मुंबई: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने गजवा-ए-हिंद मामले गुजरात, मध्यप्रदेश और नागपुर में छापेमारी की. इनमें आईएसआई, लश्कर-ए-तैयबा और आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठन पूरे देश में आतंकवाद फैलाने में सक्रिय हैं. ये सभी आतंकी संगठन पाकिस्तान द्वारा बनाए गए हैं. वहीं गजवा ए हिंद आतंकी संगठन बनाया गया है. इस संगठन का उद्देश्य पूरे भारत को इस्लामिक देश बनने के लिए कुत्सित विचारों का प्रचार-प्रसार करना है.
सुरक्षा एजेंसियों को संदेह है कि गजवा-ए-हिंद मॉड्यूल का उपयोग करके उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के नागपुर में चरमपंथी विचारों के 'स्लीपर सेल' बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया था. 'गजवा-ए-हिंद' आईएसआईएस द्वारा बनाया गया एक नया आतंकवादी खतरा है.अबू बकर अल-बगदादी आतंकवादी संगठन 'गजवा-ए-हिंद' का प्रमुख था जिसे अमेरिका ने खत्म कर दिया था. बताया जाता है कि गजवा-ए-हिंद आतंकी संगठन अल-बगदादी के नेतृत्व में इराक और सीरिया से चलाया जाता था.
इस संस्था की शुरुआत 2006 से हुई थी. साथ ही युवाओं को संगठन से ऑनलाइन जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. फिर ऑनलाइन ही उन्हें आईडी बम बनाने जैसी आतंकी ट्रेनिंग दी जाती है. गजवा-ए-हिंद के अर्थ की बात करें तो कहा जाता है कि एक दिन भारत के साथ अंतिम युद्ध होगा और इस युद्ध में हिंद यानी हिंदुस्तान की हार होगी और इस युद्ध को ही गजवा-ए-हिंद का नाम दिया गया है. इस संबंध में पत्रकार विवेक अग्रवाल ने ईटीवी भारत को बताया कि गजवा-ए-हिंद का इस्तेमाल भारत की आखिरी लड़ाई के लिए किया जाता है. इस प्रकार, मोटे तौर पर गजवा-ए-हिंद का अर्थ युद्ध के माध्यम से भारत में एक इस्लामिक राज्य की स्थापना है. वहीं पाकिस्तान का एक बड़ा वर्ग गजवा-ए-हिंद की विचारधारा का समर्थन करता है. गजवा-ए-हिंद के नाम पर आतंकवादी लड़ने को तैयार हैं. इस रास्ते पर चलने वालों को गाजी कहा जाता है. गाजी का अर्थ है इस्लाम के विस्तार के लिए लड़ने वाले.
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