ETV Bharat / bharat

Amendment in IT Rules : एडिटर्स गिल्ड ने कहा-अकेले सरकार Fake News का निर्धारण नहीं कर सकती - Moderator Guidelines

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने मंगलवार को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के मसौदे में संशोधन जारी किया जिसके बाद 'एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया' और 'डिजिपब न्यूज इंडिया फाउंडेशन' ने कुछ आपत्तियां जताई हैं.

Amendment in IT Rules
प्रतिकात्मक तस्वीर
author img

By

Published : Jan 20, 2023, 2:31 PM IST

नई दिल्ली : 'एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया' ने बुधवार को सरकार से आग्रह किया कि सोशल मीडिया कंपनियों को पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) द्वारा 'फर्जी' माने जाने वाले समाचारों को हटाने के लिए निर्देश देने वाले आईटी नियमों में संशोधन के मसौदे को 'हटाया' जाए. 'एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया' द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि गिल्ड मंत्रालय से इस नए संशोधन को हटाने और डिजिटल मीडिया के लिए नियामक ढांचे पर प्रेस निकायों, मीडिया संगठनों और अन्य हितधारकों के साथ सार्थक परामर्श शुरू करने का आग्रह करता है ताकि प्रेस की स्वतंत्रता को कोई नुकसान ना हो.
गिल्ड ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियम के मसौदा संशोधन पर 'गहरी चिंता' व्यक्त करते हुए एक बयान में कहा कि फर्जी समाचारों के निर्धारण का जिम्मा केवल सरकार के हाथों में नहीं हो सकता है...इसके परिणामस्वरूप प्रेस की सेंसरशिप होगी. गिल्ड ने कहा कि तथ्यात्मक रूप से गलत पाए जाने वाली सामग्री से निपटने के लिए पहले से ही कई कानून मौजूद हैं.

पढ़ें: Google की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का विचार करने से इनकार, कंपनी कर रही है फैसले की समीक्षा

गिल्ड ने कहा कि यह नई प्रक्रिया मूल रूप से स्वतंत्र प्रेस को दबाने में इस्तेमाल हो सकती है और पीआईबी या 'तथ्यों की जांच के लिए केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत किसी अन्य एजेंसी' को उन ऑनलाइन मध्यस्थों को सामग्री को हटाने के लिए मजबूर कर सकती है जिससे सरकार को समस्या हो सकती है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने मंगलवार को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के मसौदे में संशोधन जारी किया, जिसे पहले सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया गया था.

आईटी नियमों में प्रस्तावित संशोधन प्रेस को दबाने का हथियार : डिजिपब : देश में डिजिटल समाचार संगठनों के संघ ‘डिजिपब’ ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में प्रस्तावित संशोधन संभावित रूप से 'प्रेस को दबाने वाला सुविधाजनक संस्थागत हथियार' साबित हो सकता है. 'डिजिपब न्यूज इंडिया फाउंडेशन' ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि सरकार को यह निर्धारित करने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए कि कौन-सी सूचना या समाचार असली है और कौन-सी फर्जी.

पढ़ें: Maharashtra Woman eat human ashes: महाराष्ट्र के पुणे में महिला को खिलाया हड्डियों की राख, मामला दर्ज

इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मंगलवार को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया, जिसके तहत सोशल मीडिया कंपनियों से प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) या तथ्य-जांच के लिए केंद्र सरकार की ओर से अधिकृत किसी अन्य एजेंसी द्वारा 'फर्जी' करार दिए जाने वाले समाचार लेखों को हटाने के लिए कहने का प्रावधान है.

बयान में कहा गया है कि डिजिपब का दृढ़ता से मानना है कि गलत सूचना/भ्रामक सूचना के संकट से निपटने की आवश्यकता है. हालांकि, प्रस्तावित संशोधन भारत सरकार को बिना किसी प्रक्रिया के यह पता लगाने के लिए मनमानी और विवेकाधीन शक्ति प्रदान करते हैं कि कोई सामग्री 'फर्जी' है या नहीं. डिजिपब ने कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए केवल सरकार ही एकमात्र हितधारक नहीं है. बयान में कहा गया है कि लिहाजा सरकार को यह तय करने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए कि कौन-सी सूचना/समाचार असली है और कौन-सी फर्जी.

