नई दिल्ली : गोवा विधानसभा की 40 सीटों के लिए 301 उम्मीदवारों ने दावेदारी की है. बीजेपी, कांग्रेस, एनसीपी, महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी जैसे पुराने खिलाड़ी के अलावा टीएमसी, आरजीपी, जय महा भारत पार्टी, गोएंचो स्वाभिमान पार्टी और संभाजी ब्रिगेड के कारण पिछले चुनाव के मुकाबले 50 अधिक उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं.
क्षेत्रीय दलों के दमदार प्रदर्शन के कारण अक्सर गोवा में त्रिशंकु विधानसभा ही बनती रही है. 1999 और 2012 के चुनाव परिणाम अपवाद हैं. 1999 में कांग्रेस और 2012 में बीजेपी को 21 सीटें मिली थीं. इसका कारण यहां दलबदल और चुनाव के बाद नए-नए गठबंधन होते रहे हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद 24 विधायकों ने दलबदल किया, जो सदन में विधायकों की कुल संख्या का 60 प्रतिशत है.
इस दलबदल से आशंकित राजनीतिक दल विधानसभा चुनाव 2022 के अपने उम्मीदवारों को कसम खिला रहे हैं. कांग्रेस अपने 36 कैंडिडेट को मंदिर, दरगाह और चर्च में ले जाकर कसम खिला रही है कि वे निर्वाचित होने के बाद किसी भी हालत में पाला नहीं बदलेंगे. कांग्रेस पार्टी ने उम्मीदवारों को पणजी के महालक्ष्मी मंदिर, बाम्बोलिन के गिरिजाघर और बेटिम गांव की दरगाह में शपथ दिलाई . दूसरी ओर आम आदमी पार्टी अपने कैंडिडेट से हलफनामा ले रही है. हलफनामे में सभी 40 उम्मीदवारों ने पार्टी के प्रति वफादार बने रहने का वादा लिया गया है.
गोवा में कभी नहीं चली धर्म की राजनीति
2011 की जनगनणा के अनुसार, गोवा की आबादी 18.2 लाख है. गोवा में करीब11.10 लाख रजिस्टर्ड वोटर हैं. गोवा की 40 विधानसभाओं में से 10 पर कैथोलिक समुदाय का बोलबाला है. जबकि 30 सीटों पर बहुसंख्यक हिंदू जीत-हार तय करते हैं. गोवा में कभी धर्म सीधे तौर से चुनावी मुद्दा नहीं रहा, मगर बीजेपी बहुसंख्यक वोटरों के सहारे सत्ता तक पहुंचती रही है. बीजेपी के दिवंगत नेता मनोहर पार्रिकर ने कैथोलिक कैंडिडेट को टिकट देकर पार्टी से जोड़ने का प्रयास किया था. कैथोलिक क्रिश्चियन कांग्रेस, महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, गोवा फारवर्ड पार्टी के लिए वोट करते रहे हैं.
जाति भी नहीं रही गोवा में चुनावी मुद्दा
आम आदमी पार्टी ने अमित पालेकर को सीएम कैंडिडेट घोषित किया है. अमित गोवा की बहुसंख्यक ओबीसी समुदाय भंडारी बिरादरी से आते हैं. माना जा रहा है कि आप के इस चुनावी दांव से गोवा में जातीय समीकरण के हिसाब से वोटिंग हो सकती है. हालांकि पार्टी ने सिर्फ केजरीवाल ने 4 सीटों पर भंडारी समुदाय के कैंडिडेट उतारे हैं. इसके जवाब में बीजेपी ने 6 और कांग्रेस ने 3 भंडारी समुदाय के कैंडिडेट उतारे हैं.
2014 में हुए गोवा प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के सर्वे के मुताबिक, प्रदेश में ओबीसी की जनसंख्या 3,58,517 थी, जो कि कुल आबादी का 27 फीसदी है. इसके अनुसार, भंडारी समुदाय की कुल संख्या 2,19,052 है, जो कि ओबासी आबादी का 61.10 पर्सेंट है. हालांकि अभी तक गोवा में जातीय राजनीति कभी हावी नहीं रही.
आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस भी मैदान में
इस बार आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव को दिलचस्प बना दिया है. दोनों पार्टियों ने जीत के लिए ताकत झोंक रखी है. 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने गोवा में जोर आजमाइश की थी, तब उसे 3.5 फीसदी वोट मिले थे, मगर उसका खाता नहीं खुला. तृणमूल कांग्रेस ने 2012 के विधानसभा चुनाव में गोवा की सीटों पर उम्मीदवारों को उतारा था, तब वह भी एक सीट नहीं जीत पाई. उसे 1.81 फीसदी वोट मिले थे.
- इस बार गोवा में 10 राजनीतिक दल 5 गठबंधन के साथ 40 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव मैदान में हैं. एनडीए में बीजेपी के साथ कोई दल नहीं है. वह अकेले 40 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. सीएम प्रमोद सावंत ही पार्टी के मुख्यमंत्री के चेहरे हैं.
- दिगंबर कामत के नेतृत्व में कांग्रेस 37 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस ने गोवा फारवर्ड पार्टी से समझौता किया है. विजयी सरदेसाई के नेतृत्व वाले गोवा फारवर्ड पार्टी ने 3 सीटों पर कैंडिडेट उतारे हैं.
- आम आदमी पार्टी 39 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. एक सीट उसने निर्दलीय चंद्रकांत शेट्ये के समर्थन में छोड़ा है.
- ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस ने महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी से समझौता किया है. टीएमसी 26 सीट और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (MGP)13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. एमजीपी का नेतृत्व सुधीन धानविलकर कर रहे हैं, जबकि टीएमसी ने महुआ मोइत्रा को रणनीति बनाने की कमान सौंपी है.
- राष्ट्रवादी कांग्रेस (NCP) और शिवसेना ने गोवा में भी राजनीतिक गठबंधन किया है. इस गठबंधन ने निर्दलीय चुनाव लड़ रहे पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर के बेटे उत्पल पार्रिकर को समर्थन दिया है. शिवसेना ने 9 और एनसीपी ने11 सीटों पर कैंडिडेट उतारे हैं.
गोवा विधानसभा चुनाव 2022 के लिए वैलेंटाइन डे यानी 14 फरवरी को वोटिंग होगी. 10 मार्च को पता चलेगा कि गोवा में पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी या त्रिशंकु विधानसभा होगी. अभी तक के सर्वे में बीजेपी आगे चल रही है. मगर राजनीतिक दलों की दावेदारी और कैंडिडेट की संख्या को देखते हुए ओपिनियन पोल पर भरोसा करना मुश्किल है.
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