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regulatory standards for Basmati rice : देश में पहली बार बासमती चावल के लिए मानक तय,अब प्राकृतिक सुगंध होगी असली पहचान

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Published : Jan 12, 2023, 5:24 PM IST

FSSAI के नए नियामक मानकों के अनुसार, बासमती चावल की प्राकृतिक सुगंध असली पहचान होगी और कृत्रिम रंग, पॉलिशिंग एजेंट और कृत्रिम सुगंधों से मुक्त होने चाहिए. यह मानक एक अगस्त से लागू होंगे. regulatory standards for Basmati rice

FSSAI
एफएसएसएआई

नई दिल्ली : भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने भारत में पहली बार बासमती चावल के लिए व्यापक नियामक मानकों को अधिसूचित किया है, जो एक अगस्त 2023 से लागू होगा. नए मानकों के अनुसार, बासमती चावल की प्राकृतिक सुगंध विशेषता होनी चाहिए और कृत्रिम रंग, पॉलिशिंग एजेंट और कृत्रिम सुगंधों से मुक्त होने चाहिए. भारत सरकार ने एक बयान में यह जानकारी दी.

FSSAI के अनुसार, बासमती चावल के लिए ये नियामक मानक खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योज्य) प्रथम संशोधन विनियम, 2023 के अनुसार ब्राउन बासमती चावल, मिल्ड बासमती चावल, उसना ब्राउन बासमती चावल और मिल्ड उसना बासमती चावल पर भी लागू होंगे. इस संबंध में बताया गया है कि बासमती चावल की प्राकृतिक सुगंध विशेषता होगी और यह कृत्रिम रंग, पॉलिशिंग एजेंटों और कृत्रिम सुगंधों से मुक्त होगा. मानकों का उद्देश्य बासमती चावल के व्यापार में उचित व्यवहार स्थापित करना और घरेलू और वैश्विक स्तर पर उपभोक्ता हितों की रक्षा करना है. इन मानकों के अनुसार, बासमती चावल में बासमती चावल की प्राकृतिक सुगंध विशेषता होनी चाहिए और कृत्रिम रंग, पॉलिशिंग एजेंटों और कृत्रिम सुगंधों से मुक्त होना चाहिए.

  • First time in India, FSSAI notifies comprehensive regulatory standards for Basmati Rice which will be enforced from 1st Aug 2023. It shall possess natural fragrance characteristic of basmati rice & be free from artificial colouring, polishing agents & artificial fragrances: GoI pic.twitter.com/8cB8P5uEyG

    — ANI (@ANI) January 12, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बासमती चावल की प्राकृतिक सुगंध विशेषता होगी और यह कृत्रिम रंग, पॉलिशिंग एजेंटों और कृत्रिम सुगंधों से मुक्त होगा. मानकों का उद्देश्य बासमती चावल के व्यापार में उचित व्यवहार स्थापित करना और घरेलू और वैश्विक स्तर पर उपभोक्ता हितों की रक्षा करना है. इन मानकों के अनुसार, बासमती चावल में बासमती चावल की प्राकृतिक सुगंध विशेषता होनी चाहिए और कृत्रिम रंग, पॉलिशिंग एजेंटों और कृत्रिम सुगंधों से मुक्त होना चाहिए. वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि ये मानक बासमती चावल के लिए विभिन्न पहचान और गुणवत्ता मापदंडों को भी निर्दिष्ट करते हैं जैसे कि अनाज का औसत आकार और पकाने के बाद उनका बढ़ाव अनुपात के अलावा नमी की अधिकतम सीमा, एमाइलोज सामग्री, यूरिक एसिड, दोषपूर्ण/क्षतिग्रस्त अनाज और अन्य गैर-बासमती चावल आदि शामिल है. मानकों का उद्देश्य बासमती चावल के व्यापार में उचित प्रथाओं को स्थापित करना और घरेलू और वैश्विक स्तर पर उपभोक्ता हितों की रक्षा करना है.

बता दें कि बासमती चावल भारतीय उपमहाद्वीप के हिमालय की तलहटी में उगाई जाने वाली चावल की एक प्रीमियम किस्म है और यह सार्वभौमिक रूप से अपने लंबे दाने के आकार, बनावट और अद्वितीय अंतर्निहित सुगंध और स्वाद के लिए जानी जाती है. इसके अलावा विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों की कृषि-जलवायु परिस्थितियां जहां बासमती चावल उगाए जाते हैं के साथ ही चावल की कटाई, प्रसंस्करण आदि उसकी विशिष्टता को बढ़ाने में अहम भूमिका अदा करते हैं.

