शिमलाः गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामले में 4 साल बाद पीड़ित परिवार को इंसाफ मिला है. 2017 में हुए गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामले को गंभीर मानते हुए सीबीआई इसकी जांच कर रही थी. आखिरकार शुक्रवार 18 जून को सीबीआई की ओर से जुटाए गए सबूतों के आधार पर स्पेशल कोर्ट ने आरोपी नीलू को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)1,376ए,302 और पॉक्सो अधिनियिम की धारा 4 के तहत दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है.
अदालत में सीबीआई की ओर से घटनास्थल से जुटाए गए सबूतों के सैंपल की नीलू के डीएनए से मिलान को कोर्ट ने महत्वपूर्ण सबूत माना. सीबीआई ने 14 बिंदुओं पर जांच कर अदालत में दायर आरोप पत्र में 14 सबूत पेश किए थे. इनमें 12 नीलू के खिलाफ साबित हुए हैं. इसके आधार पर अदालत ने नीलू को दोषी करार दे दिया.
4 जुलाई 2017 को 10वीं में पढ़ने वाली गुड़िया स्कूल से लौटते वक्त लापता हो गई थी. 6 जुलाई को शिमला के कोटखाई के पास जंगल में उसका शव मिला था. जांच में छात्रा से दुष्कर्म और हत्या की पुष्टि हुई. शुरू में इसे गैंगरेप और हत्या का मामला भी कहा गया लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती गई मामले की तस्वीर साफ होती गई.
वारदात को अंजाम देने के बाद नीलू हो गया था फरार
सीबीआई ने जांच के दौरान सैकडों लोगों के खून के नमूने लिए थे और उनका मिलान मौके पर मिले नमूनों से किए थे, लेकिन सीबीआई के हाथ कुछ नहीं लग रहा था. इस बीच सीबीआई को चिरानी नीलू के बारे में जानकारी मिली तो सीबीआई ने उस पर अपनी जांच केंद्रित की. मौके पर मिले खून के नमूनों का मिलान नीलू के परिवार वालों से किया गया. इन नमूनों का मिलान होने के बाद सीबीआई नीलू के पीछे पड़ गई. वारदात को अंजाम देने के बाद नीलू फरार हो गया था.
अप्रैल 2018 में फोन कॉल डिटेल के आधार सीबीआई ने उसे एक बागवान के बगीचे से दबोच लिया. इसके बाद सीबीआई ने उसका डीएनए टेस्ट भी लिया व उसका मिलान हो गया. जिसके बाद सीबीआई ने इस मामले को सुलझाने का दावा कर दिया. इसके अलावा गुड़िया के शरीर पर मिले दांतों के निशानों का भी मिलान हुआ था. गुड़िया के शरीर पर 2 जगह दांतों के निशान मिले थे.
आइए एक नजर डालते हैं गुड़िया केस की टाइमलाइन पर
- 4 जुलाई 2017- कोटखाई के हलाईला क्षेत्र से दसवीं की छात्रा गुड़िया लापता.
- 5 जुलाई- रिश्तेदारों ने बिटिया की तलाश शुरू की.
- 6 जुलाई- ऊपरी शिमला के जंगल में मिला शव, पुलिस ने की जांच आरंभ.
- 7 जुलाई- पोस्टमार्टम में दुष्कर्म की पुष्टि हुई.
- 10 जुलाई- जन आक्रोश को देखते हुए राज्य सरकार ने एसआइटी गठित की, आईजी जहूर जैदी को सौंपा जांच का जिम्मा.
- 11 जुलाई- चार युवकों को पूछताछ के लिए पकड़ा.
- 18 जुलाई- आधी रात को पुलिस हिरासत में एक कथित आरोपी की हत्या.
- 19 जुलाई- हाईकोर्ट ने सीबीआई को दी जांच.
- 22 जुलाई- सीबीआई ने दिल्ली में किए दो अलग-अलग मामले दर्ज.
- 29 अगस्त- आईजी सहित आठ पुलिसकर्मी गिरफ्तार.
- 16 नवंबर- पूर्व एसपी डीडब्लयू नेगी को सीबीआई ने किया गिरफ्तार.
- 25 नवंबर- सीबीआई ने की एसआईटी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल.
- 25 अप्रैल 2018- सीबीआई ने कोर्ट में फाइनल स्टेट्स रिपोर्ट पेश की.
- 5 अप्रैल 2019- आईजी जहूर जैदी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत.
- 18 अप्रैल 2019- पूर्व एसपी डीडब्ल्यू नेगी को हाईकोर्ट से मिली जमानत.
- 28 अप्रैल 2021 को नीलू चरानी दोषी करार.
- 18 जून 2021 को कोर्ट ने नीलू को उम्र कैद की सजा सुनाई.
