ने पाया है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए दुनिया के सबसे अच्छे वैधानिक और नीतिगत ढांचे में से एक होने के बावजूद, भारत वायु और जल प्रदूषण और पारिस्थितिक क्षरण की एक गंभीर समस्या का सामना कर रहा है जिससे बुनियादी मानव अधिकारों के उपभोग में बाधा उत्पन्न हो रही है.
इस संबंध में एनएचआरसी के महासचिव देवेंद्र कुमार सिंह ने एक पत्र के द्वारा संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के सचिवों, राज्यों के मुख्य सचिवों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों और सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार को परामर्शी में जारी की गई सिफारिशों को लागू करने के लिए कहा है और तीन महीने के भीतर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है.
जारी किए गए परामर्श में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा की जाने वाली कार्रवाई के लिए पांच प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है. इनमें शामिल प्रदूषण फैलाने वालों और पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन करने वालों को सजा, वाहनों से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम और न्यूनीकरण के साथ ही हाई कोर्ट को विशेष पर्यावरण न्यायालयों की स्थापना करनी चाहिए. साथ ही पर्यावरण कानूनों के तहत त्वरित परीक्षण, अनुमोदन और मंजूरी की पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करनी चाहिए.
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इसी क्रम में एनएचआरसी ने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारों को प्रदूषण फैलाने वालों और पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन करने वालों के लिए प्रभावी और शीघ्र दंड सुनिश्चित करने के प्रयास करने चाहिए. इन प्रयासों में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB) और अन्य नियामक प्राधिकरणों को मजबूत करना शामिल होना चाहिए. बता दें कि इससे पहले 23 मार्च 2022 को एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायामूर्ति अरुण मिश्रा ने पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकार पर आयोग की पहली कोर सलाहकार समूह की बैठक की अध्यक्षता करते हुए बिगड़ते पर्यावरण पर गंभीर चिंता जताई थी. इस दौरान उन्होंने कहा था कि नियमों और कानूनों के बाद भी जमीनी स्थिति में सुधार नहीं हुआ है.