वैशालीः बिहार के वैशाली में भूत भगाने का सबसे बड़ा मेला (Ghost Fair on Kartik Purnima in Vaishali ) लगता है. जी हां, इसे आस्था कहें या अंधविश्वास, लेकिन यह सच है. दरअसल, कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर वैशाली के हाजीपुर में कोनहारा घाट पर विशेष प्रक्रिया से ओझा-गुणी कर भूत भगाने और प्रेत बाधा के समाधान के लिए देश के दूर-दराज इलाके से लोग यहां आते हैं. विज्ञान और तकनीक के युग में आज इंसान इंसान चांद पर पहुंच गया है. फिर भी वैशाली में देश का सबसे बड़ा भूतों का मेला लगता है. मान्यता है कि इस दिन गंगा घाट पर भूतों से छुटकारा दिलाया जा सकता है. कोनहारा घाट से आई तस्वीर खुद ब खुद हकीकत बयां कर रही है.
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कोनहारा घाट पर हो रहे तमाशे को प्रमाण की जरूरत नहींः लाखों की भीड़ में झूमते लोग, नाचते गाते लोग कोई आम लोग नहीं, बल्कि भूत हैं. इनमें से किसी के ऊपर महिला का साया है, तो किसी के ऊपर पुरुष की आत्मा. कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनके ऊपर शीतला माता सवार है और ये सभी लोग कार्तिक पूर्णिमा के दिन मोक्ष स्थल कोनहारा घाट इस उम्मीद से पहुंचे है कि उन्हें तमाम तरह की भूत, प्रेत और आत्मा से छुटकारा मिलेगा. आधुनिकता के इस दौर में यह तस्वीर भले ही हैरान करने वाली है, लेकिन आस्था और धार्मिक भावना ऐसी है कि हर कोई निरुत्तर है. किसी के पास इसका जवाब नहीं है कि आखिर कबतक आस्था के नाम पर अंधविश्वास का यह खेल चलता रहेगा.
वीडियो काॅल पर भी उतारा जाता है भूत का सायाः यहां ऐसे नजारे देखने को मिलते हैं, जिसपर सहसा विश्वास न हो. ढोल-नगाड़े के साथ महिला और पुरुष के सिर से भूत का साया भगाया जा रहा है. कैसे नाबालिग लड़की पर पहले भूत को उतारा जाता है, भूत की पहचान की जाती है और उसके बाद उसे भगाया जाता है. यकीन करना आसान नहीं था, लेकिन लड़की के परिवार वालों से बात करने पर लड़की पर सवार कथित भूत की ही जुबानी सब कुछ बयां होती है . हद तो यह है कि आधुनिकता के इस दौर में अब भूतखेली का डिजिटलीकरण भी हो गया है. भूत भगाने वाले ओझा बताते है कि जो लोग यहां नहीं पहुंच पाते हैं, तो उनका भूत मोबाइल के जरिये वीडियो कॉल पर भी उतारा जाता है.
" यह बहुत ही स्पेशल है. गंगा स्नान पर इनकी मान्यता है. ऐसा लगता है कि कुछ एनर्जी का रिन्यूअल करते हैं. इसको देखकर ऐसा लगता है कि यहां शिक्षा की कमी है. कहीं ना कहीं साइक्लोजिकली रूप से लोगों का इस्तेमाल हो रहा है. हम लोग बहुत प्रयास किए, लेकिन जहां धार्मिक भावना जुड़ जाती है, वहां बहुत फोर्स नहीं किया जा सकता है. फिर भी प्रयास है कि सब कुछ ठीक हो" - स्वप्निल, डीसीएलआर
सदियों से चली आ रही है परंपराः बहरहाल, आस्था के नाम पर सदियों से चला आ रहा अंधविश्वास का खेल आज भी जारी है ऐसे में जरूरी है कि समाज मे जागरूकता के साथ साथ शिक्षा के स्तर को भी बढ़ाया जाए ताकि आस्था के नाम पर महिलाओं का उत्पीड़न और अंधविश्वास का खेल बन्द हो सके. यहां मौजूद लोगों के अनुसार ही इस दिन न सिर्फ भूत भगाने का तमाशा होता है, बल्कि छिपकर इसके आड़ में कई घिनौने काम भी होते हैं जो कैमरे में कैद नहीं हो पाए.
"आज मंगलवार है और गंगा स्नान के साथ गंगा सेवन भी है. हम 40 सालों से यहां पर आते हैं. यहां पर सभी काम होता है अच्छा भी होता है और बुरा भी होता है. जब किसी को शैतान पकड़ लेता है. किसी को भूत पकड़ लेता है तो उसको छुड़ा देते हैं. यही अच्छा होता है और बुरा यह होता है कि कोई खराब काम करना है. कोई सीखना चाहता है तो कुछ लोग वह भी सिखाते हैं. मैं यह काम नहीं सिखाता न करता हूं. मैं सिर्फ अच्छा काम करता हूं. यहां काफी दूर-दूर से लोग आते हैं. नेपाल, कोलकाता और दिल्ली से भी लोग आते हैं" - शत्रुघ्न बाबा, तांत्रिक