नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद सरकार को प्रभावी अनुवर्ती कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए. उक्त बातें उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह (former DGP Uttar Pradesh Prakash Singh) ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कही.
उन्होंने कहा कि हालांकि भारत सरकार ने अब तक एक बहुत व्यापक कार्रवाई की है और देश भर में विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की, लेकिन अनुवर्ती कार्रवाई भी आधे मन से नहीं की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसे संगठनों को खत्म करने के लिए कार्रवाई की जाना चाहिए. पूर्व डीजीपी सरकार द्वारा पीएफआई पर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि यह सरकार के द्वारा उठाया गया एक सही कदम है.
पूर्व डीजीपी सिंह ने कहा कि हालांकि इस तरह की कार्रवाई बहुत पहले ही होनी थी, मुझे नहीं पता कि सरकार ने इतना समय क्यों लिया. उन्होंने पीएफआई संगठन विध्वंसक गतिविधियों में शामिल था और विभिन्न राज्यों में वह अपना नेटवर्क फैलाने में कामयाब रहा. सीमा सुरक्षा बल (BSF) के महानिदेशक के रूप में भी काम कर चुके सिंह ने कहा, पीएफआई से जुड़े कई अन्य लोग हैं, जिन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि ये लोग आतंकवाद और तोड़फोड़ की कार्रवाई को यहां-वहां उकसा सकते हैं, इसको देखते हुए हमें उनके हमले को लेकर तैयार रहना चाहिए.
उन्होंने आगाह किया कि पीएफआई अब अपने विदेशी चैनल को सक्रिय करेगा और वे बड़े पैमाने पर प्रचार शुरू करेंगे कि उन्होंने (भारत) मुसलमानों को सताया है. बता दें कि पीएफआई 1970 के दशक से प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का एक परिष्कृत संस्करण है. दरअसल, सिमी के भारत में बैन होने के बाद इसके कई नेता एक साथ आए और कुछ अन्य संगठनों के साथ मिलकर पीएफआई का गठन किया.
सिंह ने कहा, भारत सरकार को वैश्विक बिरादरी को सही संदेश देने के लिए अपने विदेशी चैनल का उपयोग करना चाहिए. सभी को पता होना चाहिए कि यह किसी विशेष समुदाय के खिलाफ की गई कार्रवाई नहीं है, बल्कि यह भारत को विघटित करने की कोशिश कर रहे संगठन के खिलाफ की गई कार्रवाई है. हालांकि केंद्र सरकार ने एक राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से पीएफआई को गैरकानूनी संघ करार देते हुए पांच साल की अवधि के लिए प्रतिबंध लगा दिया है.
इसी क्रम में सरकार के द्वारा आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत प्रतिबंध के बाद अब पीएफआई की संपत्ति, बैंक खाते जब्त किए जाएंगे. वहीं विभिन्न राज्यों में पीएफआई और इसके प्रमुख संगठनों के कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुलिस और एनआईए द्वारा 1300 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे. जबकि कुछ मामले यूएपीए, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और आईपीसी की अन्य जघन्य धाराओं के तहत भी दर्ज किए गए थे.
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