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जीएसटी परिषद की बैठक आज, इन मसलों पर फैसले की उम्मीद

जीएसटी परिषद की आज (17 सितंबर) बैठक होगी. जानकारी के मुताबिक बैठक में पेट्रोल, डीजल को जीएसटी में लाने पर हो सकता है विचार. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद में राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हैं. बैठक में कोविड-19 से जुड़ी आवश्यक सामग्री पर शुल्क राहत की समयसीमा को भी आगे बढ़ाया जा सकता है परिषद की बैठक शुक्रवार को लखनऊ में हो रही हैं.

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Published : Sep 15, 2021, 2:04 PM IST

Updated : Sep 17, 2021, 7:11 AM IST

नई दिल्ली : वित मंत्री निर्मला सीतारमण आज लखनऊ में जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक करेंगी. माल एवं सेवा कर (जीएसटी) (Goods And Service Tax) परिषद की आज होने वाली बैठक में संभवत: पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने पर विचार हो सकता है. यह एक ऐसा कदम होगा जिसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों को राजस्व के मोर्चे पर जबर्दस्त ‘समझौता’ करना होगा. केंद्र और राज्य दोनों को इन उत्पादों पर कर के जरिये भारी राजस्व मिलता है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद में राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हैं. परिषद की बैठक आज सुबह 11 बजे लखनऊ में होगी. वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी. बैठक में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों और केंद्र सरकार तथा राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी शामिल होंगे.

सूत्रों ने कहा कि इस बैठक में कोविड-19 से जुड़ी आवश्यक सामग्री पर शुल्क राहत की समयसीमा को भी आगे बढ़ाया जा सकता है. देश में इस समय वाहन ईंधन के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं. ऐसे में पेट्रोल और डीजल ईंधनों के मामले में कर पर लगने वाले कर के प्रभाव को खत्म करने के लिए यह कदम उठाया जा सकता है. वर्तमान में राज्यों द्वारा पेट्रोल, डीजल की उत्पादन लागत पर वैट नहीं लगता बल्कि इससे पहले केंद्र द्वारा इनके उत्पादन पर उत्पाद शुल्क लगाया जाता है, उसके बाद राज्य उस पर वैट वसूलते हैं.

केरल उच्च न्यायालय ने जून में एक रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान जीएसटी परिषद से पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने पर फैसला करने को कहा था.

सूत्रों ने कहा कि न्यायालय ने परिषद को ऐसा करने को कहा है. ऐसे में इसपर परिषद की बैठक में विचार हो सकता है.

देश में जीएसटी व्यवस्था एक जुलाई, 2017 से लागू हुई थी. जीएसटी में केंद्रीय कर मसलन उत्पाद शुल्क और राज्यों के शुल्क मसलन वैट को समाहित किया गया था. लेकिन पेट्रोल, डीजल, एटीएफ, प्राकृतिक गैस तथा कच्चे तेल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया.

पढ़ें : GST संग्रह अगस्त में 1.12 लाख करोड़, लगातार दूसरे महीने ₹1 लाख करोड़ से ऊपर

इसकी वजह यह है कि केंद्र और राज्य सरकारों दोनों को इन उत्पादों पर कर से भारी राजस्व मिलता है. जीएसटी उपभोग आधारित कर है. ऐसे में पेट्रोलियम उत्पादों को इसके तहत लाने से उन राज्यों को अधिक फायदा होगा जहां इन उत्पादों की ज्यादा बिक्री होगी. उन राज्यों को अधिक लाभ नहीं होगा जो उत्पादन केंद्र हैं.

इसे इस तरह समझाया जा सकता है. उत्तर प्रदेश और बिहार को अपनी बड़ी आबादी की वजह से ऊंची खपत के चलते अधिक राजस्व मिलेगा. वहीं गुजरात जैसे उत्पादन वाले राज्यों का राजस्व नई व्यवस्था में कम होगा.

नई दिल्ली : वित मंत्री निर्मला सीतारमण आज लखनऊ में जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक करेंगी. माल एवं सेवा कर (जीएसटी) (Goods And Service Tax) परिषद की आज होने वाली बैठक में संभवत: पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने पर विचार हो सकता है. यह एक ऐसा कदम होगा जिसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों को राजस्व के मोर्चे पर जबर्दस्त ‘समझौता’ करना होगा. केंद्र और राज्य दोनों को इन उत्पादों पर कर के जरिये भारी राजस्व मिलता है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई वाली जीएसटी परिषद में राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हैं. परिषद की बैठक आज सुबह 11 बजे लखनऊ में होगी. वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी. बैठक में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों और केंद्र सरकार तथा राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी शामिल होंगे.

सूत्रों ने कहा कि इस बैठक में कोविड-19 से जुड़ी आवश्यक सामग्री पर शुल्क राहत की समयसीमा को भी आगे बढ़ाया जा सकता है. देश में इस समय वाहन ईंधन के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं. ऐसे में पेट्रोल और डीजल ईंधनों के मामले में कर पर लगने वाले कर के प्रभाव को खत्म करने के लिए यह कदम उठाया जा सकता है. वर्तमान में राज्यों द्वारा पेट्रोल, डीजल की उत्पादन लागत पर वैट नहीं लगता बल्कि इससे पहले केंद्र द्वारा इनके उत्पादन पर उत्पाद शुल्क लगाया जाता है, उसके बाद राज्य उस पर वैट वसूलते हैं.

केरल उच्च न्यायालय ने जून में एक रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान जीएसटी परिषद से पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने पर फैसला करने को कहा था.

सूत्रों ने कहा कि न्यायालय ने परिषद को ऐसा करने को कहा है. ऐसे में इसपर परिषद की बैठक में विचार हो सकता है.

देश में जीएसटी व्यवस्था एक जुलाई, 2017 से लागू हुई थी. जीएसटी में केंद्रीय कर मसलन उत्पाद शुल्क और राज्यों के शुल्क मसलन वैट को समाहित किया गया था. लेकिन पेट्रोल, डीजल, एटीएफ, प्राकृतिक गैस तथा कच्चे तेल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया.

पढ़ें : GST संग्रह अगस्त में 1.12 लाख करोड़, लगातार दूसरे महीने ₹1 लाख करोड़ से ऊपर

इसकी वजह यह है कि केंद्र और राज्य सरकारों दोनों को इन उत्पादों पर कर से भारी राजस्व मिलता है. जीएसटी उपभोग आधारित कर है. ऐसे में पेट्रोलियम उत्पादों को इसके तहत लाने से उन राज्यों को अधिक फायदा होगा जहां इन उत्पादों की ज्यादा बिक्री होगी. उन राज्यों को अधिक लाभ नहीं होगा जो उत्पादन केंद्र हैं.

इसे इस तरह समझाया जा सकता है. उत्तर प्रदेश और बिहार को अपनी बड़ी आबादी की वजह से ऊंची खपत के चलते अधिक राजस्व मिलेगा. वहीं गुजरात जैसे उत्पादन वाले राज्यों का राजस्व नई व्यवस्था में कम होगा.

Last Updated : Sep 17, 2021, 7:11 AM IST
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