कस्टडी में एक कथित आरोपी की मौत से पलट गया था केस
पुलिस ने शुरुआत में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया था. जिनमें से नेपाली मूल के सूरज नाम के युवक की कस्टडी में मौत हो गई थी. जिसके बाद लोगों का गुस्सा भड़क गया था. पुलिस की भूमिका सवालों में आई और पुलिस पर आरोपियों से जबरन गुनाह कबूलवाने के आरोप लगे. मामला मीडिया की सुर्खियों में पहुंचा तो आला अधिकारी बगलें झांकने लगे थे.
सूरज की मौत के बाद एसआईटी और हिमाचल पुलिस सवालों के कटघरे में आ गई. जांच सीबीआई के पास पहुंची तो आईजी जहूर जैदी समेत कई पुलिस अधिकारी और कर्मचारी सलाखों के पीछे पहुंच गए. सीबीआई जांच में पता चला कि पुलिस के टॉर्चर से सूरज की मौत हुई थी. जिसके बाद आईजी से लेकर एसपी, डीएसपी, एसएचओ समेत 9 पुलिसवालों को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस की लापरवाही ने सीबीआई की बढाई मुश्किल
सीबीआई के लिए इस मामले में सबूत जुटाकर गुड़िया के दुष्कर्म और हत्या के आरोपियों तक पहुंचना बेहद मुश्किल हो रहा था. दरअसल पुलिस जांच के दौरान मौके के कई सुबूत नष्ट हो गए थे और वारदात की जगह कई लोगों की आवाजाही हो चुकी थी. सीबीआई के पास अंधेरे में तीर मारने जैसी नौबत आ गई थी. हिमाचल पुलिस की लापरवाही इस मामले में शुरू से ही सुर्खियां बटोरी थी. हैरानी की बात है कि आईजी रैंक के अफसर, एसपी व डीएसपी सहित अन्य पुलिस अधिकारी इस कदर जल्दबाजी में थे कि उन्होंने अपनी ही थ्योरी गढ़ी और बेकसूर लोगों को पकड़कर जेल में डाल दिया.
इस दौरान पुलिस की यातना से एक कैदी की जेल में ही मौत हो गई. इसके बाद एसआईटी के कई अधिकारियों पर गाज गिरी. एसआईटी में शामिल आईजी रैंक तक के अधिकारी और पुलिस कर्मचारी जेल गए.
अपराधी ने दांत से भी काटा मासूम को, सीने पर थे निशान
सीबीआई की जांच में सामने आया था कि गुड़िया के शरीर पर दांत से काटा गया था. जब जुन्गा लैब में ये सैंपल जांचे गए थे तो फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने पाया कि लड़की की छाती से लिए गए सैंपल का डीएनए और नीलू के दांत काटने से गिरे स्लाइवा के डीएनए का आपस में मिलान हो गया था. बाद में सीबीआई ने भी दिल्ली में लैब में इस जांच को पुष्ट किया. मौके पर एक देसी शराब की बोतल भी पाई गई थी. जिसके ढक्कन से लिए सैंपल का मिलान मासूम के सीने में गाड़े गए दांतों की लार के साथ हो गया था. इससे ये तो साबित हो गया कि गुड़िया के साथ केवल एक ही आदमी ने दुष्कर्म किया है. ये साफ हुआ कि गैंगरेप नहीं है, लेकिन वो कौन था, जिसने दुष्कर्म किया, सीबीआई के सामने इसका पता लगाने की चुनौती थी.
कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी सीबीआई, लिए गए 250 सैंपल
सीबीआई ने एहतियात के तौर पर संदिग्ध लोगों के 250 ब्लड सैंपल लिए, लेकिन उनमें से एक भी गुड़िया के शरीर से लिए सैंपल से मैच नहीं हुआ. यही कारण है कि एसआईटी द्वारा पकड़े गए कथित आरोपियों को सीबीआई ने नहीं छेड़ा. सीबीआई के पास सारे सैंपल थे, लेकिन नीलू का सैंपल नहीं था. कारण ये था कि सारे संदिग्ध तो रडार में थे, लेकिन नीलू गायब था. इलाके में भी पता था कि नीलू चरानी गायब है. नीलू इतना शातिर था कि वो मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करता था. अब सीबीआई के सामने चुनौती ये थी कि नीलू को कैसे दबोचा जाए. उससे पहले सीबीआई डीएनए प्रोफाइल मैच करना चाहती थी. इस कारण सीबीआई को पहले नीलू के गांव जाना पड़ा.
