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राजस्थान में अब गौशाला पर चला बुलडोजर, 400 से ज्यादा गायें बेघर - राजस्थान में बुलडोजर की कार्रवाई

राजस्थान में बुलडोजर की कार्रवाई थमने का नाम नहीं ले रही है. राजगढ़ के मंदिरों पर बुलडोजर चलाने का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा कि शनिवार को अलवर के कठूमर में गौशाला पर बुलडोजर (Goshala demolished in Alwar) चलने का मामला सामने आया. वन विभाग की ओर से यह कार्रवाई (forest department action in alwar goshala) की गई है. गौशाला ध्वस्त किए जाने के बाद 400 गोवंशों के सामने रहने का संकट खड़ा हो गया है.

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राजस्थान में अब गोशाला पर चला बुलडोजर
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Published : Apr 23, 2022, 6:19 PM IST

अलवर : राजगढ़ में मंदिरों पर बुलडोजर चलाने का मामला पहले से विवादों में चल रहा है और अब कठूमर में गौशाला पर भी वन विभाग की ओर से (forest department action in alwar goshala) बुलडोजर चलाकर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई है. इससे मामला और भी गरमा गया है. गौशाला को पूरा तोड़ दिया (Goshala demolished in Alwar) गया है जिससे सैकड़ों गोवंशों के सामने रहने का संकट हो गया है. गोवंशों को कहां ले जाना है इसके लिए विभाग और प्रशासन की ओर से कोई इंतजाम भी नहीं किए गए हैं.

कठूमर उपखंड में पिछले एक दशक से चल रही एक मात्र गौशाला को वन विभाग ने अतिक्रमण मानते हुए बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया है. वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद हिन्दूवादी संगठनों में रोष व्याप्त है. इस मामले पर सियासत भी गरमाने लगी हैं. जबकि राज्य में सरकार गो सेस यानी (cow-tax) से करोड़ों रुपये कमाती है, इसके बावजूद गोवंश की रहने की व्यवस्था को लेकर कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं.

सुनिए डीएफओ ने क्या कहा

वन विभाग की ओर से कठूमर उपखंड मुख्यालय के मैथना गांव में स्थित एक मात्र हनुमान गौशाला को ध्वस्त कर दिया गया है. विभाग का कहना है कि अवैध कब्जा कर 40 बीघा जमीन में गौशाला बनाई गई था जिसे अब अतिक्रमण मुक्त कराया गया है. कठूमर में गौशाला को ध्वस्त किए जाने से करीब 400 गोवंशों के पास अब रहने का ठौर नहीं रह गया है. हाल ये है कि भूख-प्यास से व्याकुल हो गए हैं.

लक्ष्मणगढ़ रेंजर्स जतिन सेन ने बताया कि मैथना रूध में स्थित वन विभाग की करीब 14 सौ बीघा जमीन में से करीब 40 बीघा जमीन पर पिछले एक दशक से गौशाला चल रही थी. इसमें 400 छोटे बड़े गोवंशों का पालन पोषण किया जा रहा था. सहायक वन संरक्षक कोर्ट राजगढ़ के वर्ष 2020 के आदेश के अनुपालन में गौशाला के संचालक को दिसंबर 2021 में गौशाला खाली करने और गायों को अनयंत्र स्थानांतरित करने का नोटिस जारी किया गया था, लेकिन गौशाला संचालक ने नोटिस की पालना नहीं की.

गुरुवार 21 अप्रैल को वन विभाग ने बुलडोज़र चला कर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की. इस दौरान वन विभाग का जाब्ता, कठूमर पुलिस, राजस्व विभाग सहित भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे. अतिक्रमण हटाने के लिए समय गौशाला संचालक ने दस दिन का समय मांगा, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के चलते उन्हें समय नहीं दिया गया. कठूमर उपखंड अधिकारी रामकिशोर मीणा ने बताया कि पिछले दिनों प्रशासन की ओर से कैंप लगाया गया था जिसमें गौशाला स्थापित कर वन भूमि पर अतिक्रमण करने का मामला आया था. इसको लेकर विभाग की टीम की ओर से अतिक्रमण हटाया गया. कितनी जगह खाली करवाई गई और गोवंश की क्या वैकल्पिक व्यवस्था की गई. वन विभाग के अधिकारी बता सकते हैं.

