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सरकार सप्ताह के अंत में अविश्वास प्रस्ताव कर सकती है स्वीकार, दिल्ली अध्यादेश भी हो सकता है पेश - मणिपुर में हिंसा का मुद्दा

मणिपुर में हिंसा का मुद्दा लगातार गर्माया हुआ है और लोकसभा में इस मुद्दे के चलते संसद की कार्यवाही नहीं चल पा रही है. जहां एक ओर विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग कर रहा है, वहीं सत्तापक्ष बिना विपक्ष के ही एक के बाद एक विधेयक पारित करवाता जा रहा है. पढ़ें इस पर ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट...

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Published : Jul 28, 2023, 10:01 PM IST

पूर्व कानून मंत्री पीपी चौधरी से बातचीत

नई दिल्ली: मणिपुर में हिंसा को लेकर लगातार संसद में हंगामा चल रहा है. सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं. जहां 'इंडिया' गठबंधन के सांसद संसद में प्रधानमंत्री के बयान पर अड़े हुए हैं, वहीं अब सरकार भी इन बातों को लेकर विपक्ष को एक्सपोज करने की कोशिश कर रही है. सरकार विपक्ष को यह कहकर घेर रही है कि कैसे मात्र एक पीएम के बयान को लेकर विपक्ष सभी संसदीय कार्यों में भाग नहीं ले रहा है.

यहां तक कि कितना नुकसान मणिपुर पर सरकार की इमेज को हुआ है, उतनी ही जिम्मेदारी सत्तापक्ष विपक्ष पर भी डाल रहा है. मगर ये मामला शांत होता नजर नहीं आ रहा है और अब शनिवार को 'इंडिया' गठबंधन के 20 सांसदों का मणिपुर दौरा इस मुद्दे को और तूल दे रहा है. एक तरफ 'प्रधानमंत्री जवाब दो' तो वहीं दूसरी तरफ 'मोदी-मोदी'. पिछले एक हफ्ते से संसद का कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिलता है और वो भी चंद मिनटों के लिए.

सांसद सदन में आते हैं, हंगामा करते है और फिर सदन स्थगित हो जाता है. अगर देखा जाए तो न सिर्फ इस सत्र बल्कि कई सत्रों से संसद के दोनों सदन का नजारा लगभग यही है. अब तो मामला इससे भी आगे बढ़ते हुए अविश्वास प्रस्ताव तक पहुंच चुका है. सूत्रों की माने तो सत्र के अंतिम सप्ताह में सरकार अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकृत कर सकती है, मगर उससे पहले सूत्रों की माने तो दिल्ली पर लाए जाने वाले अध्यादेश को पेश किया जा सकता है.

विपक्ष के बिना पारित हो रहे सभी विधेयक

इसके अलावा भी सरकार हर दिन लगभग औसतन दो से तीन विधेयक पारित कर रही है. जिसमें विपक्ष पहले ही वॉकआउट कर बाहर निकल चुका होता है, मगर चुनाव से पहले ये आखिरी साल के सत्र में सरकार सभी विधाई कार्यों को निपटाना चाहती है. इसलिए अब बगैर विपक्ष की परवाह किए बिना लोकसभा से बिल पारित किए जा रहे हैं. इस मॉनसून सत्र की शुरुआत से ही संसद में मणिपुर पर गतिरोध जारी है, मगर पिछले सत्र की तरह बगैर विपक्ष के ही सरकार भी बिल पास करवाती जा रही है.

इस मुद्दे पर जहां विपक्ष के सांसद लगातार अविश्वास प्रस्ताव और प्रधानमंत्री के बयान की मांग कर रहे हैं, वहीं सत्तापक्ष भी लगातार मणिपुर की घटना के साथ-साथ राजस्थान में हो रहे महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की घटनाओं और बंगाल की घटनाओं पर विपक्ष से सवाल कर रहा है. यदि आंकड़ों की बात करें तो सरकार ने विपक्ष को जवाब देते हुए, स्वास्थ्य मंत्रालय ने सारे आंकड़े सदन के पटल पर रखे, जिसमें ये बताया गया कि कितनी मोबाइल और एंबुलेंस यूनिट मणिपुर के अलग-अलग इलाकों में काम कर रहीं हैं.

इसी तरह सरकार की तरफ से किए गए रिलीफ और शांति बहाल की दिशा में, जहां प्रधानमंत्री खुद दिन में तीन बार स्थिति का जायजा ले रहे है, गृह मंत्री अमित शाह लगातार शांति बहाल किए जाने की दिशा में कमान संभाले हुए हैं और खुद तीन दिन तक रहकर आए. वहीं गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय 22 दिन से वहां डेरा डाले हुए हैं. कुल मिलाकर सरकार जवाब देने को तैयार बैठी है. यही नहीं आर्म्ड फोर्सेज भी कुकी और मैतेई समाज के साथ अलग-अलग बातचीत कर इस मामले को शांत करने की कोशिश में लगे हैं.

इस मुद्दे पर बात करतें हुए पूर्व कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने कहा कि विपक्ष मात्र हंगामा चाहता है. उन्हें मणिपुर पर बहस की चिंता नहीं है, क्योंकि उन्हें पता है कि बहस होगी तो राजस्थान की बात, बंगाल की बात और छत्तीसगढ़ की बात निकलेगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस राजस्थान की घटना पर क्यों नहीं जवाब दे रही है. महिलाओं के खिलाफ बलात्कार के दिन दहाड़े मामले हो रहे हैं और कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है. यहां तक कि उन्हीं के नेता ने जब लाल डायरी की बात की, तो उनके खिलाफ ही कारवाई कर दी गई, क्योंकि उन्हें डर सता रहा था कि उनके काले कारनामे सामने आ जाएंगे.

