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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे गैंगरेप पीड़िता के माता-पिता

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में हुए गैंगरेप मामले में सभी तीनों आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया. इस फैसले को लेकर पीड़ित पक्ष ने निराशा व्यक्त किया. पीड़ित परिजन का कहना है कि आरोपियों को छोड़ने से अपराधियों का मन बढ़ेगा और पीड़िता की आत्मा को भी दुख पहुंचेगा.

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Published : Nov 8, 2022, 5:46 PM IST

नई दिल्ली: वर्ष 2012 में दिल्ली के छावला इलाके में हुए गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी तीनों आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया. इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपियों को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी आरोपियों को आरोपों से मुक्त किए जाने पर पीड़ित परिजनों ने बेहद निराशा व्यक्त की है. देर शाम तक वह सुप्रीम कोर्ट के बाहर ही खड़े रहे. परिजनों का कहना था कि उन्हें न्याय के मंदिर से निराशा हाथ लगी है. पीड़िता की मां ने बताया कि वह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक बार फिर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे.

ईटीवी भारत से बात करते हुए पीड़िता की मां ने बताया कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निराश हैं. आरोपियों को छोड़ने से न सिर्फ ऐसे जघन्य अपराध करने वालों को बढ़ावा मिलेगा बल्कि पीड़िता की आत्मा को दुख भी पहुंचेगा. उन्होंने कहा कि हमारी बच्ची के साथ अपराध हुआ और उन अपराधियों को बिना किसी दंड के छोड़ दिया गया है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे गैंगरेप पीड़िता के माता-पिता

दुख जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि ठीक है यदि उन्हें मृत्युदंड नहीं दिया जा रहा था तो कम से कम उन्हें उम्रकैद की सजा दी जाती, ताकि वह दोबारा कभी भी इस प्रकार की घटना करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते. उन्होंने बताया कि वो राष्ट्रपति से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाएंगी. साथ ही प्रधानमंत्री से भी अपील करेंगे कि वह उनकी बेटी को न्याय दिलाने में मदद करें.

दिल्ली महिला आयोग ने भी फैसले से जताई निराशा: दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने ट्वीट करते हुए कहा की 2012 में 19 साल की लड़की का दिल्ली में गैंगरेप और मर्डर हुआ. इस भयानक केस के दोषियों को हाई कोर्ट ने सजा-ए-मौत दी, पर सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया. ये वो केस है, जिसमें लड़की की आंखों में तेजाब और प्राइवेट पार्ट में शराब की बोतल डाली गई थी. क्या इससे रेपिस्ट का हौसला नहीं बढ़ेगा?

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नई दिल्ली: वर्ष 2012 में दिल्ली के छावला इलाके में हुए गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी तीनों आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया. इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपियों को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी आरोपियों को आरोपों से मुक्त किए जाने पर पीड़ित परिजनों ने बेहद निराशा व्यक्त की है. देर शाम तक वह सुप्रीम कोर्ट के बाहर ही खड़े रहे. परिजनों का कहना था कि उन्हें न्याय के मंदिर से निराशा हाथ लगी है. पीड़िता की मां ने बताया कि वह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक बार फिर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे.

ईटीवी भारत से बात करते हुए पीड़िता की मां ने बताया कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निराश हैं. आरोपियों को छोड़ने से न सिर्फ ऐसे जघन्य अपराध करने वालों को बढ़ावा मिलेगा बल्कि पीड़िता की आत्मा को दुख भी पहुंचेगा. उन्होंने कहा कि हमारी बच्ची के साथ अपराध हुआ और उन अपराधियों को बिना किसी दंड के छोड़ दिया गया है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे गैंगरेप पीड़िता के माता-पिता

दुख जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि ठीक है यदि उन्हें मृत्युदंड नहीं दिया जा रहा था तो कम से कम उन्हें उम्रकैद की सजा दी जाती, ताकि वह दोबारा कभी भी इस प्रकार की घटना करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते. उन्होंने बताया कि वो राष्ट्रपति से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाएंगी. साथ ही प्रधानमंत्री से भी अपील करेंगे कि वह उनकी बेटी को न्याय दिलाने में मदद करें.

दिल्ली महिला आयोग ने भी फैसले से जताई निराशा: दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने ट्वीट करते हुए कहा की 2012 में 19 साल की लड़की का दिल्ली में गैंगरेप और मर्डर हुआ. इस भयानक केस के दोषियों को हाई कोर्ट ने सजा-ए-मौत दी, पर सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया. ये वो केस है, जिसमें लड़की की आंखों में तेजाब और प्राइवेट पार्ट में शराब की बोतल डाली गई थी. क्या इससे रेपिस्ट का हौसला नहीं बढ़ेगा?

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