हैदराबाद : 1 फरवरी को पेश आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के लिए 2,23,846 करोड़ रुपये आवंटित किए. स्वास्थ क्षेत्र में वित्त मंत्री ने पीएम आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि पहले की तुलना में आवंटन बढ़ाया गया है. स्वास्थ्य क्षेत्र का बजट 94 हजार करोड़ से बढ़कर 2,23,846 करोड़ किया गया है.
ऐसे में सरकार का लक्ष्य सिर्फ कोविड से लड़ना नहीं बल्कि जलजनित बीमारियों से भी निजात दिलाना है. बता दे कि जल जनजनित बीमारियों में मलेरिया, डेंगू, डायरिया, टाइफाइड और हैजा शामिल है. जिससे सरकार दीर्घकालिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों से निपटना चाहती है.
ईटीवी भारत से एक विशेष बातचीत में वित्त मंत्रालय के व्यय सचिव टीवी सोमनाथन ने कहा कि लंबे समय से हमारी स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताएं केवल कोविड-19 को लेकर नहीं थी. इन समस्याओं में मलेरिया और डेंगू की समस्या ज्यादा गंभीर है, जो कि जमे हुए पानी के कारण फैलती है.
बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश में स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने के लिए योजनाओं की घोषणा की. वित्त मंत्री ने देश में त्रिस्तरीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने के लिए अगले छह वर्षों में 64,000 करोड़ रुपये से अधिक के आवंटन के साथ 'पीएम आत्मनिर्भर स्वच्छ भारत योजना' शुरू करने की घोषणा की.
डब्ल्यूएचओ ने स्वच्छ पानी और पर्यावरण पर दिया जोर
हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आने वाले पांच सालों में 2.87 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय (outlay) करने की घोषणा की है. जल जीवन मिशन (शहरी) के तहत 4,378 स्थानीय निकायों में और 500 शहरों में लिक्विड वेस्ट मैनेटमेंट के लिए 2.86 करोड़ परिवारों को स्वच्छ पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए लगभग पांच गुना अधिक धन आवंटित किया गया है.
गंदे पानी के कारण होने वाली बीमारियों टाइफाइड, हैजा, डायरिया से बचाने के लिए हमने स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने पर जोर दिया है.
सोमनाथान कहते हैं कि अगले साल के बजट में बहुत सारा धन पानी और स्वच्छता के ऊपर खर्च किया जाएगा. डब्ल्यूएचओ ने बार-बार स्वच्छ पानी, स्वच्छता और पर्यावरण पर जोर दिया है. सार्वभौमिक स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए जल जीवन मिशन (शहरी) शुरू किया जाएगा.
स्वास्थ्य क्षेत्र में लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, वित्त मंत्री ने अगले पांच वर्षों में शहरी भारत में वेस्ट मैनेजमेंट में सुधार के लिए 1.42 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया.
इस धन का उपयोग वाटर वेस्ट ट्रीटमेंट, एकल-उपयोग प्लास्टिक में कमी, वायु प्रदूषण को कम करने साथ और कई गतिविधियों के लिए उपयोग में लाई जाएगी.
जलजनित रोगों का भार
2019 में भारत में 5.6 मिलियन मलेरिया के मामले रिपोर्ट किए गए थे, तो वहीं 21 वीं सदी की शुरुआत में औसत 20 मिलियन वार्षिक मामलों से तेज गिरावट देखने को मिला.
डब्ल्यूएचओ के ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश अभी भी 2019 में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र से रिपोर्ट की गई कुल 9,000 मलेरिया से संबंधित मौतों में 86 प्रतिशत का हिस्सा है. वहीं पड़ोसी देश श्रीलंका को आधिकारिक रूप से पांच साल पहले ही मलेरिया मुक्त घोषित किया जा चुका है.
डायरिया, हैजा, टाइफाइड और वायरल हेपेटाइटिस जैसी जलजनित बीमारियां पॉलिसी बनाने वालों के लिए एक गंभीर समस्या है.
पिछले साल राज्यसभा में सरकार द्वारा दिए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2018 में देश में डायरिया के 1.32 करोड़ मामले और टाइफाइड के 23 लाख मामले रिपोर्ट किए गए थे, लेकिन कॉलरा के 700 से भी कम मामले रिपोर्ट किए गए.
स्वास्थ्य सेवा पर दीर्घकालिक असर
विशेषज्ञों ने भारत की स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को हल करने के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण का स्वागत किया है, जो केवल कोविड -19 महामारी तक सीमित नहीं हैं.
CRDF, CEPT विश्वविद्यालय के जल और स्वच्छता केंद्र की कार्यकारी निदेशक मीरा मेहता ने कहा कि कोविड -19 महामारी ने वास्तव में सुरक्षित और कुशल स्वच्छता के महत्व पर प्रकाश डाला है. 2021 के बजट में सार्वभौमिक जल ,स्वच्छता और सार्वभौमिक स्वास्थ्य पर विशेष रूप से ध्यान दिया है.
मेहता कहती हैं कि अब इस बीमारियों को ध्य़ान में रखते हुए सेप्टेज प्रबंधन के लिए एक राष्ट्रव्यापी प्रयास किया जाएगा, जिसका पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जमें हुए पानी के प्रबंधन के लिए 2.87 लाख करोड़ रुपये का आवंटन, 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में प्रेरित करेगा.
भारत के प्रशासनिक स्टाफ कॉलेज, अर्बन गवर्नेंस एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के निदेशक प्रोफेसर वी. श्रीनिवास चेरी ने कहा कि अगले साल के बजट में सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं तैयार किए जाएंगे, बल्कि वेस्ट के निस्तारण पर को भी सुनिश्चित करेंगे.
प्रोफेसर चेरी ने ईटीवी भारत से कहा कि यह समावेशी स्वच्छता के दृष्टिकोण से गेम चेंजिंग बजट है. यह बजट शहरी गरीबों के लिए सकारात्मक उम्मीद लेकर आएगा.