नई दिल्ली: तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने रविवार को कहा कि भारत दक्षिण एशिया में तुर्की का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और दोनों देशों के बीच अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं. रविवार को यहां एक मीडिया ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में भारत हमारा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और हमारे पास मुख्य रूप से अर्थव्यवस्था और कई अन्य क्षेत्रों में आनंद लेने की काफी संभावनाएं हैं.
इसके बाद तुर्की के राष्ट्रपति ने अध्यक्षता के शानदार और बेहद सफल कार्यकाल के लिए भारत को धन्यवाद दिया. उन्होंने उन्हें, उनकी पत्नी और पूरे तुर्की प्रतिनिधिमंडल को दिखाए गए आतिथ्य के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि मुझे, मेरे जीवनसाथी और मेरे पूरे तुर्की प्रतिनिधिमंडल को दिए गए भव्य आतिथ्य के लिए मैं पीएम मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं.
उन्होंने आगे कहा कि इस वर्ष हमारी थीम एक विश्व, एक परिवार और एक भविष्य थी और शिखर सम्मेलन के पहले सत्र में, हमने उन पर्यावरणीय चुनौतियों के बारे में बात की, जिनका सामना हमारा ग्रह वर्तमान में कर रहा है. जलवायु परिवर्तन, जैविक विविधता का नुकसान और विशेष रूप से व्यापक प्रदूषण का आयाम चुनौतियों की एक तिकड़ी है, जिसे हम अब और भी अधिक गहराई से महसूस कर सकते हैं.
तुर्की के राष्ट्रपति ने आगे कहा कि रूस को अलग-थलग करने वाली कोई भी पहल असफल होगी. उन्होंने कहा कि इसकी सफलता की संभावना बहुत कम है. हमारा मानना है कि काला सागर में तनाव बढ़ाने वाले किसी भी कदम से बचना चाहिए. वैश्विक खाद्य सुरक्षा और खाद्य आपूर्ति सुरक्षा का समर्थन करने के लिए, हम खाद्य आपूर्ति सुरक्षा अध्ययन समूह, रूस और यूक्रेन दोनों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र को एक साथ लाने जा रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आने वाले हमारे हितधारकों के साथ, हम लगातार बातचीत करने जा रहे हैं.
एर्दोगन शुक्रवार को जी20 शिखर सम्मेलन के लिए नई दिल्ली पहुंचे. उनके साथ उनकी पत्नी, तुर्की की प्रथम महिला एमीन एर्दोगन भी थीं. भारत के बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने उनका स्वागत किया. इस बीच, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के समापन की घोषणा की और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच पर दिए गए सुझावों और प्रस्तावों की समीक्षा के लिए नवंबर में एक आभासी जी20 सत्र आयोजित करने का प्रस्ताव रखा.
पीएम मोदी ने कहा कि जैसा कि आप सभी जानते हैं, भारत के पास नवंबर 2023 तक G20 की अध्यक्षता की जिम्मेदारी है. इन दो दिनों में आप सभी ने ढेर सारे सुझाव दिये, प्रस्ताव रखे. इन पर कितनी तेजी से प्रगति हो सकती है, यह देखना हमारा कर्तव्य है.