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कश्मीर का स्वर्ण मुकुट कोकरनाग : प्राकृतिक सौन्दर्य और रेनबो ट्राउट मछली पालन के लिए मशहूर - स्वर्ण मुकुट कोकरनाग

यूं तो पूरी कश्मीर घाटी निःसंदेह प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है लेकिन हम बात कर रहे हैं अनंतनाग जिले के कोकरनाग इलाके की, जिसे कश्मीर का सुनहरा ताज (Golden Crown of Kashmir) कहा गया है. आइए जानते हैं कोकरनाग (Kokernag) के बारे में.

kashmir Kokernag
कश्मीर का स्वर्ण मुकुट कोकरनाग
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Published : Dec 28, 2021, 6:59 PM IST

श्रीनगर : कश्मीर घाटी निःसंदेह प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है, इसके अनूठे पर्यटन स्थल विश्व प्रसिद्ध हैं. अनंतनाग जिले के कोकरनाग इलाके को कश्मीर का सुनहरा ताज कहा गया है. कोकरानाग जिला राजधानी अनंतनाग से 25 किमी और ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर से लगभग 75 किमी दूर है. इस छोटे से शहर के नाम के पीछे कई थ्योरी हैं. कोकरनाग का अर्थ - 'कोकर' कश्मीरी में मुर्गा है जबकि 'नाग' को प्राकृतिक वसंत कहा जाता है.

कोकरनाग के प्रसिद्ध बॉटैनिकल गार्डन में हरे-भरे और ऊंची पहाड़ी के तल से बहने वाले प्राकृतिक झरने का पानी कई हिस्सों में बंटा हुआ है जो एक मुर्गे के पंजे जैसा दिखता है, इसलिए इसे कोकरानाग के नाम से जाना जाता है. सखियतों ने भी कोकरनाग का उल्लेख किया है. शेख-उल-आलम ने कोकरनाग को बारंग नाम दिया है. उन्होंने कहा है कि बरंग छू सुन सुंदर परंग, जिसका अर्थ है कोकरनाग स्वर्ण मुकुट (कश्मीर का स्वर्ण मुकुट) है.

दूसरी ओर मुगल साम्राज्य के मंत्री और लेखक अबू अल-फदल (Mughal Empire Abu Al-Fadl) ने अपनी पुस्तक आईना-ए-अकबरी (Ain-e-Akbari) में कोकरनाग (Kokernag) का उल्लेख करते हुए लिखा है कि कोकरनाग का पानी प्यास और भूख दोनों को बुझाता है. यह पानी लोगों के पाचन तंत्र के लिए बहुत उपयोगी है.

प्रकृति ने हमें अनगिनत अनमोल आशीर्वाद दिए हैं. यहां के हरे भरे जंगलों में दुर्लभ जड़ी-बूटियों की सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं. वन विभाग ने नागदंडी के जंगलों में एक हर्बल नर्सरी भी स्थापित की है. इन जड़ी बूटियों को विदेशों में निर्यात करके विभिन्न दवाएं बनाई जाती हैं.

यहां का साफ पानी न केवल पाचन तंत्र के लिए बल्कि रेनबो ट्राउट (rainbow trout) जैसी उच्च गुणवत्ता की मछली की वृद्धि के लिए भी उपयुक्त माना जाता है. कोकरनाग ट्राउट मछली पालन को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह एशिया के सबसे बड़े ट्राउट मछली प्रजनन फार्म का केंद्र है, जहां से न केवल रेनबो ट्राउट मछली बल्कि लाखों मछली के अंडे भी कई देशों को निर्यात किए जाते हैं.

हरे-भरे जंगलों और घास के मैदानों के कारण कोकरनाग के दुक्सुम में एक बड़ा सरकारी भेड़ पालन केंद्र भी है. प्रकृति ने भी कोकरनाग की मिट्टी को कृषि की दृष्टि से एक विशिष्ट विशेषता प्रदान की है. सबसे महंगा और उच्च गुणवत्ता वाला चावल, मुशक बुडजी (Mushk Budji), यहां उगाया जाता है.

जम्मू-कश्मीर: अर्थव्यवस्था को गति देने वाला महत्वपूर्ण व्यवसाय बन गया है ट्राउट मछली पालन

कोकरनाग की ऊंची पहाड़ियों में ग्लेशियरों और असंख्य प्राकृतिक झरनों के संयोजन से एक बड़ी नदी बनती है जिसे नाला बरंगी कहा जाता है. इसका पानी न केवल लाखों लोगों की प्यास बुझाता है बल्कि हजारों एकड़ भूमि की सिंचाई भी करता है.

