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यूपी में निजी मेडिकल कॉलेजों की 50 फीसदी सीटों पर सरकारी फीस, अगले सत्र से होगा लागू

उत्तर प्रदेश में निजी मेडिकल कॉलेजों (Private Medical Colleges in UP) की 50 फीसदी सीटों पर सरकारी कॉलेजों के अनुरूप ही फीस ली जाएगी. इसका सीधा अर्थ यह है कि 50 फीसदी सीटें अब सरकार के जरिए नियंत्रित होंगी. इससे निजी कॉलेजों की मनमानी पर शिकंजा तो कसेगा ही, हजारों गरीब छात्रों को राहत भी मिलेगी.

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Published : Mar 22, 2022, 7:41 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों (Private Medical Colleges in UP) की 50 फीसदी सीटों पर अब सरकार का नियंत्रण होगा. इससे गरीब छात्रों को बड़ी राहत मिलेगी क्योंकि सरकार नियंत्रित 50 फीसदी सीटों पर अब सरकारी कॉलेजों के समान ही छात्रों को फीस देनी होगी. केंद्र सरकार के इस आदेश के बाद अब राज्य के निजी मेडिकल कॉलेजों की 50 फीसदी सीटों पर सरकारी शुल्क के जरिए दाखिले का प्लान तैयार किया जा रहा है.

सरकारी कॉलेजों में सालाना फीस जहां मात्र 36 हजार हैं, वहीं निजी कॉलेजों में समान पढ़ाई के लिए सालाना फीस करीब 13 लाख तक है. सरकार नियंत्रित 50 फीसदी सीटों पर छात्रों का चयन यानी कि दाखिला नीट काउंसिलिंग के जरिये ही होगा. यूपी में 31 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं जबकि 29 प्राइवेट कॉलेज हैं. इनमें चार माइनॉरिटी मेडिकल कॉलेज हैं.

चिकित्सा शिक्षा के संयुक्त निदेशक डॉ बीडी सिंह के मुताबिक यह व्यवस्था अगले सत्र से लागू होगी. उन्होंने बताया कि अगले सत्र से निजी मेडिकल कॉलेजों की 50 फीसदी सीट रिजर्व होंगी. केंद्र सरकार ने एनएमसी की पूर्व संस्था मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से मेडिकल शिक्षा की फीस को निर्धारित करने को कहा था. इस आधार पर एमसीआई के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने 23 नवंबर 2019 को विशेषज्ञ समिति का गठन किया. समिति ने 26 बिंदुओं पर फीस निर्धारण के लिए व्यापक दिशा-निर्देश तय किए हैं.

इसे 25 मई 2021 को एनएमसी की वेबसाइट पर सुझाव के लिए अपलोड किया गया था. इस पर करीब 1800 प्रतिक्रियाएं व सुझाव काउंसिल को मिले. इन सुझावों पर विचार विमर्श करने के लिए एनएमसी ने फिर से एक तकनीकी समिति का गठन किया जिसने 29 दिसंबर 2021 को अंतिम रिपोर्ट सौंपी. अब इस रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार ने निजी मेडिकल कॉलेजों की 50 फीसदी सीटों को सरकारी कॉलेजों के अनुरूप ही फीस लेने का फैसला किया है. सरकार के इस फैसले से एमबीबीएस, एमडी, एमएस, पीजी और बीडीएस के छात्रों को भी लाभ मिलेगा.

यह भी पढ़ें- विदेशों में मेडिकल की डिग्री हासिल कर रहे भारतीय छात्रों पर बोले आनंद महिंद्रा- निकालेंगे समाधान

