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गोमती रिवरफ्रंट घोटाला: अखिलेश के करीबी 2 पूर्व मुख्य सचिव पर कसा शिकंजा, CBI ने जांच की मांगी अनुमति

गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में दो पूर्व मुख्य सचिव के खिलाफ शिकंजा कसता नजर आ रहा है. सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच ने यूपी सरकार से पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन व दीपक सिंघल के खिलाफ जांच की इजाजत मांगी है. दोनों पूर्व अधिकारियों पर गड़बड़ियों की अनदेखी का आरोप लगा है.

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Published : Jun 26, 2022, 1:11 PM IST

गोमती रिवरफ्रंट घोटाला
गोमती रिवरफ्रंट घोटाला

लखनऊ: अखिलेश सरकार में हुए गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में दो पूर्व मुख्य सचिव के खिलाफ शिकंजा कसता नजर आ रहा है. सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच ने यूपी सरकार से पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन व दीपक सिंघल के खिलाफ जांच की इजाजत मांगी है. दोनों पूर्व अधिकारियों पर गड़बड़ियों की अनदेखी का आरोप लगा है. रिवरफ्रंट निर्माण के समय आलोक रंजन मुख्य सचिव और दीपक सिंघल सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव थे. बाद में दीपक सिंघल प्रदेश के मुख्य सचिव बने थे. गोमती रिवरफ्रंट 1400 करोड़ से अधिक का घोटाला है. अब तक इसमें 189 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है.

यह दोनों ही अधिकारी तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के काफी करीबी माने जाते थे. जिस दौरान गोमती रिवरफ्रंट का निर्माण हो रहा था, उस समय चैनेलाइजेशन और रबर डैम के बारे में रिसर्च करने के लिए आलोक रंजन व दीपक सिंघल ने कई देशों की यात्रा की थी. आलोक रंजन रिवर फ्रंट के निर्माण के लिए बनाई गई टास्क फोर्स के अध्यक्ष थे. इस टास्क फोर्स की 23 बैठकें हुई थीं. वहीं, दीपक सिंघल ने निर्माण स्थल पर 20 से भी ज्यादा दौरे किए थे. सीबीआई का मानना है कि इतनी बैठकों और दौरों के बाद भी इन दोनों अधिकारियों को गड़बड़ी नजर क्यों नहीं आई.

यह भी पढ़ें: सीएम योगी के हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग, प्रशासनिक अमले में हड़कंप

वर्ष 2017 में योगी सरकार बनते ही अखिलेश सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर जांच शुरू हो गई थी. इसमें तकरीबन 1400 करोड़ से अधिक का घोटाला बताया जा रहा है. जिस पर जांच सीबीआई को ट्रांसफर कर दी गई. मामले में 30 नवंबर 2017 को सीबीआई ने पहली एफआईआर दर्ज की थी. इसमें 189 लोग आरोपी बनाए गए थे.

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लखनऊ: अखिलेश सरकार में हुए गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में दो पूर्व मुख्य सचिव के खिलाफ शिकंजा कसता नजर आ रहा है. सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच ने यूपी सरकार से पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन व दीपक सिंघल के खिलाफ जांच की इजाजत मांगी है. दोनों पूर्व अधिकारियों पर गड़बड़ियों की अनदेखी का आरोप लगा है. रिवरफ्रंट निर्माण के समय आलोक रंजन मुख्य सचिव और दीपक सिंघल सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव थे. बाद में दीपक सिंघल प्रदेश के मुख्य सचिव बने थे. गोमती रिवरफ्रंट 1400 करोड़ से अधिक का घोटाला है. अब तक इसमें 189 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है.

यह दोनों ही अधिकारी तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के काफी करीबी माने जाते थे. जिस दौरान गोमती रिवरफ्रंट का निर्माण हो रहा था, उस समय चैनेलाइजेशन और रबर डैम के बारे में रिसर्च करने के लिए आलोक रंजन व दीपक सिंघल ने कई देशों की यात्रा की थी. आलोक रंजन रिवर फ्रंट के निर्माण के लिए बनाई गई टास्क फोर्स के अध्यक्ष थे. इस टास्क फोर्स की 23 बैठकें हुई थीं. वहीं, दीपक सिंघल ने निर्माण स्थल पर 20 से भी ज्यादा दौरे किए थे. सीबीआई का मानना है कि इतनी बैठकों और दौरों के बाद भी इन दोनों अधिकारियों को गड़बड़ी नजर क्यों नहीं आई.

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वर्ष 2017 में योगी सरकार बनते ही अखिलेश सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर जांच शुरू हो गई थी. इसमें तकरीबन 1400 करोड़ से अधिक का घोटाला बताया जा रहा है. जिस पर जांच सीबीआई को ट्रांसफर कर दी गई. मामले में 30 नवंबर 2017 को सीबीआई ने पहली एफआईआर दर्ज की थी. इसमें 189 लोग आरोपी बनाए गए थे.

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