नई दिल्ली : महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) ने कहा कि सत्तारूढ़ सरकार, पार्टी को तोड़ने के लिए प्रफुल्ल पटेल, अजित पवार और अन्य के खिलाफ दबाव की रणनीति का इस्तेमाल कर रही है. कल सब कुछ सार्वजनिक डोमेन में डाल दिया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि 'हम सभी जल्द ही एक साथ आएंगे.'
सवाल : अजित पवार दावा कर रहे हैं कि एनसीपी पर उनका नियंत्रण है, जबकि शरद पवार के सबसे करीबी माने जाने वाले प्रफुल्ल पटेल ने भी पाला बदल लिया है और बर्खास्तगी और जवाबी कार्रवाई हुई है. आप इसे कैसे देखते हैं? क्या शरद पवार इन घटनाक्रमों से अनजान थे?
जवाब : नहीं, शरद पवार इन घटनाक्रमों से पूरी तरह अनजान थे और वे आश्चर्यचकित रह गए. एनसीपी में किसी को नहीं पता था कि ये सब होने वाला है. ये फैसला बेहद दर्दनाक है और इसने हमें हैरान कर दिया है.'
सवाल : यह घटनाक्रम मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा शिवसेना के भीतर तख्तापलट का नेतृत्व करने के एक साल बाद हुआ है. क्या एनसीपी भी उसी भरोसे पर खरी उतरेगी?
जवाब : वर्तमान सरकार पार्टियों को तोड़ने के लिए दबाव की रणनीति अपना रही है. यह एक सर्वविदित तथ्य है कि जब शिवसेना में तख्तापलट हुआ, तो सभी दलबदलुओं (शिंदे खेमे) को 50 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था. प्रफुल्ल पटेल और अजित पवार सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं और मुझे लगता है कि उनके खिलाफ दबाव की रणनीति का इस्तेमाल किया गया है और इसीलिए ये सब हो रहा है.
सवाल : महाराष्ट्र विधानसभा में जो दलबदलू अब भाजपा-एकनाथ शिंदे खेमे में शामिल हो गए हैं, उनमें से अधिकांश पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं और वे केंद्रीय एजेंसियों की जांच के दायरे में हैं. क्या आपको लगता है कि अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल द्वारा एनसीपी के भीतर तख्तापलट का नेतृत्व करने के पीछे यही मुख्य कारण है?
जवाब : मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है. वहीं, शरद पवार पहले ही इस बात को स्पष्ट कर चुके हैं. (शरद पवार के उस बयान का जिक्र करते हुए जहां उन्होंने पीएम मोदी द्वारा एनसीपी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के कुछ दिनों बाद हमारे 'भ्रष्ट' सहयोगियों को क्लीन चिट देने के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया था). मैं इस बारे में और कुछ नहीं कहना चाहता.
सवाल : अब मामला स्पीकर के पास चला गया है जो सत्ता पक्ष के सदस्य हैं. क्या आपको विश्वास है कि न्याय की जीत होगी?
जवाब : सिर्फ स्पीकर ही नहीं बल्कि मामला चुनाव आयोग तक भी जा चुका है. अब, यह पार्टी व्हिप पर निर्भर है. महाराष्ट्र एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटिल ने डॉ. जितेंद्र अवहाद को पार्टी का मुख्य सचेतक नियुक्त किया है. इसलिए, नेताओं को अब उनके दिशानिर्देशों और उनके फैसलों का पालन करना होगा. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने शिवसेना विवाद में अपने फैसले में कहा कि पार्टी प्रमुख मुख्य सचेतक की नियुक्ति करेंगे और फिर सभी नेताओं को व्हिप का पालन करना होगा.
सवाल : इस समय आपके पास कितने नंबर हैं?
जवाब : कल सब कुछ सार्वजनिक डोमेन में डाल दिया जाएगा. एक दिन इंतजार करें और सारी अफवाहें दरकिनार हो जाएंगी. फिलहाल, हमारे पास सटीक आंकड़े नहीं हैं. हम सभी शरद पवार के साथ हैं.
सवाल : जो लोग आज बागी बने हैं, अगर कल वे लोग शरद पवार के साथ आना चाहें तो क्या एनसीपी इसकी इजाजत देगी?
जवाब : ये तो बस शुरुआत है. कई नेता लौटेंगे.
सवाल : क्या आपको नहीं लगता कि शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के सबसे करीबी सहयोगी प्रफुल्ल पटेल ने पार्टी की पीठ में छुरा घोंपा है?
जवाब : प्रफुल्ल पटेल, अजित पवार, छगन भुजबल और अन्य सभी जो अब विद्रोह कर चुके हैं, सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं. उनके कृत्यों से हमें अत्यधिक पीड़ा हुई है.
देखिए, पवार साहब 80 साल से ऊपर के हैं और उनकी उम्र को देखते हुए इन बागियों ने जो कदम उठाया है, उससे हमें बहुत दुख हुआ है और वो परेशान करने वाले हैं. उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था. शरद पवार अभी भी सबसे बड़े नेता हैं और वह अब लगभग सभी जिलों का दौरा करेंगे और आप देखेंगे कि हर कोई उनका स्वागत करेगा और उनके साथ जुड़ेगा, चाहे वह युवा हो या अन्य. यही शरद पवार का करिश्मा है.
कल शरद पवार ने गुरु पूर्णिमा पर केराड में अपने गुरु यशवंतराव चव्हाण को श्रद्धांजलि दी और उनके हजारों समर्थकों ने उनका स्वागत किया.
सवाल : इन घटनाक्रमों के पीछे मुख्य दोषी कौन है?
जवाब : मुझे नहीं पता कि किस तरह के दबाव ने उन्हें ऐसा करने पर मजबूर कर दिया है. सब जानते हैं कि उन पर दबाव कौन बना रहा है. यह तो हम सब जानते हैं.
सवाल : क्या यह एनसीपी के भीतर सत्ता की राजनीति है. साथ ही रिपोर्टों में कहा गया है कि शरद पवार चाहते हैं कि रोहित पवार पार्टी का नेतृत्व करें, न कि पार्थ पवार (अजित पवार के बेटे)?
जवाब : ये झूठी खबरें हैं. रोहित पवार हमारे विधायक हैं और पार्थ पवार हमारे बेटे समान हैं. ये फर्जी रिपोर्ट हैं.
सवाल : अगर सब कुछ ठीक रहा तो क्या प्रफुल्ल पटेल और अजित पवार को शरद पवार खेमे में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी?
जवाब : अपने ही अपनों से छूट गए, अपने ही अपनों से दूर चले गए हैं, मान जाएंगे एक दिन मानने से और साथ आएंगे वक्त आने पे.