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गैंगरेप केस : UP के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति समेत तीन को उम्रकैद

गैंगरेप मामले (gang rape case) में यूपी की सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति (Gayatri Prajapati) समेत तीन को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही कोर्ट ने दो-दो लाख का जुर्माना भी लगाया है.

Gayatri Prajapati
Gayatri Prajapati
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Published : Nov 12, 2021, 5:52 PM IST

Updated : Nov 12, 2021, 7:16 PM IST

लखनऊ : सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति समेत 3 को गैंगरेप मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने शुक्रवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही कोर्ट ने 2 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया है. वहीं, इस मामले में चार अन्य अभियुक्तों को कोर्ट ने पहले ही बरी कर दिया था.

कोर्ट ने गायत्री प्रजापति, आशीष शुक्ला व अशोक तिवारी को भारतीय दंड संहिता की धारा 376डी व 5जी/6 पॉक्सो एक्ट में दोषी पाया है. जबकि अभियुक्त रूपेश्वर उर्फ रूपेश, चंद्रपाल, विकास वर्मा, अमरेंद्र सिंह पिंटू को कोर्ट ने बरी कर दिया था. अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल ने कोर्ट में दलील दी थी कि अभियोजन की ओर से तथ्यों के समर्थन में पेश किए गए किसी भी गवाह ने रूपेश्वर अथवा चंद्रपाल के खिलाफ एक भी तथ्य नहीं बताए हैं. विवेचना में भी उनके खिलाफ कोई भी साक्ष्य संकलित करने में विवेचक नाकाम रहे हैं.

पीड़िता के खिलाफ भी जांच के आदेश

मामले की सुनवाई के दौरान बार-बार बयान बदलना पीड़िता को भी भारी पड़ा है. पीड़िता समेत राम सिंह राजपूत और अंशु गौड़ के खिलाफ जांच के आदेश कोर्ट ने पुलिस आयुक्त लखनऊ को दिए हैं. कोर्ट ने कहा है कि इस बात की जांच की जाए कि इन तीनों ने किसके प्रभाव में आकर गवाही के दौरान बार-बार अपने बयान बदले.

जानिए क्या था मामला ?
18 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति व अन्य 6 अभियुक्तों के खिलाफ थाना गौतमपल्ली में गैंगरेप, जानमाल की धमकी व पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पीड़िता की याचिका पर दिया था. पीड़िता ने गायत्री प्रजापति व उनके साथियों पर गैंगेरप का आरोप लगाते हुए, अपनी नाबालिग बेटी के साथ भी जबरन शारीरिक संबध बनाने का आरोप लगाया था. इसके बाद गायत्री समेत सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था.

18 जुलाई, 2017 को पॉक्सो की विशेष अदालत ने इस मामले में गायत्री समेत सभी 7 अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 डी, 354 ए(1), 509, 504 व 506 में आरोप तय किया था. साथ ही गायत्री, विकास, आशीष व अशोक के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 5जी व 6 के तहत भी आरोप तय किया था. बाद में इस मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए की विशेष अदालत को स्थानांतरित कर दी गई.

गायत्री प्रजापति का राजनीति से जेल तक इतिहास
गायत्री प्रसाद प्रजापति का जन्म अमेठी कस्बे के समीप परसावां गाव में एक सामान्य परिवार में हुआ था. 1993 में पहली बार बहुजन क्रांति दल से विधानसभा चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में इन्हें 1526 मत मिले थे. इसके बाद 1996 में समाजवादी पार्टी ने चुनाव लड़ाया था, जिसमे उन्हें 25112 मत मिले थे. 2002 में सपा ने फिर से चुनाव मैदान में गायत्री को उतारा, इस चुनाव में 217624 मत मिले और हार का सामना करना पड़ा. अचानक एक दशक के लिए राजनीति से गायब हो कर गायत्री प्रजापति ने प्रापर्टी का व्यवसाय शुरू किया.

2012 में पहली बार बना विधायक
2012 के चुनाव में सपा से पुनः चुनावी मैदान में गायत्री प्रसाद प्रजापति अपनी किस्मत आजमाने आ गये. 2012 में समाज वादी पार्टी से अमेठी के विधायक निर्वाचित हुए. सूबे में अखिलेश यादव के नेतृत्व में सरकार बनी. मुलायम सिंह यादव के नजदीकी होने का फायदा गायत्री प्रसाद प्रजापति को मिला. सपा की सरकार बनते ही राज्य मंत्री का पद मिला. एक ही वर्ष के अंदर मुलायम सिंह यादव की कृपा पर गायत्री प्रजापति को भूतत्व एवं खनिकर्म मंत्री बनाया गया.

खनिज मंत्री बनते ही गायत्री का कद पूरे प्रदेश में बढ़ गया. इसके बाद खनिज विभाग व प्रदेश के अन्य विभागों से अकूत कमाही का खेल शुरू हुआ. प्रदेश के तमाम जिलों से बड़े से बड़े छोटे से छोटे लोग अपनी फरियाद लेकर मंत्री के दरबार में पहुंचने लगे. इसी बीच चित्रकूट की महिला भी फरियाद लेकर मंत्री के पास आ गई. धीरे धीरे उसका आवागमन अधिक हो गया. गायत्री की टीम में उसका उठना-बैठना शुरू हो गया. यहीं से गायत्री के समेत अन्य साथियों के बुरे दिनों की शुरुआत हुई.

