नई दिल्ली: इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी और कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) दस्तावेज़ जारी किए. दस्तावेज सूचना प्रौद्योगिकी कानून, 2000 की धारा 70 बी की उप-धारा (6) के तहत सीईआरटी-इन साइबर सुरक्षा निर्देशों की बारीकियों को बताता है. यह विभिन्न हितधारकों की बेहतर समझ करने के साथ-साथ देश में खुले, सुरक्षित और भरोसेमंद और जवाबदेह इंटरनेट को बढ़ावा देने के लिए है.
एफएक्यू दस्तावेज जारी करते हुए राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि ऑनलाइन सुरक्षा और विश्वास नरेन्द्र मोदी सरकार के लिए महत्वपूर्ण सार्वजनिक नीतिगत उद्देश्य हैं. उन्होंने कहा कि जैसा कि हम एक ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं, यह सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि इंटरनेट, जो वर्तमान में 80 करोड़ लोगों द्वारा उपयोग किया जाता है, जल्द ही 120 करोड़ लोगों तक पहुंचे, उसे खुला, सुरक्षित, भरोसेमंद और जवाबदेह रहना चाहिए.
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इस संदर्भ में, सरकार ने बुनियादी ढांचे, साइबर खतरों के बारे में स्थिति से संबंधित जागरूकता और ऑनलाइन सुरक्षा का माहौल बनाने के लिए अनेक पहल किये हैं. इन कार्यक्रमों के लिए वर्ष 2019-20 से 2021-22 के दौरान 809.58 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई. वर्ष 2022-23 के लिए साइबर सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए 515 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है. एमईआईटीवाई सूचना सुरक्षा, सरकारी कर्मियों के प्रशिक्षण और विभिन्न उपयोगकर्ताओं के लिए जन सूचना सुरक्षा जागरूकता निर्माण के क्षेत्र में क्षमता निर्माण के उद्देश्यों के साथ 96.08 करोड़ रुपये की लागत से 'सूचना सुरक्षा शिक्षा और जागरुकता (आईएसईए) परियोजना चरण- 2' शीर्षक से एक परियोजना को भी लागू कर रहा है.
अब तक, 52 संस्थानों के माध्यम से कुल 78,021 उम्मीदवारों को सूचना सुरक्षा में विभिन्न औपचारिक/गैर-औपचारिक पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षित किया जा चुका है. परियोजना के अंतर्गत भाग लेने वाले 5 तकनीकी विश्वविद्यालयों ने लगभग 2.74 लाख उम्मीदवारों को उनके संबद्ध कॉलेजों में औपचारिक पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण लेने के संबंध में जानकारी दी है. अब तक 22,881 सरकारी कर्मियों को सूचना सुरक्षा के क्षेत्र में प्रशिक्षित किया गया है, जिसमें केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों के 10,045 सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं.
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अब तक देश भर में 1,360 जागरूकता कार्यशालाएं आयोजित की जा चुकी हैं, जिसमें 41 प्रशिक्षण कार्यक्रमों में मास्टर ट्रेनर्स के रूप में प्रशिक्षित 2,44,883 प्रतिभागियों और स्कूल के 1,24,086 शिक्षकों को शामिल किया गया है. लगभग 5.75 करोड़ अनुमानित लाभार्थी अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं. राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि हाल ही में जारी साइबर सुरक्षा निर्देश समग्र साइबर सुरक्षा ढांचे का सिर्फ एक अंश हैं जिसे सरकार ने उभरते खतरों का मुकाबला करने के लिए रखा है. उन्होंने कहा कि साइबर सुरक्षा नियम पहले से ही मौजूद थे लेकिन वे लगभग 11 वर्ष पुराने हैं. इंटरनेट युग में 11 वर्ष एक लंबा समय है. इस अवधि में, इंटरनेट के आकार, उसकी बनावट और पैमाना महत्वपूर्ण रूप से बदल गया है.
उन्होंने कहा कि 2022 में उपयोगकर्ता के नुकसान और जोखिमों की प्रकृति एक दशक पहले की तुलना में अलग है. साइबर अपराध करने वाले संगठन चाहे वह किसी राजनीतिक प्रभाव वाले हों या न हों, उनके इरादे गलत हैं. साइबर स्पेस की स्थिरता और लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए उपचारात्मक कार्रवाई के लिए घटनाओं की तीव्र और अनिवार्य रिपोर्टिंग एक आवश्यक और प्राथमिक आवश्यकता है. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) जिसमें 44 प्रश्न हैं, सभी संबंधित संस्थाओं और आम उपयोगकर्ता के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए इन निर्देशों के संचालन की दिशा में सरल और आसानी से समझे जाने वाले तरीके से इन साइबर सुरक्षा निर्देशों पर सामान्य प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास करते हैं.