नीलू के एक भाई के सैंपल से हुई लीनिएज मैचिंग
सीबीआई ने वर्ष 2018 में ही कांगड़ा जिला के बैजनाथ के पूलिंग गांव जाकर नीलू के परिवार से मुलाकात की और उसके एक भाई का सैंपल लिया. इस सैंपल की लीनिएज मैचिंग की गई तो ये गुडिय़ा के शरीर से मिले सैंपल के डीएनए से मैच कर गया. इससे ये एस्टेब्लिश हो गया कि नीलू ही गुनहगार है. लीनिएज सैंपलिंग इस केस में पहली बार हुई. चूंकि जैनेटिक साइंस में एक ही परिवार के डीएनए के वाई क्रोमोसोम मिलान कर जाते हैं, ऐसे में ये साइंटिफिक तौर पर तय हो गया कि अपराधी नीलू ही है. उस समय सीबीआई के विश्वस्त सूत्रों ने गुपचुप ये बता दिया था कि नीलू के परिजनों ने भी उसकी हरकतों के बारे में सब खुलासा कर दिया था. परिजनों ने बताया था कि नीलू अपराधी प्रवृति का हो चुका है और नशे के जाल में बुरी तरह से फंसा है.
सीबीआई के राडार पर थे नीलू के नजदीकी
जांच के दौरान सीबीआई ने ऐसे लोगों की सूची बनाई, जो किसी न किसी रूप में नीलू के संपर्क में रहते थे. नीलू के बारे में सब जानते थे कि वो लकड़ी के चरान (चीरने) का काम अच्छा करता है. ऐसे कई लोगों से नीलू लकड़ी का चरान करने के काम को लेकर संपर्क में रहता था. नीलू इस कदर शातिर था कि वो वारदात करने के बाद कहीं दूर नहीं गया.
चरानी ने इसी बीच हाटकोटी से एक आदमी को पब्लिक बूथ से फोन किया और चरान के काम को लेकर पूछताछ की. सीबीआई उस दौरान इलाके के सारे फोन ट्रेस कर रही थी. जैसे ही सीबीआई को भनक लगी, उसकी टीम ने तुरंत नीलू को दबोच लिया. सीबीआई की गिरफ्त में आने के बाद नीलू ने पूछताछ में अपना गुनाह कबूल कर लिया. इस तरह सीबीआई के पास पुख्ता साइंटिफिक एवीडेंस व गुनहगार का कबूलनामा आ गया था. इसके आधार पर सीबीआई ने चार्जशीट तैयार की. सीबीआई की जांच में सच सामने आया.
नीलू चरानी ने नशे में किया था दुष्कर्म
नीलू की आपराधिक आदतों और नशेड़ी होने की पुष्टि उसके परिवार वालों ने भी की थी. सीबीआई के दावे के अनुसार साइंटिफिक एवीडेंस इस बात को पुख्ता करते हैं कि मासूम का गुनगहार नीलू ही है. पुलिस ने मौके से छात्रा के शरीर से जो सैंपल लिए थे, उनकी डीएनए प्रोफाइलिंग हिमाचल की जुन्गा फॉरेंसिक लैब ने भी की थी.
जुन्गा लैब की रिपोर्ट अगस्त 2017 में आई और हिमाचल पुलिस की एसआईटी ने जुलाई 2017 में ही प्रेस वार्ता कर दावा कर दिया था कि उसके पास छात्रा के खिलाफ हुए अपराध के साइंटिफिक व सरकमस्टांशिएल एवीडेंस हैं. यदि उस समय एसआईटी ने गंभीरता व धैर्य दिखाया होता तो एसआईटी ही इस मामले को सुलझा देती. बाद में सीबीआई ने जुन्गा लैब में मौजूद डीएनए सैंपल दिल्ली ले जाकर अपनी लैब में जांचे. उस जांच के बाद ये तय हो गया कि छात्रा का गुनहगार एक ही है और गैंगरेप नहीं हुआ है.
जब हुई थी गुड़िया के साथ हुई दरिंदगी
4 जुलाई, 2017 को गुडिय़ा स्कूल से घर जा रही थी. रास्ते में नीलू ने उसे दबोच लिया और दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी. उस समय नीलू नशे में था. गुड़िया का शव छह जुलाई को मिला था. उसके बाद प्रदेश भर में जनता भड़क गई थी. आदतन अपराधी नीलू ने इससे पहले सिरमौर में भी एक महिला से छेडख़ानी की थी और दराट के हमले में उसे बुरी तरह से घायल कर दिया था. उस मामले में बाद में उसे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी.
वो प्रदेश में घूम-घूम कर लकड़ी चीरने का काम करता था और हर जगह महिलाओं पर बुरी नजर रखता था. नशेड़ी होने के साथ ही वो आदतन अपराधिक मानसिकता वाला हो गया था. लेकिन कहते हैं कि गुनहगार कितना भी शातिर हो एक दिन कानून के शिकंजे में आ रही जाता है. गुड़िया से दुष्कर्म और हत्या के 4 साल बाद अदालत ने नीलू को उम्रकैद की सजा सुना दी है.
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