पढ़ें- अदालत ने 29 दिनों में दुष्कर्म के दोषी को सुनाई उम्रकैद की सजा

लखनऊ : सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति समेत 3 को गैंगरेप मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने शुक्रवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही कोर्ट ने 2 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया है. वहीं, इस मामले में चार अन्य अभियुक्तों को कोर्ट ने पहले ही बरी कर दिया था.

कोर्ट ने गायत्री प्रजापति, आशीष शुक्ला व अशोक तिवारी को भारतीय दंड संहिता की धारा 376डी व 5जी/6 पॉक्सो एक्ट में दोषी पाया है. जबकि अभियुक्त रूपेश्वर उर्फ रूपेश, चंद्रपाल, विकास वर्मा, अमरेंद्र सिंह पिंटू को कोर्ट ने बरी कर दिया था. अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल ने कोर्ट में दलील दी थी कि अभियोजन की ओर से तथ्यों के समर्थन में पेश किए गए किसी भी गवाह ने रूपेश्वर अथवा चंद्रपाल के खिलाफ एक भी तथ्य नहीं बताए हैं. विवेचना में भी उनके खिलाफ कोई भी साक्ष्य संकलित करने में विवेचक नाकाम रहे हैं.

पीड़िता के खिलाफ भी जांच के आदेश

मामले की सुनवाई के दौरान बार-बार बयान बदलना पीड़िता को भी भारी पड़ा है. पीड़िता समेत राम सिंह राजपूत और अंशु गौड़ के खिलाफ जांच के आदेश कोर्ट ने पुलिस आयुक्त लखनऊ को दिए हैं. कोर्ट ने कहा है कि इस बात की जांच की जाए कि इन तीनों ने किसके प्रभाव में आकर गवाही के दौरान बार-बार अपने बयान बदले.

जानिए क्या था मामला ?
18 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति व अन्य 6 अभियुक्तों के खिलाफ थाना गौतमपल्ली में गैंगरेप, जानमाल की धमकी व पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पीड़िता की याचिका पर दिया था. पीड़िता ने गायत्री प्रजापति व उनके साथियों पर गैंगेरप का आरोप लगाते हुए, अपनी नाबालिग बेटी के साथ भी जबरन शारीरिक संबध बनाने का आरोप लगाया था. इसके बाद गायत्री समेत सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था.

18 जुलाई, 2017 को पॉक्सो की विशेष अदालत ने इस मामले में गायत्री समेत सभी 7 अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 डी, 354 ए(1), 509, 504 व 506 में आरोप तय किया था. साथ ही गायत्री, विकास, आशीष व अशोक के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 5जी व 6 के तहत भी आरोप तय किया था. बाद में इस मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए की विशेष अदालत को स्थानांतरित कर दी गई.

गायत्री प्रजापति का राजनीति से जेल तक इतिहास
गायत्री प्रसाद प्रजापति का जन्म अमेठी कस्बे के समीप परसावां गाव में एक सामान्य परिवार में हुआ था. 1993 में पहली बार बहुजन क्रांति दल से विधानसभा चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में इन्हें 1526 मत मिले थे. इसके बाद 1996 में समाजवादी पार्टी ने चुनाव लड़ाया था, जिसमे उन्हें 25112 मत मिले थे. 2002 में सपा ने फिर से चुनाव मैदान में गायत्री को उतारा, इस चुनाव में 217624 मत मिले और हार का सामना करना पड़ा. अचानक एक दशक के लिए राजनीति से गायब हो कर गायत्री प्रजापति ने प्रापर्टी का व्यवसाय शुरू किया.

2012 में पहली बार बना विधायक
2012 के चुनाव में सपा से पुनः चुनावी मैदान में गायत्री प्रसाद प्रजापति अपनी किस्मत आजमाने आ गये. 2012 में समाज वादी पार्टी से अमेठी के विधायक निर्वाचित हुए. सूबे में अखिलेश यादव के नेतृत्व में सरकार बनी. मुलायम सिंह यादव के नजदीकी होने का फायदा गायत्री प्रसाद प्रजापति को मिला. सपा की सरकार बनते ही राज्य मंत्री का पद मिला. एक ही वर्ष के अंदर मुलायम सिंह यादव की कृपा पर गायत्री प्रजापति को भूतत्व एवं खनिकर्म मंत्री बनाया गया.

खनिज मंत्री बनते ही गायत्री का कद पूरे प्रदेश में बढ़ गया. इसके बाद खनिज विभाग व प्रदेश के अन्य विभागों से अकूत कमाही का खेल शुरू हुआ. प्रदेश के तमाम जिलों से बड़े से बड़े छोटे से छोटे लोग अपनी फरियाद लेकर मंत्री के दरबार में पहुंचने लगे. इसी बीच चित्रकूट की महिला भी फरियाद लेकर मंत्री के पास आ गई. धीरे धीरे उसका आवागमन अधिक हो गया. गायत्री की टीम में उसका उठना-बैठना शुरू हो गया. यहीं से गायत्री के समेत अन्य साथियों के बुरे दिनों की शुरुआत हुई.

पढ़ें- अदालत ने 29 दिनों में दुष्कर्म के दोषी को सुनाई उम्रकैद की सजा

Last Updated : Nov 12, 2021, 7:16 PM IST
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