नई दिल्ली : भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने भारत में पहली बार बासमती चावल के लिए व्यापक नियामक मानकों को अधिसूचित किया है, जो एक अगस्त 2023 से लागू होगा. नए मानकों के अनुसार, बासमती चावल की प्राकृतिक सुगंध विशेषता होनी चाहिए और कृत्रिम रंग, पॉलिशिंग एजेंट और कृत्रिम सुगंधों से मुक्त होने चाहिए. भारत सरकार ने एक बयान में यह जानकारी दी.

FSSAI के अनुसार, बासमती चावल के लिए ये नियामक मानक खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योज्य) प्रथम संशोधन विनियम, 2023 के अनुसार ब्राउन बासमती चावल, मिल्ड बासमती चावल, उसना ब्राउन बासमती चावल और मिल्ड उसना बासमती चावल पर भी लागू होंगे. इस संबंध में बताया गया है कि बासमती चावल की प्राकृतिक सुगंध विशेषता होगी और यह कृत्रिम रंग, पॉलिशिंग एजेंटों और कृत्रिम सुगंधों से मुक्त होगा. मानकों का उद्देश्य बासमती चावल के व्यापार में उचित व्यवहार स्थापित करना और घरेलू और वैश्विक स्तर पर उपभोक्ता हितों की रक्षा करना है. इन मानकों के अनुसार, बासमती चावल में बासमती चावल की प्राकृतिक सुगंध विशेषता होनी चाहिए और कृत्रिम रंग, पॉलिशिंग एजेंटों और कृत्रिम सुगंधों से मुक्त होना चाहिए.

  • First time in India, FSSAI notifies comprehensive regulatory standards for Basmati Rice which will be enforced from 1st Aug 2023. It shall possess natural fragrance characteristic of basmati rice & be free from artificial colouring, polishing agents & artificial fragrances: GoI pic.twitter.com/8cB8P5uEyG

    — ANI (@ANI) January 12, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बासमती चावल की प्राकृतिक सुगंध विशेषता होगी और यह कृत्रिम रंग, पॉलिशिंग एजेंटों और कृत्रिम सुगंधों से मुक्त होगा. मानकों का उद्देश्य बासमती चावल के व्यापार में उचित व्यवहार स्थापित करना और घरेलू और वैश्विक स्तर पर उपभोक्ता हितों की रक्षा करना है. इन मानकों के अनुसार, बासमती चावल में बासमती चावल की प्राकृतिक सुगंध विशेषता होनी चाहिए और कृत्रिम रंग, पॉलिशिंग एजेंटों और कृत्रिम सुगंधों से मुक्त होना चाहिए. वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि ये मानक बासमती चावल के लिए विभिन्न पहचान और गुणवत्ता मापदंडों को भी निर्दिष्ट करते हैं जैसे कि अनाज का औसत आकार और पकाने के बाद उनका बढ़ाव अनुपात के अलावा नमी की अधिकतम सीमा, एमाइलोज सामग्री, यूरिक एसिड, दोषपूर्ण/क्षतिग्रस्त अनाज और अन्य गैर-बासमती चावल आदि शामिल है. मानकों का उद्देश्य बासमती चावल के व्यापार में उचित प्रथाओं को स्थापित करना और घरेलू और वैश्विक स्तर पर उपभोक्ता हितों की रक्षा करना है.

बता दें कि बासमती चावल भारतीय उपमहाद्वीप के हिमालय की तलहटी में उगाई जाने वाली चावल की एक प्रीमियम किस्म है और यह सार्वभौमिक रूप से अपने लंबे दाने के आकार, बनावट और अद्वितीय अंतर्निहित सुगंध और स्वाद के लिए जानी जाती है. इसके अलावा विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों की कृषि-जलवायु परिस्थितियां जहां बासमती चावल उगाए जाते हैं के साथ ही चावल की कटाई, प्रसंस्करण आदि उसकी विशिष्टता को बढ़ाने में अहम भूमिका अदा करते हैं.

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