नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने बुधवार को लोकसभा को बताया कि इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने मसौदा 'राष्ट्रीय डेटा संचालन नीति' पर सार्वजनिक विचार-विमर्श पूरा कर लिया है, जिसका मकसद उभरती हुई प्रौद्योगिकी जरूरतों के अनुरूप डेटा की पहुंच, गुणवत्ता और उपयोग को बढ़ाना है. लोकसभा में श्याम सिंह यादव के प्रश्न के लिखित उत्तर में इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह जानकारी दी. केंद्रीय मंत्री ने बताया कि प्रस्तावित राष्ट्रीय डेटा संचालन नीति का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी और निजी क्षेत्रों की संस्थाओं के गैर व्यक्तिगत और अज्ञात डेटा नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने के मकसद से शिक्षाविदों और स्टार्टअप को सुरक्षित रूप से सुलभ होने चाहिए.
वैष्णव ने बताया कि यह डेटा पहुंच और उपयोग को नियंत्रित करने, अंतर-सरकारी डेटा पहुंच को सुव्यवस्थित करने, डेटा की गुणवत्ता और मेटा डेटा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने एवं गुमनाम दिशानिर्देश तैयार करने के लिए एक संस्थागत ढांचा प्रदान करता है. उन्होंने बताया कि डेटा किसी भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण इनपुट होता है, जिसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने एक ओपन गवर्नमेंट डेटा प्लेटफार्म विकसित किया है. वर्तमान में विभिन्न केंद्रीय और राज्य विभागों के 6,01,059 डेटा संसाधन इस प्लेटफार्म पर उपलब्ध हैं.
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केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक गठजोड़ (जीपीएआई) का संस्थापक सदस्य है जो 15 जून 2020 को इस पहल में शामिल हुआ था. मंत्री ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने मसौदा 'राष्ट्रीय डेटा संचालन नीति' पर सार्वजनिक विचार-विमर्श पूरा कर लिया है जिसका मकसद उभरती हुई प्रौद्योगिकी जरूरतों के अनुरूप डेटा की पहुंच, गुणवत्ता और उपयोग को बढ़ाना है.
(पीटीआई-भाषा)