पढ़ें: BJP leader Praveen Netaru murder case : बीजेपी नेता प्रवीण नेट्टारू हत्याकांड में PFI के दो सदस्यों पर 5 लाख का इनाम

नई दिल्ली : 'एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया' ने बुधवार को सरकार से आग्रह किया कि सोशल मीडिया कंपनियों को पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) द्वारा 'फर्जी' माने जाने वाले समाचारों को हटाने के लिए निर्देश देने वाले आईटी नियमों में संशोधन के मसौदे को 'हटाया' जाए. 'एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया' द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि गिल्ड मंत्रालय से इस नए संशोधन को हटाने और डिजिटल मीडिया के लिए नियामक ढांचे पर प्रेस निकायों, मीडिया संगठनों और अन्य हितधारकों के साथ सार्थक परामर्श शुरू करने का आग्रह करता है ताकि प्रेस की स्वतंत्रता को कोई नुकसान ना हो.
गिल्ड ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियम के मसौदा संशोधन पर 'गहरी चिंता' व्यक्त करते हुए एक बयान में कहा कि फर्जी समाचारों के निर्धारण का जिम्मा केवल सरकार के हाथों में नहीं हो सकता है...इसके परिणामस्वरूप प्रेस की सेंसरशिप होगी. गिल्ड ने कहा कि तथ्यात्मक रूप से गलत पाए जाने वाली सामग्री से निपटने के लिए पहले से ही कई कानून मौजूद हैं.

पढ़ें: Google की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का विचार करने से इनकार, कंपनी कर रही है फैसले की समीक्षा

गिल्ड ने कहा कि यह नई प्रक्रिया मूल रूप से स्वतंत्र प्रेस को दबाने में इस्तेमाल हो सकती है और पीआईबी या 'तथ्यों की जांच के लिए केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत किसी अन्य एजेंसी' को उन ऑनलाइन मध्यस्थों को सामग्री को हटाने के लिए मजबूर कर सकती है जिससे सरकार को समस्या हो सकती है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने मंगलवार को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के मसौदे में संशोधन जारी किया, जिसे पहले सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया गया था.

आईटी नियमों में प्रस्तावित संशोधन प्रेस को दबाने का हथियार : डिजिपब : देश में डिजिटल समाचार संगठनों के संघ ‘डिजिपब’ ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में प्रस्तावित संशोधन संभावित रूप से 'प्रेस को दबाने वाला सुविधाजनक संस्थागत हथियार' साबित हो सकता है. 'डिजिपब न्यूज इंडिया फाउंडेशन' ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि सरकार को यह निर्धारित करने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए कि कौन-सी सूचना या समाचार असली है और कौन-सी फर्जी.

पढ़ें: Maharashtra Woman eat human ashes: महाराष्ट्र के पुणे में महिला को खिलाया हड्डियों की राख, मामला दर्ज

इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मंगलवार को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया, जिसके तहत सोशल मीडिया कंपनियों से प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) या तथ्य-जांच के लिए केंद्र सरकार की ओर से अधिकृत किसी अन्य एजेंसी द्वारा 'फर्जी' करार दिए जाने वाले समाचार लेखों को हटाने के लिए कहने का प्रावधान है.

बयान में कहा गया है कि डिजिपब का दृढ़ता से मानना है कि गलत सूचना/भ्रामक सूचना के संकट से निपटने की आवश्यकता है. हालांकि, प्रस्तावित संशोधन भारत सरकार को बिना किसी प्रक्रिया के यह पता लगाने के लिए मनमानी और विवेकाधीन शक्ति प्रदान करते हैं कि कोई सामग्री 'फर्जी' है या नहीं. डिजिपब ने कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए केवल सरकार ही एकमात्र हितधारक नहीं है. बयान में कहा गया है कि लिहाजा सरकार को यह तय करने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए कि कौन-सी सूचना/समाचार असली है और कौन-सी फर्जी.

पढ़ें: BJP leader Praveen Netaru murder case : बीजेपी नेता प्रवीण नेट्टारू हत्याकांड में PFI के दो सदस्यों पर 5 लाख का इनाम

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.