कोट्टायम (केरल) : केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (arif mohammad khan) ने गुरुवार को कहा कि वह हाल में राज्य की विधानसभा द्वारा पारित विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी नहीं देंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि इस विधेयक में अनियमितताओं को वैध रूप देने की कोशिश की गई है. इससे मुख्यमंत्री व उनके मंत्रियों के कर्मचारियों के 'अयोग्य रिश्तेदारों' की नियुक्तियों का रास्ता साफ होगा.
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I won't allow appointment of unqualified relatives of CM & ministers in universities...I'm not a rubber stamp. I'll apply my mind, come to my own judgment,then decide what's in accordance to law, constitution &convention: Kerala Guv AM Khan on Kerala University appointments issue pic.twitter.com/uS6AaVsdA6
— ANI (@ANI) September 15, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) September 15, 2022
'रबड़ स्टैंप के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता' : खान ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्हें रबड़ स्टैंप के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. राज्यपाल ने संकेत दिया कि वह विधानसभा द्वारा पारित लोक आयुक्त विधेयक के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि कोई भी अपनी मनमर्जी से फैसले नहीं ले सकता.
खान ने विश्वविद्यालय कानून विधेयक के बारे में कहा, 'मैं ऐसा तंत्र अपनाने की अनुमति नहीं दे सकता, जिसका उपयोग करके सत्ता में बैठे लोगों के अयोग्य व कम योग्य रिश्तेदारों, मुख्यमंत्री व अन्य मंत्रियों के निजी कर्मचारियों के संबंधियों को विश्वविद्यालयों के पदों पर नियुक्त किया जा सके.' हाल ही में, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के निजी सचिव की पत्नी को कन्नूर विश्वविद्यालय में मलयालम विभाग में नियुक्त करने के प्रयास पर विवाद खड़ा हो गया था. साक्षात्कार के चरण में उनका रिसर्च स्कोर सबसे कम था, लेकिन उन्हें चयन प्रक्रिया में प्रथम घोषित किया गया था.
विपक्षी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के सदस्यों के विरोध और बहिष्कार के बावजूद केरल विधानसभा ने 30 अगस्त को विवादित लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक और एक सितंबर को विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक पारित कर दिए थे. खान ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक के जरिए सरकार अनियमितताओं को वैध रूप देने का प्रयास कर रही है.
खान ने कहा, 'मैंने पहले कहा था कि मैं कुलाधिपति का अपना पद त्याग दूंगा. लेकिन आप सबकुछ करके यह चाहते हैं कि मैं उसपर हस्ताक्षर कर दूं. यह संभव नहीं है. इस विधेयक के जरिए वे अनियमितताओं को वैध रूप देने की कोशिश कर रहे हैं. मैं ऐसा नहीं होने दूंगा.'
राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने पहले था कि वह विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति का पद छोड़ने को तैयार हैं. खान ने कहा, 'लेकिन अगर मैं कुलाधिपति हूं, तो मुझे रबड़ स्टैंप के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. मैं सभी को एक बात बिल्कुल स्पष्ट कर देता हूं. मैं रबर स्टैंप नहीं हूं. मैं अपने विवेक, अपने निर्णय, अपने दृष्टिकोण पर अमल करूंगा और फिर मैं संविधान, कानून और परंपरा के अनुसार फैसला करूंगा. लेकिन वे (सरकार) परंपराओं को तोड़ रहे हैं.'
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लोकायुक्त विधेयक के बारे में उन्होंने कहा कि न्यायशास्त्र का मूल सिद्धांत किसी को भी अपनी मनमर्जी से फैसले लेने की अनुमति नहीं देता. इस विधेयक में लोकायुक्त की रिपोर्ट पर कार्यपालिका को अपीलीय प्राधिकारी बनाने का प्रयास किया गया है. खान ने कहा कि लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार होने का मतलब यह नहीं है कि आप कानून तोड़ सकते हैं, इसका मतलब है कि आपको कानूनों और नियमों का पालन करना होगा.
(पीटीआई-भाषा)