पर्यटन की दृष्टि से भी कोकरानाग एक अनूठा और आकर्षक गंतव्य है जो हर मौसम में पर्यटन के लिए उपयुक्त है. फूलों की सैकड़ों किस्मों, कई हरे-भरे चिनार और प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक झरनों के कारण मुगल गार्डन को एक विशेष दर्जा प्राप्त है. वहीं डक्सुम, सिंथन टॉप, मार्गन टॉप जैसी खूबसूरत जगहें इलाके की खूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं.

श्रीनगर : कश्मीर घाटी निःसंदेह प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है, इसके अनूठे पर्यटन स्थल विश्व प्रसिद्ध हैं. अनंतनाग जिले के कोकरनाग इलाके को कश्मीर का सुनहरा ताज कहा गया है. कोकरानाग जिला राजधानी अनंतनाग से 25 किमी और ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर से लगभग 75 किमी दूर है. इस छोटे से शहर के नाम के पीछे कई थ्योरी हैं. कोकरनाग का अर्थ - 'कोकर' कश्मीरी में मुर्गा है जबकि 'नाग' को प्राकृतिक वसंत कहा जाता है.

कोकरनाग के प्रसिद्ध बॉटैनिकल गार्डन में हरे-भरे और ऊंची पहाड़ी के तल से बहने वाले प्राकृतिक झरने का पानी कई हिस्सों में बंटा हुआ है जो एक मुर्गे के पंजे जैसा दिखता है, इसलिए इसे कोकरानाग के नाम से जाना जाता है. सखियतों ने भी कोकरनाग का उल्लेख किया है. शेख-उल-आलम ने कोकरनाग को बारंग नाम दिया है. उन्होंने कहा है कि बरंग छू सुन सुंदर परंग, जिसका अर्थ है कोकरनाग स्वर्ण मुकुट (कश्मीर का स्वर्ण मुकुट) है.

दूसरी ओर मुगल साम्राज्य के मंत्री और लेखक अबू अल-फदल (Mughal Empire Abu Al-Fadl) ने अपनी पुस्तक आईना-ए-अकबरी (Ain-e-Akbari) में कोकरनाग (Kokernag) का उल्लेख करते हुए लिखा है कि कोकरनाग का पानी प्यास और भूख दोनों को बुझाता है. यह पानी लोगों के पाचन तंत्र के लिए बहुत उपयोगी है.

प्रकृति ने हमें अनगिनत अनमोल आशीर्वाद दिए हैं. यहां के हरे भरे जंगलों में दुर्लभ जड़ी-बूटियों की सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं. वन विभाग ने नागदंडी के जंगलों में एक हर्बल नर्सरी भी स्थापित की है. इन जड़ी बूटियों को विदेशों में निर्यात करके विभिन्न दवाएं बनाई जाती हैं.

यहां का साफ पानी न केवल पाचन तंत्र के लिए बल्कि रेनबो ट्राउट (rainbow trout) जैसी उच्च गुणवत्ता की मछली की वृद्धि के लिए भी उपयुक्त माना जाता है. कोकरनाग ट्राउट मछली पालन को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह एशिया के सबसे बड़े ट्राउट मछली प्रजनन फार्म का केंद्र है, जहां से न केवल रेनबो ट्राउट मछली बल्कि लाखों मछली के अंडे भी कई देशों को निर्यात किए जाते हैं.

हरे-भरे जंगलों और घास के मैदानों के कारण कोकरनाग के दुक्सुम में एक बड़ा सरकारी भेड़ पालन केंद्र भी है. प्रकृति ने भी कोकरनाग की मिट्टी को कृषि की दृष्टि से एक विशिष्ट विशेषता प्रदान की है. सबसे महंगा और उच्च गुणवत्ता वाला चावल, मुशक बुडजी (Mushk Budji), यहां उगाया जाता है.

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कोकरनाग की ऊंची पहाड़ियों में ग्लेशियरों और असंख्य प्राकृतिक झरनों के संयोजन से एक बड़ी नदी बनती है जिसे नाला बरंगी कहा जाता है. इसका पानी न केवल लाखों लोगों की प्यास बुझाता है बल्कि हजारों एकड़ भूमि की सिंचाई भी करता है.

पर्यटन की दृष्टि से भी कोकरानाग एक अनूठा और आकर्षक गंतव्य है जो हर मौसम में पर्यटन के लिए उपयुक्त है. फूलों की सैकड़ों किस्मों, कई हरे-भरे चिनार और प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक झरनों के कारण मुगल गार्डन को एक विशेष दर्जा प्राप्त है. वहीं डक्सुम, सिंथन टॉप, मार्गन टॉप जैसी खूबसूरत जगहें इलाके की खूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं.

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