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पहले रोजगार... अब 'दहशत' की दहाड़, उत्तराखंड में पलायन के नए दौर के आगाज की दास्तां

गुलदार की दहशत के कारण गोदी गांव खाली हो गया है. गोदी गांव में गुलदार का आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. जिसके कारण गोदी गांव के लोग घर छोड़ने को मजबूर हैं. गोदी गांव के लोग दुगड्डा बाजार और आस-पास के गांवों में अब किराये के मकानों में रह रहे हैं.

Uttarakhand News
गुलदार की दहशत
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Published : Sep 3, 2022, 9:02 PM IST

कोटद्वार : गढ़वाल मंडल के पौड़ी जिले में आये दिन गुलदार के आतंक की खबरें सामने आ रही हैं. गुलदार के हमलों के कारण अब लोग अपना घर-गांव छोड़ने को मजबूर हैं. ऐसी ही कहानी यमकेश्वर विधानसभा के दुगड्डा ब्लॉक मुख्यालय के समीप बसे गोदी गांव की है, जो गुलदार की दहशत के कारण पूरी तरह से खाली हो गया है. कभी 12-14 परिवारों से गुलजार रहने वाला ये गांव अब विरान हो चुका है. गुलदार की दहशत ने यहां के लोगों के मन में ऐसा खौफ भर दिया है कि वे अपना सब कुछ छोड़कर किराये पर रहने को मजबूर हो गये हैं.

19 जुलाई की सुबह गोदी गांव के निवासी मनोज की पत्नी बच्चे को स्कूल छोड़ने गई थी. वापसी में गुलदार ने घात लगाकर मनोज की पत्नी को लहुलुहान कर दिया, जिसके बाद उसकी मौत हो गई. तब से गोदी गांव ग्रामीण डर के साये में जीने को मजबूर थे. ग्रामीणों की मांग पर गोदी गांव में वन विभाग ने गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरा भी लगाया. जिसमें गुलदार कैद भी हुआ. गोदी गांव के ग्रामीणों बताया की पिंजरे में गुलदार कैद होने के बाद अन्य गुलदार गांव के आस-पास अक्सर दिखाई दे रहे हैं. गांव में गुलदार की दहशत से सभी ग्रामीणों ने एक साथ गांव छोड़ने में ही भलाई समझी. अब सभी ग्रामीण निकट बाजार दुगड्डा में किराये के घरों में रह रहे हैं.

उत्तराखंड में पलायन के नए दौर के आगाज की दास्तां.

पढे़ं- हरीश रावत को रही है आंखें मूंदने की पुरानी 'बीमारी', सामने होती रही मनमानी भर्तियां, नजर भी नहीं डाली

गोदी गांव के मनोज चौधरी 20 वर्षों के बाद जुलाई माह के शुरू में ही दिल्ली से सपरिवार गांव वापस लौटे थे. यहां लौटने के 9 दिन बाद ही उनकी पत्नी की गुलदार के हमले में मौत हो गई. मनोज अपनी आप बीती सुनाते हुए कहते हैं कि उन्होंने सोचा था सारा जीवन दिल्ली में गुजारने के बाद अब गांव वापस लौटने का वक्त है. वे गांव में रहकर अपनी मां और खेती बाड़ी की देखभाल करना चाहते थे, मगर 9 दिन में ही ऐसा हुआ कि उनकी सारी योजना धरी की धरी रह गई.

स्थानीय लोग बताते हैं कि पहले गोदी गांव में 12-14 परिवार रहते थे. गुलदार के हमलों के बाद 5-6 परिवार दुगड्डा बाजार की ओर चले गये. वे अपना घर-बार छोड़कर किराये के कमरों में रहने को मजबूर हैं. 8 परिवार दुगड्डा के पास के गांव में ही किराये पर पर रहे हैं.

गोदी गांव निवासी गणेश डबराल ने बताया 9 महीने पहले भी गोदी गांव में गुलदार उनकी 9 वर्षीय भतीजे को आंगन से उठाकर ले गया था. लगातार गुलदार के हमलों ने ग्रामीणों को गांव छोड़ने के लिए मजबूर किया. दुगड्डा ब्लॉक के गोदी गांव में गुलदार के दहशत के बारे में कोटद्वार उप जिलाधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया की लैंसडाउन वन प्रभाग के वनक्षेत्रीय अधिकारी दिनकर तिवारी को गोदी गांव में गश्त बढ़ाने के निर्देश दे दिये गये हैं.

पढे़ं- विधानसभा बैक डोर भर्ती: पहली बार ऋतु खंडूड़ी देंगी हर सवाल का जवाब

कम नहीं हो रहा गुलदार का आतंक: लैंसडाउन वन प्रभाग से जुड़े रिहायशी इलाकों में मौजूदा समय में गुलदार का आतंक है. कोटद्वार दुगड्डा के बीच दोपहर में दो बाइक सवार को गुलदार ने झपटा मारा. जिसमें दोनों युवक गंभीर रूप से घायल हो गये. दुगड्डा रतुवाढ़ाव रोड़ पर गोदी के समीप ही बाइक से स्कूल जा रहे शिक्षक पर भी गुलदार ने जोरदार हमला किया. लैंसडाउन कैंट क्षेत्र में सेना के सूबेदार पीटी मास्टर पर भी गुलदार ने हमला कर घायल कर दिया. दो रोज पहले भी गुलदार ने लैंसडाउन में युवकों पर हमला बोला.