पूर्व कानून मंत्री पीपी चौधरी से बातचीत

नई दिल्ली: मणिपुर में हिंसा को लेकर लगातार संसद में हंगामा चल रहा है. सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं. जहां 'इंडिया' गठबंधन के सांसद संसद में प्रधानमंत्री के बयान पर अड़े हुए हैं, वहीं अब सरकार भी इन बातों को लेकर विपक्ष को एक्सपोज करने की कोशिश कर रही है. सरकार विपक्ष को यह कहकर घेर रही है कि कैसे मात्र एक पीएम के बयान को लेकर विपक्ष सभी संसदीय कार्यों में भाग नहीं ले रहा है.

यहां तक कि कितना नुकसान मणिपुर पर सरकार की इमेज को हुआ है, उतनी ही जिम्मेदारी सत्तापक्ष विपक्ष पर भी डाल रहा है. मगर ये मामला शांत होता नजर नहीं आ रहा है और अब शनिवार को 'इंडिया' गठबंधन के 20 सांसदों का मणिपुर दौरा इस मुद्दे को और तूल दे रहा है. एक तरफ 'प्रधानमंत्री जवाब दो' तो वहीं दूसरी तरफ 'मोदी-मोदी'. पिछले एक हफ्ते से संसद का कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिलता है और वो भी चंद मिनटों के लिए.

सांसद सदन में आते हैं, हंगामा करते है और फिर सदन स्थगित हो जाता है. अगर देखा जाए तो न सिर्फ इस सत्र बल्कि कई सत्रों से संसद के दोनों सदन का नजारा लगभग यही है. अब तो मामला इससे भी आगे बढ़ते हुए अविश्वास प्रस्ताव तक पहुंच चुका है. सूत्रों की माने तो सत्र के अंतिम सप्ताह में सरकार अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकृत कर सकती है, मगर उससे पहले सूत्रों की माने तो दिल्ली पर लाए जाने वाले अध्यादेश को पेश किया जा सकता है.

विपक्ष के बिना पारित हो रहे सभी विधेयक

इसके अलावा भी सरकार हर दिन लगभग औसतन दो से तीन विधेयक पारित कर रही है. जिसमें विपक्ष पहले ही वॉकआउट कर बाहर निकल चुका होता है, मगर चुनाव से पहले ये आखिरी साल के सत्र में सरकार सभी विधाई कार्यों को निपटाना चाहती है. इसलिए अब बगैर विपक्ष की परवाह किए बिना लोकसभा से बिल पारित किए जा रहे हैं. इस मॉनसून सत्र की शुरुआत से ही संसद में मणिपुर पर गतिरोध जारी है, मगर पिछले सत्र की तरह बगैर विपक्ष के ही सरकार भी बिल पास करवाती जा रही है.

इस मुद्दे पर जहां विपक्ष के सांसद लगातार अविश्वास प्रस्ताव और प्रधानमंत्री के बयान की मांग कर रहे हैं, वहीं सत्तापक्ष भी लगातार मणिपुर की घटना के साथ-साथ राजस्थान में हो रहे महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की घटनाओं और बंगाल की घटनाओं पर विपक्ष से सवाल कर रहा है. यदि आंकड़ों की बात करें तो सरकार ने विपक्ष को जवाब देते हुए, स्वास्थ्य मंत्रालय ने सारे आंकड़े सदन के पटल पर रखे, जिसमें ये बताया गया कि कितनी मोबाइल और एंबुलेंस यूनिट मणिपुर के अलग-अलग इलाकों में काम कर रहीं हैं.

इसी तरह सरकार की तरफ से किए गए रिलीफ और शांति बहाल की दिशा में, जहां प्रधानमंत्री खुद दिन में तीन बार स्थिति का जायजा ले रहे है, गृह मंत्री अमित शाह लगातार शांति बहाल किए जाने की दिशा में कमान संभाले हुए हैं और खुद तीन दिन तक रहकर आए. वहीं गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय 22 दिन से वहां डेरा डाले हुए हैं. कुल मिलाकर सरकार जवाब देने को तैयार बैठी है. यही नहीं आर्म्ड फोर्सेज भी कुकी और मैतेई समाज के साथ अलग-अलग बातचीत कर इस मामले को शांत करने की कोशिश में लगे हैं.

इस मुद्दे पर बात करतें हुए पूर्व कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने कहा कि विपक्ष मात्र हंगामा चाहता है. उन्हें मणिपुर पर बहस की चिंता नहीं है, क्योंकि उन्हें पता है कि बहस होगी तो राजस्थान की बात, बंगाल की बात और छत्तीसगढ़ की बात निकलेगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस राजस्थान की घटना पर क्यों नहीं जवाब दे रही है. महिलाओं के खिलाफ बलात्कार के दिन दहाड़े मामले हो रहे हैं और कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है. यहां तक कि उन्हीं के नेता ने जब लाल डायरी की बात की, तो उनके खिलाफ ही कारवाई कर दी गई, क्योंकि उन्हें डर सता रहा था कि उनके काले कारनामे सामने आ जाएंगे.

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