नई दिल्ली : आमतौर पर लोग यह जानते होंगे कि गणेश भगवान की पूजा (Ganpati Puja) केवल भारत में होती है और इनको केवल यहीं के लोग मानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. गणेश चतुर्थी 2022 (Ganesh Chaturthi 2022) के अवसर पर आपको बताते हैं कि किन किन देशों में किस तरह के भगवान गणेश की पूजा की जाती है और किन किन देशों में उनके मंदिर भी स्थापित हैं.
वैसे तो अगर देखा जाय तो भगवान गणेश की मूर्तियां आपको म्यामार, अफगानिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, थाईलैंड, चीन, मंगोलिया, वियतनाम, बुल्गारिया, अमेरिका, मैक्सिको, ग्रेट ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस व रूस सहित अन्य देशों में रहने वाले अप्रवासी भारतीय तो पूजा करते ही हैं, लेकिन कुछ देशों में खासतौर पर इनकी पूजा होती है. वहां पर त्योहार संक्षिप्त में मनाया जाता है. इतना ही नहीं गणेश भगवान की मूर्ति विश्व के लगभग हर आर्ट गैलरी और म्यूजियम में देखी जा सकती है.
कहा जाता है कि भले ही विदेशों के लोग लोग हिंदू धर्म के अनुसार विधि विधान से पूजा पाठ न करते हों, लेकिन कई देशों के लोग गणेश जी की मूर्ति को या तो अपने पास रखते हैं या अपने घरों में लगाते हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि विश्व के धार्मिक प्रवृत्ति के लेखकों, कलाकारों, व्यापारियों के पास यह मूर्ति देखी जा सकती है. इसके साथ कई यूरोपियन देशों में भी इसके प्रमाण देखे जा सकते हैं.
ऐसा देखा जा रहा है कि देश के कोने कोने में रहने वाले अप्रवासी भारतीय भगवान गणेश की पूजा (Ganesh Chaturthi Celebration in Foreign Countries) विधि विधान से करते हैं. इसके साथ साथ भारत के कई पड़ोसी देशों में भगवान गणेश की मूर्तियों व मंदिरों को देखा जा सकता है. यहां पर भारत की ही तरह भगवान गणेश की पूजा होती है.
नेपाल
नेपाल में गणेश मंदिर की स्थापना सबसे पहले सम्राट अशोक की पुत्री चारूमित्रा ने की थी. वहां के लोग भगवान गणेश को सिद्धिदाता और संकटमोचन के रूप में मानते और पूजते हैं. वहां के लोगों के द्वारा परेशानियों से बचने के लिए गणेश जी की पूजा की जाती है.
चीन
जानकारों का कहना है कि चीन के प्राचीन हिन्दू मंदिरों में चारों दिशाओं के द्वारों पर गणेश जी स्थापित दिखायी देते हैं. इसके अलावा तिब्बत में गणेश जी को दुष्टात्माओं के दुष्प्रभाव से रक्षा करने वाला देवता माना जाता है और उनकी पूजा की जाती है.
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जापान
जापान में बहुत सारे बुद्ध धर्म के अनुयायी रहते हैं. वहां के लोग भगवान गणेश को 'कांगितेन' (kangiten) के नाम से जानते हैं. जापान में बौद्ध धर्म को मानने वाले कांगितेन को कई रूपों में पूजते (Ganpati Puja in Japan) हैं. कहा जाता है कि जापान में इनका दो शरीर वाला स्वरूप सर्वाधिक प्रचलित है. यहां पर चार भुजाओं वाले गणपति का भी जिक्र मिला करता है. जापान में भगवान गणेश के करीब 250 मंदिर हैं, जहां पर वह kangiten के रूप में पूजे जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि वह भगवान गणेश का ही एक रूप हैं. kangiten को हमारे देश में गणेश भगवान की ही तरह सुख, शांति और समृद्दि प्रदान करने वाला देवता माना जाता है. अभी कुछ दिनों पहले ऑक्सफोर्ड पब्लिकेशन ने भी इस बात का दावा किया था कि आज से कई सालों पहले मध्य एशिया में गणेश की पूजा होती थी.
श्रीलंका
पड़ोसी देश श्रीलंका में तमिल बहुल क्षेत्रों में काले पत्थर से निर्मित भगवान पिल्लयार अर्थात् गणेश की पूजा की जाती है. श्रीलंका में गणेश के 14 अति प्राचीन मंदिर भी स्थित हैं. वहां के बड़े शहर कोलंबो के पास केलान्या गंगा नदी के तट पर स्थित केलान्या में कई प्रसिद्ध बौद्ध मंदिरों में भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित दिखायी देती हैं.
इंडोनेशिया
इंडोनेशिया भी एक ऐसा देश है जहां पर कई हिन्दू धर्म के मानने वाले लोगों के साथ साथ बौद्ध धर्म वाले लोग रहते हैं. माना जाता है कि इंडोनेशियन द्वीप पर भारतीय धर्म का प्रभाव पहली शताब्दी से है. यहां के भारतीयों के लिए भगवान गणेश की मूर्तियां ख़ासतौर पर भारत से मंगाई जाती हैं. इतनी ही नहीं यहां के 20 हज़ार के नोट पर भी गणेशजी की तस्वीर दिखायी देती है. इंडोनेशिया में उन्हें ज्ञान का प्रतीक माना जाता है. इसलिए इंडोनेशिया में गणेश पूजा की जाती है.
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थाईलैंड
थाइलैंड में गणपति को 'फ्ररा फिकानेत' के रूप में जाना जाता है. इंडोनेशिया में 'फ्ररा फिकानेत' को सभी बाधाओं को हरने वाला और सफलता प्रदान करने वाला देवता माना जाता है. 'फ्ररा फिकानेत' की पूजा नए व्यवसाय और शादी के मौके पर पर भी की जाती है. इतना ही नहीं गणेश चतुर्थी के साथ ही वहां गणेश जी का जन्मोत्सव भी धूमधाम से मनाया जाता है. इस तरह से थाइलैंड में गणेश पूजा का भी प्रचलन है.
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पाकिस्तान
पाकिस्तान के रत्नेश्वर महादेव मंदिर में पाकिस्तान में गणेश चतुर्थी की पूजा की जाती है. भारत से वहां पर मूर्तियां भेजने की परंपरा रही है, लेकिन जब किन्हीं कारणों से मूर्ति वहां नहीं जा पाती है तो लोग दुबई से मूर्तियां मंगाकर पाकिस्तान में पूजा करते हैं. रत्नेश्वर महादेव मंदिर क्लिफ़टन इलाक़े में समुद्र के किनारे स्थित है. मान्यता है कि यह मंदिर सैंकड़ों साल पुराना है. गणेश चतुर्थी के दौरान मुख्य कार्यक्रम का आयोजन इसी मंदिर में होता है.
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