कहां कितनी सीटें: गत वर्ष 22 सरकारी मेडिकल कॉलेज में 2928 एमबीबीएस सीटें थीं. इस साल 9 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 900 सीटें बढ़ी हैं. अब कुल 3,828 एमबीबीएस सीटें हो गईं हैं. इसके अलावा 29 प्राइवेट और एक माइनॉरिटी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की कुल 4159 सीटें हैं. जबकि एक सरकारी कॉलेज में बीडीएस की 70 सीटें हैं. इसके अलावा 22 प्राइवेट कॉलेज में बीडीएस की 2200 सीटें हैं. 11 सरकारी और एक ट्रस्ट के मेडिकल कॉलेज सहित 19 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में पीजी कोर्स की पढ़ाई होती है. इस तरह एमडी-एमएस और पीजी डिप्लोमा की 110 सरकारी सीटों पर प्रवेश होगा. जबकि प्राइवेट कॉलेजों में 1378 एमडी-एमएस व पीजी डिप्लोमा सीटों पर प्रवेश मिलेगा. इसके अलावा प्रदेश में 177 सुपर स्पेशियलिटी कोर्स (डीएम-एमसीएच) की सीटें हैं.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों (Private Medical Colleges in UP) की 50 फीसदी सीटों पर अब सरकार का नियंत्रण होगा. इससे गरीब छात्रों को बड़ी राहत मिलेगी क्योंकि सरकार नियंत्रित 50 फीसदी सीटों पर अब सरकारी कॉलेजों के समान ही छात्रों को फीस देनी होगी. केंद्र सरकार के इस आदेश के बाद अब राज्य के निजी मेडिकल कॉलेजों की 50 फीसदी सीटों पर सरकारी शुल्क के जरिए दाखिले का प्लान तैयार किया जा रहा है.

सरकारी कॉलेजों में सालाना फीस जहां मात्र 36 हजार हैं, वहीं निजी कॉलेजों में समान पढ़ाई के लिए सालाना फीस करीब 13 लाख तक है. सरकार नियंत्रित 50 फीसदी सीटों पर छात्रों का चयन यानी कि दाखिला नीट काउंसिलिंग के जरिये ही होगा. यूपी में 31 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं जबकि 29 प्राइवेट कॉलेज हैं. इनमें चार माइनॉरिटी मेडिकल कॉलेज हैं.

चिकित्सा शिक्षा के संयुक्त निदेशक डॉ बीडी सिंह के मुताबिक यह व्यवस्था अगले सत्र से लागू होगी. उन्होंने बताया कि अगले सत्र से निजी मेडिकल कॉलेजों की 50 फीसदी सीट रिजर्व होंगी. केंद्र सरकार ने एनएमसी की पूर्व संस्था मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से मेडिकल शिक्षा की फीस को निर्धारित करने को कहा था. इस आधार पर एमसीआई के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने 23 नवंबर 2019 को विशेषज्ञ समिति का गठन किया. समिति ने 26 बिंदुओं पर फीस निर्धारण के लिए व्यापक दिशा-निर्देश तय किए हैं.

इसे 25 मई 2021 को एनएमसी की वेबसाइट पर सुझाव के लिए अपलोड किया गया था. इस पर करीब 1800 प्रतिक्रियाएं व सुझाव काउंसिल को मिले. इन सुझावों पर विचार विमर्श करने के लिए एनएमसी ने फिर से एक तकनीकी समिति का गठन किया जिसने 29 दिसंबर 2021 को अंतिम रिपोर्ट सौंपी. अब इस रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार ने निजी मेडिकल कॉलेजों की 50 फीसदी सीटों को सरकारी कॉलेजों के अनुरूप ही फीस लेने का फैसला किया है. सरकार के इस फैसले से एमबीबीएस, एमडी, एमएस, पीजी और बीडीएस के छात्रों को भी लाभ मिलेगा.

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कहां कितनी सीटें: गत वर्ष 22 सरकारी मेडिकल कॉलेज में 2928 एमबीबीएस सीटें थीं. इस साल 9 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 900 सीटें बढ़ी हैं. अब कुल 3,828 एमबीबीएस सीटें हो गईं हैं. इसके अलावा 29 प्राइवेट और एक माइनॉरिटी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की कुल 4159 सीटें हैं. जबकि एक सरकारी कॉलेज में बीडीएस की 70 सीटें हैं. इसके अलावा 22 प्राइवेट कॉलेज में बीडीएस की 2200 सीटें हैं. 11 सरकारी और एक ट्रस्ट के मेडिकल कॉलेज सहित 19 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में पीजी कोर्स की पढ़ाई होती है. इस तरह एमडी-एमएस और पीजी डिप्लोमा की 110 सरकारी सीटों पर प्रवेश होगा. जबकि प्राइवेट कॉलेजों में 1378 एमडी-एमएस व पीजी डिप्लोमा सीटों पर प्रवेश मिलेगा. इसके अलावा प्रदेश में 177 सुपर स्पेशियलिटी कोर्स (डीएम-एमसीएच) की सीटें हैं.

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