ETV Bharat / bharat

गूगल मैप्स में दिखा कोच्चि के पास अरब सागर में बीन के आकार का द्वीप - ओखी आपदा

कोच्चि के पास समुद्र में बने एक द्वीप की चर्चा हो रही है. ओखी आपदा के बाद समुद्र के नीचे लगभग 25 मीटर की गहराई पर बने इस रेत के टीले को देखा गया.

google maps
google maps
author img

By

Published : Jun 19, 2021, 10:11 PM IST

एर्नाकुलम : अरब सागर में बीन के आकार का अंडरवाटर आइलैंड बनने की खबर है. कोच्चि के पास बने इस द्वीप को गूगल मैप्स सैटेलाइट इमेज का इस्तेमाल करके तट से करीब सात किलोमीटर दूर पश्चिम में देखा गया. इसे सबसे पहले चेलनम कार्शिका टूरिज्म डेवलपमेंट सोसाइटी ने देखा था.

रिपोर्ट्स के अनुसार, समुद्र के नीचे लगभग 25 मीटर की गहराई पर बने एक रेत के टीले को देखा गया, लेकिन विशेषज्ञों ने संदेह व्यक्त किया है कि यह पानी में रहने वाले जीवों का एक समूह भी हो सकता है.

रिपोर्ट से पता चलता है कि बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान ओखी, जो अरब सागर में सबसे तीव्र उष्णकटिबंधीय चक्रवात था, जिससे 2017 में श्रीलंका और भारत के कई हिस्सों में तबाही मच गई थी, से इस रेत के टीले का निर्माण हुआ होगा. चेलनम कार्शिका टूरिज्म डेवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष एडवोकेट के जेवियर जोलप्पन ने ईटीवी भारत को बताया, द्वीप की लंबाई लगभग 8 किलोमीटर और चौड़ाई 3.5 किलोमीटर है और यह संदेह है कि इसके प्रभाव से चेलनम सहित तटीय क्षेत्रों में समुद्र का जल स्तर गंभीर रूप से बढ़ रहा है.

जोलप्पन ने कहा, चक्रवात ओखी के बाद, मैं समुद्र के स्वरूप का अध्ययन करने के लिए फोर्ट कोच्चि से अंधकारनाझी गांव के लिए रवाना हुआ. बाद में, गूगल अर्थ के सर्च ने समुद्र के नीचे एक द्वीप दिखाया. अब जब चेल्लनम क्षेत्र में समुद्र का जलस्तर बढ़ गया है, ऐसा लगता है कि इस रेत के टीले पर और अधिक वैज्ञानिक अध्ययन की आवश्यकता है. पिछले चार वर्षों में द्वीप के स्वरूप में कोई खास बदलाव नहीं आया है.

पढ़ें :- पूर्वी कैरिबियाई द्वीप पर ज्वालामुखी विस्फोट : लाेगाें की सुरक्षा काे लेकर सरकार चिंतित

उन्होंने कहा, द्वीप की उपस्थिति भी प्रवाह को बाधित करती है और समुद्र में मजबूत भंवरों के बनने का कारण होती है. मिट्टी के भंडार का उपयोग तटीय क्षेत्रों में कृत्रिम तटों के निर्माण के लिए किया जाना चाहिए, जो कि बाढ़ से बड़े पैमाने पर प्रभावित हुए हैं.

एर्नाकुलम : अरब सागर में बीन के आकार का अंडरवाटर आइलैंड बनने की खबर है. कोच्चि के पास बने इस द्वीप को गूगल मैप्स सैटेलाइट इमेज का इस्तेमाल करके तट से करीब सात किलोमीटर दूर पश्चिम में देखा गया. इसे सबसे पहले चेलनम कार्शिका टूरिज्म डेवलपमेंट सोसाइटी ने देखा था.

रिपोर्ट्स के अनुसार, समुद्र के नीचे लगभग 25 मीटर की गहराई पर बने एक रेत के टीले को देखा गया, लेकिन विशेषज्ञों ने संदेह व्यक्त किया है कि यह पानी में रहने वाले जीवों का एक समूह भी हो सकता है.

रिपोर्ट से पता चलता है कि बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान ओखी, जो अरब सागर में सबसे तीव्र उष्णकटिबंधीय चक्रवात था, जिससे 2017 में श्रीलंका और भारत के कई हिस्सों में तबाही मच गई थी, से इस रेत के टीले का निर्माण हुआ होगा. चेलनम कार्शिका टूरिज्म डेवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष एडवोकेट के जेवियर जोलप्पन ने ईटीवी भारत को बताया, द्वीप की लंबाई लगभग 8 किलोमीटर और चौड़ाई 3.5 किलोमीटर है और यह संदेह है कि इसके प्रभाव से चेलनम सहित तटीय क्षेत्रों में समुद्र का जल स्तर गंभीर रूप से बढ़ रहा है.

जोलप्पन ने कहा, चक्रवात ओखी के बाद, मैं समुद्र के स्वरूप का अध्ययन करने के लिए फोर्ट कोच्चि से अंधकारनाझी गांव के लिए रवाना हुआ. बाद में, गूगल अर्थ के सर्च ने समुद्र के नीचे एक द्वीप दिखाया. अब जब चेल्लनम क्षेत्र में समुद्र का जलस्तर बढ़ गया है, ऐसा लगता है कि इस रेत के टीले पर और अधिक वैज्ञानिक अध्ययन की आवश्यकता है. पिछले चार वर्षों में द्वीप के स्वरूप में कोई खास बदलाव नहीं आया है.

पढ़ें :- पूर्वी कैरिबियाई द्वीप पर ज्वालामुखी विस्फोट : लाेगाें की सुरक्षा काे लेकर सरकार चिंतित

उन्होंने कहा, द्वीप की उपस्थिति भी प्रवाह को बाधित करती है और समुद्र में मजबूत भंवरों के बनने का कारण होती है. मिट्टी के भंडार का उपयोग तटीय क्षेत्रों में कृत्रिम तटों के निर्माण के लिए किया जाना चाहिए, जो कि बाढ़ से बड़े पैमाने पर प्रभावित हुए हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.