नई दिल्ली : केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि आंगनवाड़ी केंद्रों में सभी बच्चों के लिए 'सामान्य', 'कम वजन', 'गंभीर कुपोषित', 'मध्यम कुपोषित', 'वृद्धि रुकने' और 'कमजोर' के रूप में उनकी स्थिति जानने के लिए विकास माप आवश्यक है.
सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में महिला और बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) मंत्रालय ने कहा है कि हर महीने छह वर्ष की उम्र तक के कम से कम 80 प्रतिशत बच्चों के लिए माप किया जाना चाहिए. इसमें कहा गया है, कोई भी बच्चा जिसे किसी खास महीने में नहीं मापा जाता है, उसे अगले महीने अनिवार्य रूप से नापा जाना चाहिए.
मंत्रालय ने बच्चों की नियमित वृद्धि निगरानी को बढ़ावा देने, पोषण ट्रैकर के उपयोग को बनाए रखने और सेवा वितरण पर ध्यान केंद्रित करने को कहा है. पोषण अभियान के तहत आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के लिए बच्चे के पहले 1,000 दिन को लेकर प्रोत्साहन दिशानिर्देशों को लागू करने के बारे में भी कहा है.
मंत्रालय ने कहा है, 'सभी बच्चों के लिए सामान्य, कम वजन, कुपोषित, गंभीर कुपोषित, वृद्धि रुकने, कमजोर होने के बारे में उनकी स्थिति जानने के लिए विकास माप-लंबाई, ऊंचाई और वजन को जानना आवश्यक है.'
संशोधित दिशानिर्देश एक नवंबर से लागू हो गया है. इस कार्यक्रम के अनुसार, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और दो साल तक के बच्चों के निरीक्षण के लिए कार्यकर्ताओं के घर के कम कम 60 प्रतिशत दौरे को भी रेखांकित किया गया है.
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पत्र में कहा गया, 'इन मानदंडों की उपलब्धि पोषण ट्रैकर एप्लिकेशन के माध्यम से निर्धारित की जाएगी.' पोषण वितरण सेवाओं को मजबूत करने और पारदर्शिता लाने के लिए पिछले साल इस एप्लिकेशन की शुरुआत की गई थी. इसे पोषण संबंधी परिणामों की सतत निगरानी के लिए विकसित किया गया था.
(पीटीआई-भाषा)