अहमदाबादः देश में कोरोना के केस लगातार बढ़ रहे है. कई लोगों को इस महामारी के चलते अपनी जान गंवानी पड़ रही है. वहीं अगर बच्चों की बात करें तो कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए ज्यादा घातक बताई जा रही है, लेकिन इस महामारी की दूसरी लहर में भी बच्चे कम संक्रमित नहीं हुए. डॉक्टरों की माने तो पिछले साल की तुलना में इस साल महामारी ने 4 महीने से कम उम्र के बच्चो को भी चपेट में लिया है.
एक ऐसा ही वाकया सामने आया है अहमदाबाद शहर के चांदखेड़ा के एक निजी अस्पताल से, जहां कोरोना संक्रमित होने के बाद 4 महीने के बच्चे को यहां भर्ती कराया गया. गुजरात राज्य के आनंद जिले में रहने वाले कुणाल मकवाना का चार माह का बेटा जुगल 29 अप्रैल को कोरोना संक्रमित हुआ था.
बच्चे का ऑक्सीजन स्तर गिर रहा था और उसकी तबीयत लगातार बिगड़ रही थी, जिसके बाद बच्चे को हाई फ्रीक्वेंसी वेंटिलेटर पर रख दिया गया. हालांकि 6 दिन तक हाई फ्रीक्वेंसी वेंटिलेटर पर रहने के बाद बच्चे ने कोरोना को मात दे दी.
वहीं, दूसरी तरफ बच्चे को जन्म से ही कई ओर दिक्कतें भी थी. जिसकी वजह से बच्चे का ऑक्सीजन लेवल नीचे चला गया. बच्चे का इलाज करने वाले डॉक्टर पार्थ शाह से टेलीफोन पर बातचीत में उन्होंने ईटीवी भारत के संवाददाता पार्थ शाह को बताया कि, जब संक्रमित बच्चे को अस्पताल लाया गया तो बच्चे की हालत नाजुक थी.
बच्चे को सांस लेने में हो रही थी दिक्कत. बच्चे की तबीयत सुधरने की बजाय बिगड़ रही थी. जिसमें पहले 24 घंटे कठिन साबित हुए. उसे तुरंत वेंटिलेटर पर रखने के बावजूद भी जब 24 घंटे के अंदर स्थिति में सुधार नहीं दिखा तो परिवार की मंजूरी से उसे हाई फ्रीक्वेंसी वेंटिलेटर पर रखा गया था.
डॉक्टर का कहना था कि बच्चे के फेफड़ों को छोड़ अन्य अंग अच्छी तरह से काम कर रहे थे. लेकिन फिर भी बच्चे की हालत में कोइ सुधार नहीं हुआ. उनके मुताबिक शरूआती 48 घंटे बहुत ही कठीन थे. बच्चे की स्थिति में सुधार देखकर वेंटिलेटर को 6 दिनों के बाद हटा दिया और 5 दिन ऑब्जर्वेशन में रखने के बाद उसे डिस्चार्ज भी कर दिया गया.
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बच्चे के पिता कुणाल मकवाना ने बताया की बच्चे की तबीयत 28 अप्रैल को बिगड़ी थी. डॉक्टर को दिखाने के बाद उसका कोरोना रिपोर्ट किया गया जो की पॉजिटीव आया. जिसके बाद बच्चे की मां रोने लगी लेकिन हम उसे इलाज के लिए आनंद के एक अस्पताल में ले गये. उचित इलाज के अभाव के चलते उन्हें बच्चे को अच्छे इलाज के लिए अहमदाबाद ले जाना पड़ा.
दोनों ने हिम्मत नहीं हारी और 15 दिन बाद बच्चा ठीक होकर अपने घर लौट गया. पिता ने बताया के, जब बच्चे का जन्म हुआ था तब उसकी हार्ट की नली ब्लॉक थी, इसलिए उसकी 14 जनवरी को सर्जरी की गई थी. जुगल पहले 51 दिनों के लिए अस्पताल में था और 2 महीने से उसकी दवाएं भी चल रही थी. इसी दरमियान वो कोरोना से भी संक्रमित हो गया.