बेंगलुरु : केंद्रीय संसदीय, कोयला और खान मंत्री प्रल्हाद जोशी (Union Coal and Mines Minister Prahlad Joshi) ने स्वच्छ ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुंच बनाने और किफायती एवं समावेशी ऊर्जा परिवर्तन के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग तथा भागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि विकसित देशों को अनुसंधान, विकास और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल में निवेश के लिए विकासशील देशों की मदद करनी चाहिए.
वह यहां जी20 की भारत की अध्यक्षता के तहत ऊर्जा परिवर्तन कार्यकारी समूह (ईटीडब्ल्यूजी-1) की पहली बैठक में विशेष संबोधन दे रहे थे. जोशी ने कहा, 'भारत का मानना है कि सभी जी20 देशों को यह स्वीकार करना चाहिए कि ऊर्जा परिवर्तन के अलग-अलग देशों और अलग-अलग क्षेत्रों के लिए अलग चुनौतियां तथा अवसर होंगे, उदाहरण के लिए विकासशील देश बुनियादी ढांचे की कमी जैसी अलग बाधाओं का सामना कर सकते हैं तथा उन्हें ऊर्जा परिवर्तन के लिए और सहयोग की आवश्यकता होगी.'
उन्होंने कहा कि इन उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के लिए ऊर्जा परिवर्तन में स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में निवेश करके, ऊर्जा प्रभावी और संरक्षण उपाय अपनाने की क्षमता बढ़ाकर सहयोग किया जा सकता है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'हमें ऊर्जा परिवर्तन के लिए वैश्विक लक्ष्य तय करने तथा ऊर्जा परिवर्तन को समावेशी तथा न्यायपूर्ण बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है.'
उन्होंने कहा कि दुनिया अपनी ऊर्जा यात्रा में एक अहम मोड़ पर है, जहां हमें जीवश्म ईंधन के बजाय ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों का इस्तेमाल करने की जरूरत है. जोशी ने कहा कि केवल जलवायु परिवर्तन के असर से निपटने के लिए ही नहीं, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए भी इस बदलाव की आवश्यकता है.
उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने ऊर्जा प्रभाविता को बढ़ावा देने तथा जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से कई नीतियां तथा पहल शुरू की हैं जैसे कि जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना और राष्ट्रीय सौर मिशन.
बैठक में कई देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और वर्तमान समय में भारत सरकार की योजनाओं और कार्यों की सराहना की. बैठक में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह भी मौजूद थे.
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