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छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को लेकर राज्यपाल और मुख्यमंत्री आमने-सामने - Governor and Chief Minister reaction

छत्तीसगढ़ में में धर्मांतरण के मुद्दे राज्यपाल अनुसुइया उइके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अलग-अलग प्रतिक्रियाओं ने राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया है. दरअसल, बस्तर में एक कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने धर्मांतरण के नाम पर आदिवासी बहनों के साथ शोषण की बात कही थी, जिस पर मुख्यमंत्री ने कार्रवाई करने का आश्वासन दिया. वहीं अब इस मुद्दे पर कई नेताओ की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं.

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Published : Feb 13, 2021, 10:58 PM IST

जगदलपुर : आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के मुद्दे पर राज्यपाल और मुख्यमंत्री आमने-सामने हैं. मुद्दा तब शुरू हुआ जब राज्यपाल अनुसुइया उइके ने बस्तर में मंच से ये कहा था कि धर्मांतरण के नाम पर आदिवासी बहनों के साथ शोषण हो रहा है. मुख्यमंत्री ने भी जवाब दिया कि शिकायत लेकर आएं, कार्रवाई होगी.

क्या कहा था राज्यपाल ने ?
राज्यपाल ने कहा था कि धर्मांतरण बड़ी समस्या है. कुछ तत्व समाज को तोड़कर आदिवासी बहनों के साथ अन्याय कर रहे हैं. आदिवासी बहनों को प्रलोभन देकर, सीधेपन का लाभ उठाकर, उन्हें बहला-फुसलाकर उनकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि मेरे पास आवेदन आ रहे हैं कि आदिवासी बहनों के साथ नाइंसाफी हुई है, शोषण हुआ है. धर्मांतरण कर उनके नाम से जमीन की खरीद-फरोख्त की जा रही है. यही नहीं उनके सारे जमीन-जायदाद भी हड़पे जा रहे हैं, जो काफी गंभीर विषय है. इसके साथ ही उन्होंने देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को भी इस समस्या से अवगत कराया है.

राज्यपाल का बयान

भूमकाल दिवस पर कही थी ये बात
राज्यपाल ने बस्तर के आदिवासी समाज के प्रमुखों के द्वारा आवेदन देने के बाद भूमकाल दिवस पर ये बात कही थी. राज्यपाल ने हाल ही में बस्तर का दौरा किया है.

मुख्यमंत्री ने क्या कहा ?
राज्यपाल के बयान पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पलटवार किया. सीएम बघेल ने कहा, अगर केस है, तो हमारे पास कानून बना हुआ है. शिकायत आए, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. किसी को छोड़ा नहीं जाएगा.

सीएम ने दिया जवाब

मनीष कुंजाम ने क्या कहा ?
आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम का कहना है कि धर्मांतरण बस्तर में एक बड़ी समस्या है. आदिवासी की अपनी संस्कृति, आस्था, विश्वास और धर्म है. उसमें बदलाव नहीं किया जाना चाहिए. मनीष कुंजाम ने कहा, ये बहुत चिंता की बात है धर्मांतरण रुकना चाहिए. कुंजाम ने कहा, पुलिस को शोषण के मामलों में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए. आदिवासियों की जमीन कोई खरीदे तो फौरन जांच होनी चाहिए.

मनीष कुंजाम का बयान

पढ़ें : तेलंगाना : दिव्यांग बेटों के इलाज के लिए पिता को मदद की दरकार

कुंजाम ने राज्यपाल को दिया धन्यवाद
कुंजाम ने कहा, राज्यपाल ने बस्तर में जांच कमेटी बनाने के जो निर्देश जारी किए हैं. उसका आदिवासी समाज तहे दिल से स्वागत करता है. मनीष कुंजाम का कहना है कि जांच कमेटी तो बनाई जा रही है, लेकिन कमेटी के द्वारा सही तरीके से काम नहीं हो रहा है. कुंजाम ने कहा, बस्तर में धर्मांतरण रोकने के साथ ही गैर आदिवासियों द्वारा जिस तरह से आदिवासी जमीन पर बेजा कब्जा किया जा रहा है, ऐसे मामले को संज्ञान में लेकर कार्रवाई करने की बहुत ही ज्यादा आवश्यकता है. उन्होंने ये मुद्दा उठाने के लिए राज्यपाल का धन्यवाद दिया है.

सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने क्या कहा ?
सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर का कहना है कि धर्मांतरण को रोकने के लिए आदिवासियों में जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं. आदिवासी प्रकृति प्रेमी हैं और ऐसे में पैसों और अन्य चीजों का प्रलोभन देकर जिस तरह से धर्मांतरण किया जा रहा है. इसके विरोध में लगातार आदिवासी समाज के प्रमुख लोग बस्तर में आदिवासी समाज के लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि धर्मांतरण कर चुके कई लोग वापस आ चुके हैं.

प्रकाश ठाकुर का बयान

'151 मामले सामने आ चुके हैं'
प्रकाश ठाकुर ने कहा, आदिवासी महिलाओं को शादी का झांसा देकर और उनसे शादी कर जमीन और उनकी जायदाद हड़पने के मामले बढ़ रहे हैं. दलाल, दलाली कर रहे हैं. प्रलोभन देकर शादी कर लेते हैं और फिर लड़की की जमीन हड़प लेते हैं. ये परेशानी उन्होंने राज्यपाल के सामने रखी है और समाधान करने का निवेदन किया है. उन्होंने बताया कि बस्तर संभाग में कुल 151 मामले हैं. अभी और लिस्ट सामने आ रही है. ब्लॉक स्तर पर ऐसे केस की संख्या सैकड़ों में है. प्रकाश ठाकुर ने कहा, धर्मांतरण को रोकने के लिए कठोर से कठोर नियम लागू किया जाए. ऐसा करने वाले लोगों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई भी किए जाने की आवश्यकता है.

बस्तर संभाग में 70 फीसदी से भी अधिक आदिवासी रहते हैं, इसलिए बस्तर को आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र कहा जाता है. यहां की जनजाति और लोग अपने समाज के प्रति और अपने समाज में बनाए गए नियमों के प्रति खासा लगाव रखते हैं. समाज के प्रमुखों का कहना है कि आदिवासियों के भोलेपन का फायदा उठाकर उनके साथ छल और शोषण किया जा रहा है.

जगदलपुर : आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के मुद्दे पर राज्यपाल और मुख्यमंत्री आमने-सामने हैं. मुद्दा तब शुरू हुआ जब राज्यपाल अनुसुइया उइके ने बस्तर में मंच से ये कहा था कि धर्मांतरण के नाम पर आदिवासी बहनों के साथ शोषण हो रहा है. मुख्यमंत्री ने भी जवाब दिया कि शिकायत लेकर आएं, कार्रवाई होगी.

क्या कहा था राज्यपाल ने ?
राज्यपाल ने कहा था कि धर्मांतरण बड़ी समस्या है. कुछ तत्व समाज को तोड़कर आदिवासी बहनों के साथ अन्याय कर रहे हैं. आदिवासी बहनों को प्रलोभन देकर, सीधेपन का लाभ उठाकर, उन्हें बहला-फुसलाकर उनकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि मेरे पास आवेदन आ रहे हैं कि आदिवासी बहनों के साथ नाइंसाफी हुई है, शोषण हुआ है. धर्मांतरण कर उनके नाम से जमीन की खरीद-फरोख्त की जा रही है. यही नहीं उनके सारे जमीन-जायदाद भी हड़पे जा रहे हैं, जो काफी गंभीर विषय है. इसके साथ ही उन्होंने देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को भी इस समस्या से अवगत कराया है.

राज्यपाल का बयान

भूमकाल दिवस पर कही थी ये बात
राज्यपाल ने बस्तर के आदिवासी समाज के प्रमुखों के द्वारा आवेदन देने के बाद भूमकाल दिवस पर ये बात कही थी. राज्यपाल ने हाल ही में बस्तर का दौरा किया है.