कोटद्वार : गढ़वाल मंडल के पौड़ी जिले में आये दिन गुलदार के आतंक की खबरें सामने आ रही हैं. गुलदार के हमलों के कारण अब लोग अपना घर-गांव छोड़ने को मजबूर हैं. ऐसी ही कहानी यमकेश्वर विधानसभा के दुगड्डा ब्लॉक मुख्यालय के समीप बसे गोदी गांव की है, जो गुलदार की दहशत के कारण पूरी तरह से खाली हो गया है. कभी 12-14 परिवारों से गुलजार रहने वाला ये गांव अब विरान हो चुका है. गुलदार की दहशत ने यहां के लोगों के मन में ऐसा खौफ भर दिया है कि वे अपना सब कुछ छोड़कर किराये पर रहने को मजबूर हो गये हैं.

19 जुलाई की सुबह गोदी गांव के निवासी मनोज की पत्नी बच्चे को स्कूल छोड़ने गई थी. वापसी में गुलदार ने घात लगाकर मनोज की पत्नी को लहुलुहान कर दिया, जिसके बाद उसकी मौत हो गई. तब से गोदी गांव ग्रामीण डर के साये में जीने को मजबूर थे. ग्रामीणों की मांग पर गोदी गांव में वन विभाग ने गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरा भी लगाया. जिसमें गुलदार कैद भी हुआ. गोदी गांव के ग्रामीणों बताया की पिंजरे में गुलदार कैद होने के बाद अन्य गुलदार गांव के आस-पास अक्सर दिखाई दे रहे हैं. गांव में गुलदार की दहशत से सभी ग्रामीणों ने एक साथ गांव छोड़ने में ही भलाई समझी. अब सभी ग्रामीण निकट बाजार दुगड्डा में किराये के घरों में रह रहे हैं.

उत्तराखंड में पलायन के नए दौर के आगाज की दास्तां.

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गोदी गांव के मनोज चौधरी 20 वर्षों के बाद जुलाई माह के शुरू में ही दिल्ली से सपरिवार गांव वापस लौटे थे. यहां लौटने के 9 दिन बाद ही उनकी पत्नी की गुलदार के हमले में मौत हो गई. मनोज अपनी आप बीती सुनाते हुए कहते हैं कि उन्होंने सोचा था सारा जीवन दिल्ली में गुजारने के बाद अब गांव वापस लौटने का वक्त है. वे गांव में रहकर अपनी मां और खेती बाड़ी की देखभाल करना चाहते थे, मगर 9 दिन में ही ऐसा हुआ कि उनकी सारी योजना धरी की धरी रह गई.

स्थानीय लोग बताते हैं कि पहले गोदी गांव में 12-14 परिवार रहते थे. गुलदार के हमलों के बाद 5-6 परिवार दुगड्डा बाजार की ओर चले गये. वे अपना घर-बार छोड़कर किराये के कमरों में रहने को मजबूर हैं. 8 परिवार दुगड्डा के पास के गांव में ही किराये पर पर रहे हैं.

गोदी गांव निवासी गणेश डबराल ने बताया 9 महीने पहले भी गोदी गांव में गुलदार उनकी 9 वर्षीय भतीजे को आंगन से उठाकर ले गया था. लगातार गुलदार के हमलों ने ग्रामीणों को गांव छोड़ने के लिए मजबूर किया. दुगड्डा ब्लॉक के गोदी गांव में गुलदार के दहशत के बारे में कोटद्वार उप जिलाधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया की लैंसडाउन वन प्रभाग के वनक्षेत्रीय अधिकारी दिनकर तिवारी को गोदी गांव में गश्त बढ़ाने के निर्देश दे दिये गये हैं.

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कम नहीं हो रहा गुलदार का आतंक: लैंसडाउन वन प्रभाग से जुड़े रिहायशी इलाकों में मौजूदा समय में गुलदार का आतंक है. कोटद्वार दुगड्डा के बीच दोपहर में दो बाइक सवार को गुलदार ने झपटा मारा. जिसमें दोनों युवक गंभीर रूप से घायल हो गये. दुगड्डा रतुवाढ़ाव रोड़ पर गोदी के समीप ही बाइक से स्कूल जा रहे शिक्षक पर भी गुलदार ने जोरदार हमला किया. लैंसडाउन कैंट क्षेत्र में सेना के सूबेदार पीटी मास्टर पर भी गुलदार ने हमला कर घायल कर दिया. दो रोज पहले भी गुलदार ने लैंसडाउन में युवकों पर हमला बोला.

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