नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि मंकीपॉक्स रोग के बाहर से आने के जोखिम को कम करने के साथ-साथ इसकी रोकथाम के लिए आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य और नैदानिक हस्तक्षेप को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. सभी हवाई अड्डे और बंदरगाह के स्वास्थ्य अधिकारियों को सतर्क रहने और आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की कड़ी स्वास्थ्य जांच करने का निर्देश दिया गया है.
आईसीएमआर के तहत एनआईवी पुणे (बीएसएल-4 प्रयोगशाला) को संदिग्ध मामलों के परीक्षण के लिए एक रेफरल प्रयोगशाला के रूप में नामित किया गया है. इसके अलावा, 14 अन्य ICMR-VRDL नेटवर्क प्रयोगशालाओं को मंकीपॉक्स रोग के नैदानिक परीक्षण के लिए संचालित किया गया है. राज्य सभा में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने यह जानकारी दी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार 4 जुलाई तक यूरोपीय क्षेत्र से मंकीपॉक्स रोग के कुल 4920 प्रयोगशालाओं ने मामले सामने आने की पुष्टी की है. यह क्षेत्र मामलों की बढ़ती प्रवृत्ति की ओर इशारा कर रहा है, जिसमें अधिकांश मामले वर्तमान में स्पेन, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और नीदरलैंड से सामने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) के तहत राज्य और जिला निगरानी अधिकारियों (एसएसओ) को मंकीपॉक्स रोग के लिए निगरानी गतिविधियों को तेज करने का निर्देश दिया गया है.
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स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी हितधारकों को 'मंकीपॉक्स रोग के प्रबंधन पर दिशानिर्देश' तैयार कर इसे प्रसारित भी किए हैं. इसमें मामले की परिभाषा, निगरानी रणनीति, नैदानिक प्रबंधन, संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण, जोखिम संचार आदि शामिल किया गया है. पवार ने कहा, 'स्वास्थ्य मंत्रालय सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के साथ-साथ औपचारिक संचार के माध्यम से बातचीत करता है.
साथ ही सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यों के लिए सलाह दी है.' उन्होंने आगे कहा कि 14 जुलाई को केरल से एक यात्री में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया था. पवार ने कहा, 'इसके बाद राज्य के स्वास्थ्य विभाग को इसके प्रकोप नियंत्रण और रोकथाम के प्रयासों में सहायता के लिए विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय केंद्रीय बहु-अनुशासनात्मक टीम तैनात की गई है.'