मुख्यमंत्री ने क्या कहा ?
राज्यपाल के बयान पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पलटवार किया. सीएम बघेल ने कहा, अगर केस है, तो हमारे पास कानून बना हुआ है. शिकायत आए, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. किसी को छोड़ा नहीं जाएगा.

सीएम ने दिया जवाब

मनीष कुंजाम ने क्या कहा ?
आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम का कहना है कि धर्मांतरण बस्तर में एक बड़ी समस्या है. आदिवासी की अपनी संस्कृति, आस्था, विश्वास और धर्म है. उसमें बदलाव नहीं किया जाना चाहिए. मनीष कुंजाम ने कहा, ये बहुत चिंता की बात है धर्मांतरण रुकना चाहिए. कुंजाम ने कहा, पुलिस को शोषण के मामलों में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए. आदिवासियों की जमीन कोई खरीदे तो फौरन जांच होनी चाहिए.

मनीष कुंजाम का बयान

पढ़ें : तेलंगाना : दिव्यांग बेटों के इलाज के लिए पिता को मदद की दरकार

कुंजाम ने राज्यपाल को दिया धन्यवाद
कुंजाम ने कहा, राज्यपाल ने बस्तर में जांच कमेटी बनाने के जो निर्देश जारी किए हैं. उसका आदिवासी समाज तहे दिल से स्वागत करता है. मनीष कुंजाम का कहना है कि जांच कमेटी तो बनाई जा रही है, लेकिन कमेटी के द्वारा सही तरीके से काम नहीं हो रहा है. कुंजाम ने कहा, बस्तर में धर्मांतरण रोकने के साथ ही गैर आदिवासियों द्वारा जिस तरह से आदिवासी जमीन पर बेजा कब्जा किया जा रहा है, ऐसे मामले को संज्ञान में लेकर कार्रवाई करने की बहुत ही ज्यादा आवश्यकता है. उन्होंने ये मुद्दा उठाने के लिए राज्यपाल का धन्यवाद दिया है.

सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने क्या कहा ?
सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर का कहना है कि धर्मांतरण को रोकने के लिए आदिवासियों में जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं. आदिवासी प्रकृति प्रेमी हैं और ऐसे में पैसों और अन्य चीजों का प्रलोभन देकर जिस तरह से धर्मांतरण किया जा रहा है. इसके विरोध में लगातार आदिवासी समाज के प्रमुख लोग बस्तर में आदिवासी समाज के लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि धर्मांतरण कर चुके कई लोग वापस आ चुके हैं.

प्रकाश ठाकुर का बयान

'151 मामले सामने आ चुके हैं'
प्रकाश ठाकुर ने कहा, आदिवासी महिलाओं को शादी का झांसा देकर और उनसे शादी कर जमीन और उनकी जायदाद हड़पने के मामले बढ़ रहे हैं. दलाल, दलाली कर रहे हैं. प्रलोभन देकर शादी कर लेते हैं और फिर लड़की की जमीन हड़प लेते हैं. ये परेशानी उन्होंने राज्यपाल के सामने रखी है और समाधान करने का निवेदन किया है. उन्होंने बताया कि बस्तर संभाग में कुल 151 मामले हैं. अभी और लिस्ट सामने आ रही है. ब्लॉक स्तर पर ऐसे केस की संख्या सैकड़ों में है. प्रकाश ठाकुर ने कहा, धर्मांतरण को रोकने के लिए कठोर से कठोर नियम लागू किया जाए. ऐसा करने वाले लोगों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई भी किए जाने की आवश्यकता है.

बस्तर संभाग में 70 फीसदी से भी अधिक आदिवासी रहते हैं, इसलिए बस्तर को आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र कहा जाता है. यहां की जनजाति और लोग अपने समाज के प्रति और अपने समाज में बनाए गए नियमों के प्रति खासा लगाव रखते हैं. समाज के प्रमुखों का कहना है कि आदिवासियों के भोलेपन का फायदा उठाकर उनके साथ छल और शोषण किया जा रहा है.

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