पढ़ें- 300 साल पुराने शिव मंदिर पर चला बुलडोजर, बीजेपी ने पूछा- यही है कांग्रेस का सेक्युलरिज्म

अलवर : राजगढ़ में मंदिरों पर बुलडोजर चलाने का मामला पहले से विवादों में चल रहा है और अब कठूमर में गौशाला पर भी वन विभाग की ओर से (forest department action in alwar goshala) बुलडोजर चलाकर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई है. इससे मामला और भी गरमा गया है. गौशाला को पूरा तोड़ दिया (Goshala demolished in Alwar) गया है जिससे सैकड़ों गोवंशों के सामने रहने का संकट हो गया है. गोवंशों को कहां ले जाना है इसके लिए विभाग और प्रशासन की ओर से कोई इंतजाम भी नहीं किए गए हैं.

कठूमर उपखंड में पिछले एक दशक से चल रही एक मात्र गौशाला को वन विभाग ने अतिक्रमण मानते हुए बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया है. वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद हिन्दूवादी संगठनों में रोष व्याप्त है. इस मामले पर सियासत भी गरमाने लगी हैं. जबकि राज्य में सरकार गो सेस यानी (cow-tax) से करोड़ों रुपये कमाती है, इसके बावजूद गोवंश की रहने की व्यवस्था को लेकर कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं.

सुनिए डीएफओ ने क्या कहा

वन विभाग की ओर से कठूमर उपखंड मुख्यालय के मैथना गांव में स्थित एक मात्र हनुमान गौशाला को ध्वस्त कर दिया गया है. विभाग का कहना है कि अवैध कब्जा कर 40 बीघा जमीन में गौशाला बनाई गई था जिसे अब अतिक्रमण मुक्त कराया गया है. कठूमर में गौशाला को ध्वस्त किए जाने से करीब 400 गोवंशों के पास अब रहने का ठौर नहीं रह गया है. हाल ये है कि भूख-प्यास से व्याकुल हो गए हैं.

लक्ष्मणगढ़ रेंजर्स जतिन सेन ने बताया कि मैथना रूध में स्थित वन विभाग की करीब 14 सौ बीघा जमीन में से करीब 40 बीघा जमीन पर पिछले एक दशक से गौशाला चल रही थी. इसमें 400 छोटे बड़े गोवंशों का पालन पोषण किया जा रहा था. सहायक वन संरक्षक कोर्ट राजगढ़ के वर्ष 2020 के आदेश के अनुपालन में गौशाला के संचालक को दिसंबर 2021 में गौशाला खाली करने और गायों को अनयंत्र स्थानांतरित करने का नोटिस जारी किया गया था, लेकिन गौशाला संचालक ने नोटिस की पालना नहीं की.

गुरुवार 21 अप्रैल को वन विभाग ने बुलडोज़र चला कर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की. इस दौरान वन विभाग का जाब्ता, कठूमर पुलिस, राजस्व विभाग सहित भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे. अतिक्रमण हटाने के लिए समय गौशाला संचालक ने दस दिन का समय मांगा, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के चलते उन्हें समय नहीं दिया गया. कठूमर उपखंड अधिकारी रामकिशोर मीणा ने बताया कि पिछले दिनों प्रशासन की ओर से कैंप लगाया गया था जिसमें गौशाला स्थापित कर वन भूमि पर अतिक्रमण करने का मामला आया था. इसको लेकर विभाग की टीम की ओर से अतिक्रमण हटाया गया. कितनी जगह खाली करवाई गई और गोवंश की क्या वैकल्पिक व्यवस्था की गई. वन विभाग के अधिकारी बता सकते हैं.

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