हैदराबाद: कहते हैं 'मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है, वही होता है जो मंज़ूरे ख़ुदा होता है'. ऐसी ही होनी देशवासियों के चेहरे पर गर्व की मुस्कान के वजह बन चुके जेवलिन चैंपियन गोल्डेन ब्वॉय नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra Won Gold) की भी है. नीरज के चाचा भीम सिंह ने बताया कि बचपन में नीरज दादी का दुलारा होने की वजह से मोटा था, क्योंकि घर में दूध घी की कमी थी नहीं. जब हमने देखा तो उसकी फिट बॉडी के लिए प्रैक्टिस शुरू करवाई, शुरू में वो आनाकानी करता था और हम लोगों से मार खाने की डर से जाता था. बाद में उसकी रुचि होने लगी और फिर जो सफर शुरू हुआ, उसका मुकाम आपके सामने है.
नीरज के हरियाणा के दादा (Neeraj Chopra Family) ने कहा कि हमने नीरज से कहा था कि बेटा तू पीछे मत हटना, हम हटने नहीं देंगे. यही वादा नीरज ने भी हम लोगों से किया था. हमें बच्चे पर गर्व है, क्योंकि उसने बहुत अच्छा किया हे.
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दरसअल, नामुकिन को मुमकिन करके खेलों के महाकुंभ टोक्यो ओलंपिक 2020 में गोल्ड मेडल जीतने वाले एथलेटिक्स जेवलिन थ्रो यानी भाला फेंक चैंपियन नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक जीतकर देश के लिए जो किया है उसे शब्दों में बयां कर पाना नाकाफी होगा. भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है. वह देश के लिए व्यक्तिगत स्वर्ण जीतने वाले दूसरे खिलाड़ी और पहले एथलीट बन गए हैं.
नीरज ने शनिवार को फाइनल मुकाबले में दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर की दूरी के साथ पहला स्थान हासिल किया. 86.67 मीटर के साथ चेक गणराज्य के याकूब वाल्देज दूसरे स्थान पर रहे, जबकि उनके ही देश के विटेस्लाव वेसेली को 85.44 मीटर के साथ कांस्य मिला.
सभी ने मेरा सहयोग किया: नीरज
नीरज ने अपनी सफलता पर कहा कि कहा कि इस साल सबसे जरूरी अंतरराष्ट्रीय कंपटीशन खेलना था और सभी ने सहयोग दिया. बीच में मुझे जो 2-3 अंतरराष्ट्रीय कंपटीशन मिले वे मेरे लिए जरूरी थे. इसी वजह से मैं कंपटीशन खेला. ओलंपिक था, लेकिन दबाव नहीं था कि मैं बड़े थ्रोअर्स के बीच खेल रहा हूं.