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हाईकोर्ट ने गुजरात सरकार को रेमडेसिविर के वितरण के लिए नीति बनाने को कहा - गुजरात उच्च न्यायालय

गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वह कोरोना महामारी की प्रमुख दवा रेमडेसिविर की भारी मांग को देखते हुए अस्पतालों में इसके वितरण के लिए एक नीति तैयार करे. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

गुजरात हाईकोर्ट
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Published : Apr 23, 2021, 1:42 AM IST

अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा है कि वह कोविड-19 महामारी की प्रमुख दवा रेमडेसिविर की भारी मांग को देखते हुए अस्पतालों में इसके वितरण के लिए एक नीति तैयार करे.

उच्च न्यायालय ने कोविड स्थिति पर स्वत: संज्ञान लेते हुए 20 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए एक जनहित याचिका पर सुनवाई की थी. इस आदेश की विस्तृत प्रति बृहस्पतिवार को उपलब्ध करायी गई.

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि अभी रेमडेसिविर इंजेक्शन का इस्तेमाल वरीयता के क्रम में किया जाता है, जो जाहिर तौर पर जरूरत-आधारित तथा अस्पताल की प्राथमिकता में है.

राज्य सरकार ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि रेमडेसिविर पहले उन मरीजों को दिया जाता है जो सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर पर हैं. इसके बाद निजी अस्पतालों में वेंटिलेटर पर के मरीजों को दिया जाता है.इसके बाद राज्य के अस्पतालों में आईसीयू में भर्ती मरीजों को और फिर निजी अस्पतालों में मरीजों को दिया जाता है.

इसके लिए, मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति भार्गव करिया की पीठ ने सरकार को राज्य भर में लागू होने वाली समान नीति तैयार करने को कहा.

पीठ ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए राज्य में उचित नीति होनी चाहिए कि एक ही श्रेणी में आने वाले सभी मरीजों को पहले रेमडिसिविर इंजेक्शन दिया जाए, यानी पहले वेंटिलेटर पर के रोगियों को यह दवा दी जाए, चाहे वे निजी अस्पताल में हों या सरकारी अस्पताल में.

पीठ ने कहा कि राज्य सरकार को सभी पक्षों की एक आपात बैठक बुलानी चाहिए और इस दवा के वितरण के लिए एक नीति तैयार करनी चाहिए.

पीठ ने कहा कि वितरण आयुक्त या जिलाधिकारी के स्तर पर हो सकता है, लेकिन नीति राज्य द्वारा बनायी जानी चाहिए.

अदालत ने कोविड मरीजों को ले जाने के लिए 108 एम्बुलेंस सेवा की मौजूदा प्रणाली पर भी चिंता व्यक्त की.

मामले में अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी.

अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा है कि वह कोविड-19 महामारी की प्रमुख दवा रेमडेसिविर की भारी मांग को देखते हुए अस्पतालों में इसके वितरण के लिए एक नीति तैयार करे.

उच्च न्यायालय ने कोविड स्थिति पर स्वत: संज्ञान लेते हुए 20 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए एक जनहित याचिका पर सुनवाई की थी. इस आदेश की विस्तृत प्रति बृहस्पतिवार को उपलब्ध करायी गई.

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि अभी रेमडेसिविर इंजेक्शन का इस्तेमाल वरीयता के क्रम में किया जाता है, जो जाहिर तौर पर जरूरत-आधारित तथा अस्पताल की प्राथमिकता में है.

राज्य सरकार ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि रेमडेसिविर पहले उन मरीजों को दिया जाता है जो सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर पर हैं. इसके बाद निजी अस्पतालों में वेंटिलेटर पर के मरीजों को दिया जाता है.इसके बाद राज्य के अस्पतालों में आईसीयू में भर्ती मरीजों को और फिर निजी अस्पतालों में मरीजों को दिया जाता है.

इसके लिए, मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति भार्गव करिया की पीठ ने सरकार को राज्य भर में लागू होने वाली समान नीति तैयार करने को कहा.

पीठ ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए राज्य में उचित नीति होनी चाहिए कि एक ही श्रेणी में आने वाले सभी मरीजों को पहले रेमडिसिविर इंजेक्शन दिया जाए, यानी पहले वेंटिलेटर पर के रोगियों को यह दवा दी जाए, चाहे वे निजी अस्पताल में हों या सरकारी अस्पताल में.

पीठ ने कहा कि राज्य सरकार को सभी पक्षों की एक आपात बैठक बुलानी चाहिए और इस दवा के वितरण के लिए एक नीति तैयार करनी चाहिए.

पीठ ने कहा कि वितरण आयुक्त या जिलाधिकारी के स्तर पर हो सकता है, लेकिन नीति राज्य द्वारा बनायी जानी चाहिए.

अदालत ने कोविड मरीजों को ले जाने के लिए 108 एम्बुलेंस सेवा की मौजूदा प्रणाली पर भी चिंता व्यक्त की.

मामले में अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी.

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