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हेराल्ड केस : सोनिया-राहुल का आरोप, सुनवाई में देरी करा रहे स्वामी - स्वामी पर आरोप

नेशनल हेराल्ड मामले में सुनवाई के दौरान कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी पर केस की सुनवाई में देरी का आरोप लगाया है. जानें क्या है पूरा मामला...

हेराल्ड केस
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Published : Dec 23, 2020, 6:17 PM IST

Updated : Dec 23, 2020, 7:39 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने बुधवार को भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी पर आरोप लगाया कि वह पूरी तरह से अस्पष्ट अर्जी देकर नेशनल हेराल्ड मामले की सुनवाई में देरी करा रहे हैं. स्वामी ने यह मामला सोनिया और राहुल तथा अन्य के खिलाफ दायर किया है.

कांग्रेस नेताओं ने स्वामी की अर्जी का विरोध करते हुए अदालत के समक्ष यह दलील दी. दरअसल, स्वामी ने अपनी अर्जी के जरिए मामले में विभिन्न दस्तावेज मंगाए जाने और गवाहों को तलब किए जाने का अनुरोध किया है.

मामले के आरोपियों ने अदालत से अर्जी खारिज करने का अनुरोध करते हुए कहा कि यह संबंधित प्रावधानों के तहत दायर नहीं की गई है. आरोपियों की ओर से पेश हुए वकील ने कहा, 'मौजूदा अर्जी पूरी तरह से अस्पष्ट, अत्यधिक देर कराने वाली और कार्यवाही धीमी कराने वाली प्रकृति की होने के नाते खारिज किए जाने की हकदार है.'

वकील ने कहा कि यह स्वामी की जिम्मेदारी है कि वह उपयुक्त प्रावधानों के तहत एक अर्जी दायर कर जिरह किए जाने वाले गवाहों की सूची के साथ अन्य विशेष ब्योरा उपलब्ध कराएं.

वकील ने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सचिन गुप्ता से कहा, 'मौजूदा अर्जी खारिज किए जाने की भी हकदार है, क्योंकि यह संबद्ध प्रावधान के अनुरूप नहीं है.'

अर्जी के जवाब में आरोपियों ने कहा कि स्वामी द्वारा तलब किए जाने वाले गवाहों की सूची सौंपना उनका (स्वामी का) कानूनी अधिकार है, क्योंकि अदालत कोई असंबद्ध जांच नहीं कर रही है.

जवाब में कहा गया, 'शिकायतकर्ता ने गवाहों की कोई सूची नहीं सौंपी है, जबकि आरोप-पूर्व साक्ष्य दर्ज किया जाना 21 जुलाई 2018 को शुरू हुआ था, जब शिकायतकर्ता खुद कठघरे में आए थे.' जवाब में कहा गया, 'यह कहने की जरूरत नहीं है कि अर्जी कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुरूप होनी चाहिये.'

जवाब में आगे कहा गया, 'यह स्पष्ट नहीं है कि शिकायतकर्ता ने कानून के अनुरूप साबित करने के लिये दस्तावेज मंगाए हैं या अपने मामले को साबित करने के लिए गवाहों को तलब कर रहे हैं. यह अदालत कोई असंबद्ध जांच नहीं कर रही है और समन आदेश में आरोप की पुष्टि के लिए ही साक्ष्य तलब किए जा सकते हैं.' अदालत विषय पर आगे की सुनवाई 12 जनवरी को करेगी.

स्वामी द्वारा दायर की गई अर्जी में उच्चतम न्यायालय के सेक्रेटरी जनरल संजीव एस कलगांवकर, रजनीश कुमार झा (उप भूमि एवं विकास अधिकारी), साकेत सिंह, आयकर क्षेत्र-1 उपायुक्त तथा कांग्रेस के एक पदाधिकारी को तलब करने का अनुरोध किया गया है.

आरोप-पूर्व साक्ष्य के तहत शिकायतकर्ता,स्वामी की जिरह के लिए मामले की सुनवाई निर्धारित की गई है. इससे पहले, अदालत ने देनों पक्षों को कोविड-19 महामारी की स्थिति के मद्देनजर विषय पर आगे कार्यवाही के लिए समाधान तलाशने को कहा था.

यह भी पढ़ें- नेपाल पर कसता चीन का 'शिकंजा', कब तक चुप रहेगा भारत ?

स्वामी ने एक निजी आपराधिक शिकायत में सोनिया और राहुल तथा अन्य पर आरोप लगाया था कि उन्होंने यंग इंडियन प्रा. लि. के माध्यम से सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान कर कांग्रेस के स्वामित्व वाले नेशनल हेराल्ड समाचारपत्र के प्रकाशक (एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड) से 90.25 करोड़ रुपये लेने की साजिश रची थी.

