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सरकार कृषि कानूनों पर वार्ता के लिए गंभीर नहीं : राकेश टिकैत

किसान आंदोलन के समर्थन में शुक्रवार को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में किसान महापंचायत आयोजित की गई. महापंचायत को संबोधित करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों ने आंदोलन को अगले दो साल तक जारी रखने के लिए भी तैयारी कर ली है.

किसान आंदोलन
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Published : Feb 26, 2021, 10:07 PM IST

श्रीगंगानगर : कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी कानून बनाने की मांग के साथ तीन महीने से भी अधिक समय से चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में शुक्रवार को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में किसान महापंचायत हुई. पदमपुर कस्बे में हुई इस महापंचायत में हजारों की संख्या में महिला और पुरुष किसान पहुंचे.

श्रीगंगानगर में किसान महापंचायत

किसान नेता राकेश टिकैत ने किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने होंगे. उन्होंने कहा कि जब तक तीनों कानूनों को वापस नहीं लिया जाता है, तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा.

टिकैत ने कहा कि किसानों ने आंदोलन को अगले दो साल तक जारी रखने के लिए भी तैयारी कर ली है. इससे पहले आंदोलन को मई महीने तक और फिर अक्टूबर महीने तक जारी रखने का एलान किया गया था, जिसकी समय अवधि अब बढ़ा दी है. उन्होंने कहा कि आंदोलन की शुरुआत पंजाब में हुई थी, लेकिन अब यह आंदोलन पूरे देश में फैल चुका है.

उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने की कोशिश
किसान नेताओं ने कहा कि किसानों को जगह-जगह से समर्थन मिल रहा है और यह आंदोलन गांव-गांव तक पहुंच गया है. संसद की तरफ ट्रैक्टर मार्च पर टिकैट ने कहा कि इस बारे में निर्णय किसान मोर्चा स्तर पर ही लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने तीन कानून बनाकर अपने नजदीकी उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की है.

सरकार वार्ता के लिए गंभीर नहीं
महापंचायत को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि सरकार वार्ता के लिए गंभीर नहीं है. कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन सरकार ने एक बार भी कानून को वापस लेने पर सहमति नहीं जताई है. उन्होंने कहा कि अभी तक नए दौर की वार्ता के लिए तारीख का निर्णय निर्धारण नहीं किया गया है.

किसान नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि उनकी दूरी किसानों से एक फोन कॉल की दूरी पर है, जबकि अभी तक उस नंबर को नहीं बताया गया, जिससे उच्च स्तरीय वार्ता हो सके.

पढ़ें- कृषि कानून के खिलाफ पाली में कांग्रेस ने निकाली ट्रैक्टर रैली

उन्होंने कहा कि सरकार आश्वासन देना चाहती है, लेकिन कानून बनाना नहीं चाहती. एमएसपी लागू होने के बाद किसानों की फसल का अनुचित लाभ व्यापारी नहीं उठा सकेंगे.

श्रीगंगानगर : कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी कानून बनाने की मांग के साथ तीन महीने से भी अधिक समय से चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में शुक्रवार को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में किसान महापंचायत हुई. पदमपुर कस्बे में हुई इस महापंचायत में हजारों की संख्या में महिला और पुरुष किसान पहुंचे.

श्रीगंगानगर में किसान महापंचायत

किसान नेता राकेश टिकैत ने किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने होंगे. उन्होंने कहा कि जब तक तीनों कानूनों को वापस नहीं लिया जाता है, तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा.

टिकैत ने कहा कि किसानों ने आंदोलन को अगले दो साल तक जारी रखने के लिए भी तैयारी कर ली है. इससे पहले आंदोलन को मई महीने तक और फिर अक्टूबर महीने तक जारी रखने का एलान किया गया था, जिसकी समय अवधि अब बढ़ा दी है. उन्होंने कहा कि आंदोलन की शुरुआत पंजाब में हुई थी, लेकिन अब यह आंदोलन पूरे देश में फैल चुका है.

उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने की कोशिश
किसान नेताओं ने कहा कि किसानों को जगह-जगह से समर्थन मिल रहा है और यह आंदोलन गांव-गांव तक पहुंच गया है. संसद की तरफ ट्रैक्टर मार्च पर टिकैट ने कहा कि इस बारे में निर्णय किसान मोर्चा स्तर पर ही लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने तीन कानून बनाकर अपने नजदीकी उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की है.

सरकार वार्ता के लिए गंभीर नहीं
महापंचायत को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि सरकार वार्ता के लिए गंभीर नहीं है. कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन सरकार ने एक बार भी कानून को वापस लेने पर सहमति नहीं जताई है. उन्होंने कहा कि अभी तक नए दौर की वार्ता के लिए तारीख का निर्णय निर्धारण नहीं किया गया है.

किसान नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि उनकी दूरी किसानों से एक फोन कॉल की दूरी पर है, जबकि अभी तक उस नंबर को नहीं बताया गया, जिससे उच्च स्तरीय वार्ता हो सके.

पढ़ें- कृषि कानून के खिलाफ पाली में कांग्रेस ने निकाली ट्रैक्टर रैली

उन्होंने कहा कि सरकार आश्वासन देना चाहती है, लेकिन कानून बनाना नहीं चाहती. एमएसपी लागू होने के बाद किसानों की फसल का अनुचित लाभ व्यापारी नहीं उठा सकेंगे.

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