मामले में सभी सात आरोपियों में-- कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ऑस्कर फर्नांडिस, सुमन दूबे, सैम पित्रोदा और मोतीलाल वोरा (जिनका हाल ही में निधन हो गया), तथा यंग इंडियन प्रा. लि. शामिल हैं.

नई दिल्ली : कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने बुधवार को भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी पर आरोप लगाया कि वह पूरी तरह से अस्पष्ट अर्जी देकर नेशनल हेराल्ड मामले की सुनवाई में देरी करा रहे हैं. स्वामी ने यह मामला सोनिया और राहुल तथा अन्य के खिलाफ दायर किया है.

कांग्रेस नेताओं ने स्वामी की अर्जी का विरोध करते हुए अदालत के समक्ष यह दलील दी. दरअसल, स्वामी ने अपनी अर्जी के जरिए मामले में विभिन्न दस्तावेज मंगाए जाने और गवाहों को तलब किए जाने का अनुरोध किया है.

मामले के आरोपियों ने अदालत से अर्जी खारिज करने का अनुरोध करते हुए कहा कि यह संबंधित प्रावधानों के तहत दायर नहीं की गई है. आरोपियों की ओर से पेश हुए वकील ने कहा, 'मौजूदा अर्जी पूरी तरह से अस्पष्ट, अत्यधिक देर कराने वाली और कार्यवाही धीमी कराने वाली प्रकृति की होने के नाते खारिज किए जाने की हकदार है.'

वकील ने कहा कि यह स्वामी की जिम्मेदारी है कि वह उपयुक्त प्रावधानों के तहत एक अर्जी दायर कर जिरह किए जाने वाले गवाहों की सूची के साथ अन्य विशेष ब्योरा उपलब्ध कराएं.

वकील ने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सचिन गुप्ता से कहा, 'मौजूदा अर्जी खारिज किए जाने की भी हकदार है, क्योंकि यह संबद्ध प्रावधान के अनुरूप नहीं है.'

अर्जी के जवाब में आरोपियों ने कहा कि स्वामी द्वारा तलब किए जाने वाले गवाहों की सूची सौंपना उनका (स्वामी का) कानूनी अधिकार है, क्योंकि अदालत कोई असंबद्ध जांच नहीं कर रही है.

जवाब में कहा गया, 'शिकायतकर्ता ने गवाहों की कोई सूची नहीं सौंपी है, जबकि आरोप-पूर्व साक्ष्य दर्ज किया जाना 21 जुलाई 2018 को शुरू हुआ था, जब शिकायतकर्ता खुद कठघरे में आए थे.' जवाब में कहा गया, 'यह कहने की जरूरत नहीं है कि अर्जी कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुरूप होनी चाहिये.'

जवाब में आगे कहा गया, 'यह स्पष्ट नहीं है कि शिकायतकर्ता ने कानून के अनुरूप साबित करने के लिये दस्तावेज मंगाए हैं या अपने मामले को साबित करने के लिए गवाहों को तलब कर रहे हैं. यह अदालत कोई असंबद्ध जांच नहीं कर रही है और समन आदेश में आरोप की पुष्टि के लिए ही साक्ष्य तलब किए जा सकते हैं.' अदालत विषय पर आगे की सुनवाई 12 जनवरी को करेगी.

स्वामी द्वारा दायर की गई अर्जी में उच्चतम न्यायालय के सेक्रेटरी जनरल संजीव एस कलगांवकर, रजनीश कुमार झा (उप भूमि एवं विकास अधिकारी), साकेत सिंह, आयकर क्षेत्र-1 उपायुक्त तथा कांग्रेस के एक पदाधिकारी को तलब करने का अनुरोध किया गया है.

आरोप-पूर्व साक्ष्य के तहत शिकायतकर्ता,स्वामी की जिरह के लिए मामले की सुनवाई निर्धारित की गई है. इससे पहले, अदालत ने देनों पक्षों को कोविड-19 महामारी की स्थिति के मद्देनजर विषय पर आगे कार्यवाही के लिए समाधान तलाशने को कहा था.

यह भी पढ़ें- नेपाल पर कसता चीन का 'शिकंजा', कब तक चुप रहेगा भारत ?

स्वामी ने एक निजी आपराधिक शिकायत में सोनिया और राहुल तथा अन्य पर आरोप लगाया था कि उन्होंने यंग इंडियन प्रा. लि. के माध्यम से सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान कर कांग्रेस के स्वामित्व वाले नेशनल हेराल्ड समाचारपत्र के प्रकाशक (एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड) से 90.25 करोड़ रुपये लेने की साजिश रची थी.

मामले में सभी सात आरोपियों में-- कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ऑस्कर फर्नांडिस, सुमन दूबे, सैम पित्रोदा और मोतीलाल वोरा (जिनका हाल ही में निधन हो गया), तथा यंग इंडियन प्रा. लि. शामिल हैं.

Last Updated : Dec 23, 2020, 7:39 PM IST
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